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मेनका गांधीबकरी का खुर कोई दवा नहींक्या बकरी के उबले हुए खुर का रस जोड़ों का दर्द ठीक कर सकता है तथा हड्डियों को मजबूत बना सकता है?-सुलक्षणा शर्मा, अनुपम गार्डन, नई दिल्लीजोड़ों के दर्द के उपचार के लिए बकरी के उबले हुए खुर के रस को पीना मूर्खता तथा अस्वास्थ्यकारी है। खुर का कोई औषधीय मान नहीं होता। वे सख्त तथा खुरदरी सतहों पर पशु के पांव की रक्षा करने के लिए रेशे की एक परत मात्र होते हैं। कई पशुओं की इस प्रकार नकली औषधि के लिए हत्या की जाती है। हकीम कभी कहते हैं कि कबूतर का खून, कभी उबली हुई छिपकलियां, कभी बकरे के खुर जोड़ों के दर्द को ठीक करेगा, परन्तु इन में से एक भी सही उपचार नहीं है।क्या सौन्दर्य प्रसाधनों तथा दवाओं पर भी शाकाहार हेतु हरा तथा मांसाहार हेतु लाल चिन्ह होना चाहिए?-आशुतोष शर्मा, मुबासीपुरा, मुरैना (म.प्र.)जी हां। कई सौन्दर्य उत्पादनों तथा दवाओं में मांसाहार पदार्थ होते हैं। उदाहरण के लिए, “लिपिस्टिक” में प्राय: मछली के स्केल होते हैं। “आई-लाइनर” तथा “लिपिस्टिक” में जिलाटिन को पशुओं की हड्डियों से, लैकुर को एक कीड़े की खाल आदि से, आयरन के टॉनिक को वध-गृहों से एकत्रित भैंसों के रक्त से, सभी “एंटीबायटिक कैप्सूलों” को पशुओं की हड्डियों से बनाया जाता है। माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया है कि सभी सौंदर्य प्रसाधनों तथा गैर-जीवन रक्षक दवाओं (जैसे टॉनिक तथा विटामिन) में यह चिन्ह होना चाहिए। परन्तु निर्माता इसका विरोध कर रहे हैं, क्योंकि वे सोचते हैं कि सत्य का पता चल जाएगा और लोग उनके उत्पादों का उपयोग करना बंद कर देंगे। आपको ऐसे विशिष्टि सौंदर्य प्रसाधनों, जिनमें ये “लेबल” नहीं लगा है, की शिकायत खाद्य तथा उपभोक्ता मामले विभाग तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को करनी चाहिए। आपको कंपनी को भी लिखना चाहिए।क्या चांदी का वर्क मांसाहार है?-कान्ति कुमार सोनीनवा काशीनगर, कोरवा (छत्तीसगढ़)चांदी के वर्क बनाने के लिए, चांदी की एक पतली धातू चादर को बैल की अंतड़ियों की कई परतों, जिन्हें एक पुस्तिका की तरह बांधा गया होता है, के बीच रखा जाता है। वध-गृह में जब पशु को मारा जाता है तो उसकी आंतें बाहर खींचकर तुरंत किसी वर्क बनाने वाले को बेच दी जाती है, क्योंकि गर्म आंतों में लचीलापन बना रहता है। वर्क निर्माता रक्त तथा मल को साफ करके, काट कर इसके टुकड़े करके उन्हें एक के ऊपर एक करके रखता है। तब वह खाल के बीचों-बीच चांदी की चादर रखता है और पुस्तिका को जब तक दबाता है जब कि यह चांदी के वर्क के रूप में बेचे जाने के लिए पर्याप्त पतला न हो जाए। बैल की अंतड़ियां चोट सहने तथा धातु की चादर को टूटने न देने के लिए, जब तक ये घिस कर पतले न हो जाए, पर्याप्त मजबूत होती हैं। बैल की अंतड़ियों के टुकड़े चांदी के वर्क का एक भाग बन जाते हैं। जैसे ही यह वर्क तैयार होगा, इसे सुपारी उद्योग, मिठाई की दुकान तथा मंदिर के बाहर थोक में बेचा जाएगा। सभी वर्क निर्माता केवल वध-गृह के बाहर ही मिलते हैं।इस स्तम्भ में हर पखवाड़े प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और शाकाहार कीे समर्पित प्रसारक श्रीमती मेनका गांधी शाकाहार, पशु-पक्षी प्रेम तथा प्रकृति से सम्बंधित पाठकों के प्रश्नों का उत्तर देती हैं। अपना प्रश्न भेजते समय कृपया निम्नलिखित चौखाने का प्रयोग करें।श्रीमती मेनका गांधी”सरोकार” स्तम्भद्वारा, सम्पादक, पाञ्चजन्यसंस्कृति भवन, देशबन्धु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-11005528
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