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छत्तीसगढ़अच्छे नेता की तलाशदेश का नेतृत्व वास्तव में कैसा होना चाहिए, इस पर जनमानस में निरंतर मंथन चलता रहता है। हमने जनमानस में चल रहे चिंतन की झलक पाने के लिए समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले कुछ लोगों से बातचीत कर उनके विचारों को जानने की कोशिश की है।श्रीमती स्नेहा बरडे, कम्प्यूटर इंजीनियरशासकीय अभियांत्रिक महाविद्यालय, रायपुर में व्याख्याता और कम्प्यूटर इंजीनियर श्रीमती स्नेहा बरडे का कहना है- किसी नेता में नेतृत्व कुशलता तभी सार्थक होगी जब वह सर्वप्रथम देशभक्ति, अनुशासन, सदाचार, व्यवहार कुशलता और दृढ़ इच्छाशक्ति आदि गुणों के साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी सफल रहा हो। जरूरी नहीं कि राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वाले को ही नेता कहा जाए। जहां तक सामाजिक कार्य की बात है तो किसी भी क्षेत्र में रहकर समाज सेवा का कार्य किया जा सकता है। राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने देश को एक नई दिशा दी है, जबकि वे एक श्रेष्ठ वैज्ञानिक हैं। वर्तमान में राजनीतिक क्षेत्र में ऐसा कोई व्यक्तित्व दिखाई नहीं दे रहा जो देश को नई दिशा और नेतृत्व प्रदान कर सके। देश को ऐसे युवा नेतृत्व की आवश्यकता है जिसकी विचारशक्ति स्वामी विवेकानंद जैसी, संकल्प शक्ति सरदार पटेल जैसी तो व्यवहार कुशलता डा. राजेन्द्र प्रसाद और महात्मा गांधी जैसी हो।डा. ए. राजशेखरसहायक प्राध्यापक, दुर्गा महाविद्यालय (रायपुर)दुर्गा महाविद्यालय, रायपुर में सहायक प्राध्यापक डा. ए. राजशेखर ने कहा-केवल लोगों की भीड़ के सामने खादी के कपड़े पहनकर खड़ा होने वाला व्यक्ति नेता नहीं हो सकता। नेतृत्व में राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव होना चाहिए, निस्वार्थ रूप से राष्ट्रहित और समाजहित के लिए कार्य करने वाला व्यक्ति सक्षम नेतृत्व दे सकता है। अब तो आगे बढ़कर जनता के काम करने का ढोंग करने वाला व्यक्ति नेता कहलाने लगा है। नेता की गलत व्याख्या होने लगी है। इतिहास में झांककर देखें तो नेता का अर्थ ही अलग था। लोकमान्य तिलक, सरदार पटेल, डा. राजेन्द्र प्रसाद जैसे सर्वगुण सम्पन्न व्यक्ति ही नेता कहे जा सकते हैं। लेकिन आजकल “सर्व अवगुण” सम्पन्न व्यक्ति ही असली नेता बन रहा है। इंजीनियर, चिकित्सक और समाजसेवा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का कार्यक्षेत्र चूंकि अलग है, उन सबको नेता नहीं कहा जा सकता। हां, क्षेत्र विशेष में उल्लेखनीय कार्य के लिए उनसे प्रेरणा प्राप्त की जा सकती है। यदि चिकित्सक और इंजीनियर में भी नेतृत्व की क्षमता विकसित हो जाए तो ऐसे लोग भी समाज का नेतृत्व कर सकते हैं। अनुकरणीय कार्य करने वाले व्यक्ति से ही समाज प्रेरणा लेता है। मूलत: वैज्ञानिक डा. कलाम ने राष्ट्रपति के रूप में देश को नई दिशा देकर भारत को विश्व में शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है।सुहास राजिमवालेवरिष्ठ पत्रकारवरिष्ठ पत्रकार सुहास राजिमवाले का कहना है- सर्व-स्वीकार्य व्यक्तित्व को ही नेतृत्व का अधिकार है। उसे किसी पार्टी, जाति या वर्ग विशेष के वरदहस्त की जरूरत नहीं होती। और यदि ऐसा होता है तो इससे संकुचित विचाराधारा का नेतृत्व पैदा होगा। नेता ऐसा होना चाहिए जिसे राष्ट्र की पूर्ण जानकारी हो। जो अपनी बात को दृढ़ता से कह सके और विपरीत परिस्थिति में भी धैर्य रखकर सही दिशा में समाज और राष्ट्र का नेतृत्व कर सके।आज की स्थिति में नेता का मतलब राजनीतिज्ञ हो गया है। इसे ध्यान में रखकर देश की चर्चा की जाती है। इस कारण सभी वर्गों का नेतृत्व कर सके, ऐसा व्यक्ति सामने नहीं आ पा रहा है। मेरी नजर में नेता वही होता है जो राजनीति से परे समाज, देशहित की चिन्ता करे। इस प्रकार का नेतृत्व युवा वर्ग से पैदा हो तो अति उत्तम होगा। आज देश जिस स्थिति में है और जो बुराइयां व्याप्त हैं उनको समझकर और संकुचित दायरे से निकलकर राष्ट्र की अच्छी छवि बनाने के लिए प्रखर नेतृत्व की अत्यंत गहन है।जितेन्द्र सोनकरसंचालक, कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्रजितेन्द्र सोनकर रायपुर में ही प्रतिष्ठित कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र का संचालन करते हैं। इनका कहना है-नेता को हमेशा जनता और देश के दु:ख-दर्द को समझकर सेवक के रूप में कार्य करना चाहिए, न कि राजा का व्यवहार। चुनाव पद्धति से चुनकर आए हुए लोग हमेशा ही अच्छे नहीं होता। अब तो यह प्रथा ही चल पड़ी है कि जनता के बीच से चुनकर आया व्यक्ति जनता से दूर हो जाता है। लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वह देश और समाज के लिए क्या कर रहा है। नेता वही हो सकता है जिसमें देश के लिए एक जज्बा हो और जो दूसरों को रास्ता दिखाने का साहस रखता हो।अरुण निर्मलकरअध्यक्ष, मोहल्ला विकास समितिमोहल्ला विकास समिति और आदर्श नगर झोपड़ी संघ के अध्यक्ष अरुण निर्मलकर का विचार है-असली नेता वही हो सकता है जो भेद-भाव, ऊंच-नीच, जाति-पंथ की भावना से ऊपर उठकर समाज की सेवा करे और जनहित, देशहित का विचार करते हुए कार्य करे। वर्तमान समय में राजनीति के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों का आचरण और उनकी कार्यशैली विवादास्पद बनी हुई है। राजनीतिक क्षेत्र में अच्छे लोगों की कमी है। समाज सेवा के क्षेत्र में अच्छे लोग हैं, जिनके कार्यों और चरित्र से प्रेरणा प्राप्त कर युवा नेतृत्व उभर सकता है।रायपुर से हेमन्त उपासनेNEWS
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