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आतंकवाद से प्रभावित लोगों के लिए राहत सामग्री से भरे एक ट्रक को रवाना करते हुए तत्कालीन गृहमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी। साथ में हैं (बाएं से) पूर्व रक्षा राज्यमंत्री श्री चमनलाल गुप्ता, पूर्व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री श्री शान्ता कुमार, पंजाब केसरी के सम्पादक श्री विजय कुमार चोपड़ा और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल
हिन्दी, पंजाबी और उर्दू भाषा में प्रकाशित होने वाले पंजाब केसरी ने सर्वप्रथम 1966 में बिहार के अकाल पीड़ितों की सहायता हेतु “बिहार राहत कोष” के लिए अपने पाठकों से रुपया एकत्र किया था। पर उसके इस कार्य में गति तब आयी जब 27 नवम्बर, 1983 को इस पत्र समूह के तत्कालीन सम्पादक श्री रोमेश चन्द्र ने “शहीद परिवार कोष” की स्थापना की।
पंजाब केसरी के सेवा कार्य
1966 से 2001 तक देश में आई 27 बड़ी विपदाओं से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए-
28,10,27,444 रु.
1984 से 2003 तक साम्प्रदायिक दंगों, आतंकवादी वारदातों और इसी तरह की अन्य घटनाओं से प्रभावित 6,490 परिवारों की सहायता के लिए –
8,35,93,122 रु.
कुल – 36,46,20,566 रु.
इस कोष की स्थापना के पीछे एक महत्वपूर्ण घटना थी। 5 अक्तूबर, 1983 को दिल्ली से कपूरथला जा रही एक बस को रोककर धीलवान के निकट आतंकवादियों ने 6 यात्रियों की हत्या कर दी। इसके बाद इन यात्रियों के आश्रितों को भारी कष्ट झेलना पड़ा। श्री रोमेश चन्द्र एक दिन इन आश्रितों से मिलने गए और उन्होंने इनकी सहायता करने का बीड़ा उठाया। बस यहीं से शुरू हुआ पंजाब में आतंकवाद पीड़ितों की सहायता का अनूठा कार्यक्रम। उन्होंने प्रतिमाह विधवा महिलाओं को सहायता देने और अनाथ बच्चों के लिए भोजन, कपड़े और पढ़ाई की व्यवस्था की।
यह आज भी जारी है। मई 1984 से मई, 2003 तक यानी 19 वर्षों में शहीद परिवार कोष में 8,61,01,256 रुपए जमा हुए। इनमें से 8,35,93,122 रु. खर्च करके अब तक 6,490 परिवारों की मदद की जा चुकी है। इन परिवारों में पंजाब के आतंकवाद से प्रभावित एवं दिल्ली में 1984 के दंगे में लूट चुके परिवार हैं, तो वहीं जम्मू-कश्मीर के विस्थापित और शहीद हुए वीर सैनिकों के आश्रित भी। इनके अलावा इस समूह ने उड़ीसा के चक्रवात, लातूर और गुजरात के भूकम्प से प्रभावित लोगों की सहायता में भी करोड़ों रुपए की धनराशि खर्च की है।
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