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हर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भबीत गए पचास साल साथ चलते-चलतेश्री ईश्वरदास महाजननिर्मला महाजनमेरे पूज्य पतिदेवआज से पचास वर्ष पूर्व 29 जून, 1955 को मेरा और आपका (पतिदेव श्री ईश्वर दास जी महाजन) गृहस्थाश्रम में प्रवेश हुआ। शादी के बाद मैंने जाना कि आप संघ के प्रचारक भी रह चुके हैं लेकिन मैं तो इससे भिन्न परिवेश में पली-बढ़ी थी। शुरूआत में इस कारण हम दोनों का साथ कुछ मुश्किलों में बीता, लेकिन कुछ समय बाद ही हम दोनों की विचारधारा का उसी तरह मेल हो गया जैसे “गंगा जी सागर में मिल जाती हैं।” इस लम्बे कालखण्ड में कितनी ही मुसीबतें हमारे जीवन में आईं लेकिन भगवान की कृपा से तीन बच्चों के साथ सादगी और सहजता से हमारी गृहस्थी चलती रही।संघ के संस्कारों और समाज की इच्छा के चलते आपने 1971 में राजनीति में प्रवेश किया और फिर तो जैसे कष्टों के पहाड़ हम पर टूट पड़े। 25 जून, 1975 को तत्कालीन इंदिरा सरकार द्वारा आपातकाल लागू किए जाने के कारण जब आप मीसा के अन्तर्गत 19 माह तक जेल में बन्द रहे और बड़ा बेटा मधुकान्त (19 वर्ष) भी सत्याग्रह करके जेल चला गया, तब मेरी जिन्दगी के सामने मानो अंधेरा ही छा गया।मंगलम, शुभ मंगलमइस स्तम्भ में दम्पत्ति अपने विवाह की वर्षगांठ पर 50 शब्दों में परस्पर बधाई संदेश दे सकते हैं। इसके साथ 200 शब्दों में विवाह से सम्बंधित कोई गुदगुदाने वाला प्रसंग भी लिखकर भेज सकते हैं। प्रकाशनार्थ स्वीकृत प्रसंग पर 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।आमदनी बन्द हो गई, मकान सील हो गया, विपत्तियों से लड़ते हुए एक छोटे से कमरे में गुजारा करना पड़ा। इन कष्टदायी क्षणों में “मुझे विश्वास है कि आप इन विपत्तियों का सामना धैर्यपूर्वक करेंगी तथा अपने मन को मजबूत रखेंगी।” आपका यह वाक्य पल-पल प्रेरणा देता रहा। किसी तरह कठिन वक्त बीता, जीवन में सुख के दिन भी आए पर ये खुशी शायद भगवान ने कुछ ही दिनों के लिए दी थी। 24 मई 1997 को भगवान ने हमारे जीवन के अनमोल रत्न मधुकान्त को हमसे छीन लिया। उसका इस तरह चले जाना… सोचती हूं तो गला रूंध जाता है। आप ही की तरह तो था वह भी, हमेशा अपने देश और समाज के लिए काम करने की बातें करता था और कुछ न कुछ करता रहता था। यह झटका तो हमारे लिए असहनीय था। मेरी तो हिम्मत ही जवाब दे गई थी। लेकिन पुन: आपकी प्रेरणा से ही मैं मधुकान्त के अधूरे सपने को पूरा करने की हिम्मत जुटा पाई हूं और अब अपने जीवन को वंचित वर्गों की सेवा में ही व्यस्त रखती हूं। भगवान से यही प्रार्थना करती हूं कि आप जैसे साथी का साथ वह सब को दे।आपकी संगिनीनिर्मला महाजनएस-35, प्रीत विहार, दिल्ली-92(श्रीमती निर्मला महाजन सम्प्रति सेवा भारती, दिल्ली प्रदेश की संरक्षिका हैं।)NEWS
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