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दो पहियों के सरताजबृज मोहनलाल मुंजालसन् 1944 में अपने जन्मस्थान कमालिया (अब पाकिस्तान में) से अमृतसर आकर स्थानीय साइकिल बाजार में साइकिल के कलपुर्जों की आपूर्ति से व्यवसाय शुरू करने वाले श्री बृज मोहनलाल मुंजाल आज देश की सबसे बड़ी दुपहिया वाहन निर्माता कंपनी हीरो समूह के प्रबंध निदेशक हैं।सितंबर, 2001 में मुंजाल को “अरनेस्ट एंड यंग इंटरप्रिनियोर” पुरस्कार प्रदान किया गया। बजाज आटो के अध्यक्ष राहुल बजाज ने उनके नाम का प्रस्ताव किया था। जबकि सितंबर, 2000 में ही हीरो होंडा ने बजाज ऑटो को भारत में दुपहिया वाहन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी के रूप में पछाड़ा था। सन् 2002 में इकनॉमिक टाइम्स ने मुंजाल की उद्यमिता की प्रशंसा भी की थी।बहुआयामी प्रतिभा के धनी और हिंदू मूल्यों में विश्वास रखने वाले श्री मुंजाल आधुनिकता और परंपरा, विभिन्न संस्कृतियों, चाहे वह जर्मनी की हो या जापान की, सामाजिक मान्यताओं के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हैं।अपने बचपन की याद करते हुए श्री मुंजाल कहते हैं, “हमने बचपन में माता-पिता और बड़ों से साथ रहने का महत्व सीखा था। किसी समस्या के समय आपके नैतिक मूल्य उजागर होते हैं। इन मूल्यों में बड़ों का सम्मान, धार्मिक आस्था और अपने साधनों के अनुसार रहना शामिल है।” वे कहते हैं कि बचपन में सीखी बातें जीवन भर कायम रहती हैं।आदर और नियम को बिलकुल अलग बात मानने वाले श्री मुंजाल कहते हैं, आदर आयु से अधिक मनुष्य के भीतर से अपने से उपजता है। वे आज भी सार्वजनिक रूप से अपने बड़े भाई के पांव छूते हैं।उन्होंने अपने तीन भाइयों- दयानंद, सत्यानंद और ओमप्रकाश- के साथ लुधियाना के स्थानीय साइकिल बाजार में साइकिल के कलपुर्जों की आपूर्ति का कारोबार शुरू किया था। कलपुर्जों की बिक्री के लिए सभी भाइयों ने अपने उत्पाद के नमूनों के साथ मुंबई और मद्रास सहित देश के कई शहरों का दौरा किया और भारत के साइकिल उद्योग के बिखरे हुए वितरण तंत्र का गहराई से अध्ययन किया।श्री मुंजाल के शब्दों में, “हीरो साइकिल की शुरुआत हमारे लिए नई मंजिल की शुरूआत थी। इससे हमारे परिवार को एक दिशा मिली, जिसमें सभी ने अपने को पूरी तरह झोंक दिया। हमारी यह सफलता मात्र मेरी वजह से नहीं थी। हम भाइयों ने आपस में विपणन, निर्माण, गुणवत्ता नियंत्रण आदि काम बांट लिया। मेरे जिम्मे सरकार यानी विभिन्न तरह के सरकारी विभागों से व्यवहार की जिम्मेदारी आई। ऐसे में, स्वाभाविक रूप से ही एक खूबसूरत कड़ी बन गई।”50 के दशक तक श्री मुंजाल समूह भारत में साइकिल पुर्जों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया। सन् 1952 में मुंजाल परिवार ने हैंडलबार, फ्रंटफोर्क और चेनों का निर्माण शुरू कर दिया। जबकि सन् 1956 में छह लाख रुपए की सरकारी वित्तीय सहायता और अपनी सीमित पूंजी से बड़े पैमाने की औद्योगिक इकाई के रूप में हीरो साइकिल की शुरुआत की। इस इकाई का आरंभिक उत्पादन रोजाना 25 साइकिल अथवा प्रति वर्ष 7,500 साइकिल था।अस्सी किलो सामान के साथ दो व्यक्तियों की सवारी की क्षमता वाली हीरो साइकिल की कीमत तुलनात्मक रूप से कम थी। मुंजाल परिवार ग्राहक को उसके पैसे की एवज में पूरी सेवाएं देने में भरोसा रखता है। अपने कर्मचारियों से समभाव, आपूर्तिकर्ताओं और डीलरों को प्रभावी लागत पर उत्पाद और तय समय सीमा में निर्माण कार्य इस समूह की पहचान बन चुका है।सन् 1986 में मुंजाल परिवार का नाम गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड्स में संसार में सबसे बड़े साइकिल निर्माता के रूप में दर्ज हुआ, जिन्होंने अमरीका और चीन को पछाड़ते हुए अपने समूह की विभिन्न कंपनियों के जरिए 2.03 करोड़ साइकिलें बनाईं। दुनिया में मोटर साइकिलों की सबसे बड़ी कंपनी जापान की होंडा कंपनी ने सन् 1984 में हीरो समूह को भारत में संयुक्त रूप से मोटर साइकिल उत्पादन का प्रस्ताव भेजा और 13 अप्रैल, 1985 को हीरो होंडा की पहली मोटर साइकिल सड़क पर उतरी। और शेष इतिहास है। इस सफलता पर श्री मुंजाल कहते हैं, “मैं हीरो होंडा की सफलता से बेहद खुश हूं, पर लोगों का यह कहना उचित नहीं है कि हीरो होंडा ब्राजमोहन मुंजाल के बिना नहीं चल सकती। मेरी भूमिका बस रास्ता दिखाने की ही है।”चार भाइयों से शुरू हुए मुंजाल परिवार के कारोबार को आज परिवार के 21 सदस्य संभाल रहे हैं। यह समूचा परिवार आज भी उत्तम योजना और श्री ब्राजमोहन मुंजाल के व्यक्तिगत करिश्मे और उचित तालमेल के कारण एक है। श्री मुंजाल कहते हैं, “हमने हमेशा परिवार के हर सदस्य को समूह के विकास में एक अर्थपूर्ण भूमिका देने की कोशिश की है।”हीरो समूह के व्यावसायिक दृष्टिकोण पर श्री मुंजाल कहते हैं, “कंपनी को सही ढंग से चलाने के लिए आपको अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं को भुला देना होता है। संयुक्त रूप से काम करते हुए आपको कुछ त्याग करने पड़ते हैं, तभी सफलता मिलती है।”प्रतिनिधिNEWS
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