|
मेघालय में खासी-गारो तनावमुख्यमंत्री लापांग ने शिलांग में शिक्षा बोर्ड के नये अध्यक्ष और सचिव की नियुक्ति कीशिलांग से विशेष संवाददातामेघालय में खासी और गारो जनजातीय समाजों में इन दिनों तनाव चल रहा है। इस तनाव का कारण बना है मेघालय बोर्ड आफ सेकेंडरी एजुकेशन (एम.बी.ओ.एस.ई.) के विभाजन का मुद्दा। इस मुद्दे पर गारो और खासी छात्र संगठनों ने राज्य तक के बंटवारे की धमकी दे डाली है।कांग्रेसनीत मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस (एम.डी.ए.) इन छात्र संगठनों, खासी छात्र संघ (के.एस.यू.) और गारो छात्र संघ (जी.एस.यू.) के आमने-सामने आ जाने से लम्बे खिंचते संघर्ष को लेकर परेशान है। अरअसल, यह समस्या तब पैदा हुई जब पिछले दिनों हायर सेकेंडरी परीक्षा के दौरान गणित का पर्चा राज्य की राजधानी शिलांग में देर से पहुंचा था। एम.बी.ओ.एस.ई. का दफ्तर गारो हिल्स में तूरा नामक स्थान पर है जो पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी.ए. संगमा का संसदीय क्षेत्र है। पिछले एक माह से खासी छात्र संगठन एम.बी.ओ.एस.ई. को विभाजित करने और शिलांग में हायर सेकेंडरी शिक्षा का एक बोर्ड स्थापित करने की मांग कर रहा है। इस वक्त एम.बी.ओ.एस.ई. सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी शिक्षा, दोनों को देख रहा है। अपनी मांग पर खासी छात्र संगठन ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम भी किया था। इसने केन्द्र और राज्य सरकार के दफ्तरों पर भी धरना दिया जिससे काम में बाधा पहुंची थी। शिक्षा बोर्ड के बंटवारे की मांग पर इसी छात्र संगठन ने 21 से 23 जून तक तीन दिन का बंद आयोजित किया था। उसने धमकी दी है कि अगर उसकी मांगें नहीं मानी गईं तो वह खासी जनजाति के लिए एक अलग प्रदेश की मांग उठाते हुए आंदोलन छेड़ेगा।इधर गारो छात्र संगठन ने भी धमकी दी है कि अगर राज्य सरकार बोर्ड का बंटवारा करके उसका एक हिस्सा शिलांग स्थानांतरित करती है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। हालांकि पिछले सप्ताह अपनी बैठक में राज्य मंत्रिमंडल ने बोर्ड को बांटने की मांग ठुकरा दी थी। मंत्रिमंडल के इस निर्णय से नाराज होकर खासी छात्र संगठन के पूर्व अध्यक्ष और राज्य के युवा एवं खेल मंत्री पाल लिंदोई ने इस्तीफा दे दिया था। लिंदोई ने इस संवाददाता को बताया कि चूंकि वे मंत्रिमंडल की बैठक में खासी समाज के हितों को कायम नहीं रख पाए इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। राज्य में बंद के आयोजन से इस मुद्दे पर खासी और गारो समाजों के बीच दूरियां और बढ़ गई हैं। राज्य के शिक्षा मंत्री मुकुल संगमा, जो उप-मुख्यमंत्री भी हैं, ने भी बोर्ड के बंटवारे के प्रयास का विरोध किया था। मंत्रिमंडल में संगमा गारो जनजाति का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्होंने ही खासी समुदाय के मुख्यमंत्री डी.डी. लापांग पर फिलहाल इस मांग के आगे न झुकने का दबाव बनाया था। लेकिन गत 21 जून की देर शाम एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए लापांग ने शिलांग में बोर्ड के एक संपूर्ण अधिकार प्राप्त अध्यक्ष और सचिव की नियुक्ति की घोषणा कर दी। इसके बाद से गारो समाज में तीखा आक्रोश दिख रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में तनाव और बढ़ सकता है।NEWS
टिप्पणियाँ