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किसके जवान?
-जम्मू से विशेष प्रतिनिधि
मुफ्ती मोहम्मद सईद
पवित्र अमरनाथ की यात्रा को लेकर इस बार विवाद इसलिए उत्पन्न हो गया, क्योंकि हिन्दू मान्यताओं एवं पञ्चांग के अनुसार इस वर्ष अधिक मास (मलमास) आने से गुरु पूर्णिमा (व्यास पूर्णिमा) तथा रक्षा बंधन (श्रावण पूर्णिमा) के बीच दो मास का समय हो गया। प्रत्येक 12 वर्ष बाद अधिक मास के कारण दो श्रावण पूर्णिमाएं आती हैं। इसलिए पवित्र अमरनाथ यात्रा की अवधि इस वर्ष एक माह की बजाय दो माह की होगी। यह यात्रा 2 जुलाई (गुरु पूर्णिमा) से आरम्भ होकर 30 अगस्त (रक्षा बन्धन) तक चलेगी।
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल, जो श्री अमरनाथ धार्मिक न्यास (श्राइन बोर्ड) के पदेन अध्यक्ष हैं, ने हिन्दू मान्यताओं को स्वीकार करते हुए यात्रा की अवधि एक की बजाय दो माह तक करने की अनुमति दे दी थी। किन्तु मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने सुरक्षा की दुहाई देकर अवधि न बढ़ाने की घोषणा कर दी। बाबा अमरनाथ यात्रा न्यास, विश्व हिन्दू परिषद्, बाबा अमरनाथ यात्रा छड़ी मुबारक के महन्त स्वामी दीपेन्द्र गिरी तथा श्री अमरनाथ धार्मिक न्यास के सदस्यों सहित अनेक धार्मिक, सामाजिक तथा यात्रा के दौरान सेवा करने वाले संगठनों ने इसके विरुद्ध एक बड़े आंदोलन को चेतावनी दी। यात्रा के महत्व और परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्य मंत्रिमण्डल के चार कांग्रेसी मंत्रियों ने भी अपने त्यागपत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद को भेज दिए। इसके पश्चात् मुख्यमंत्री द्वारा पहले घोषित यात्रा की अवधि 30 दिन से बढ़ाकर 40 दिन करने की बात कही गई। पुन: न्यास तथा राज्यपाल के साथ बैठक के बाद घोषणा की गई है कि इस वर्ष पवित्र अमरनाथ यात्रा 15 जुलाई से प्रारंभ होकर 30 अगस्त तक अर्थात् रक्षाबंधन तक चलेगी। अर्थात् कुल 45 दिन। किन्तु धार्मिक संस्थाओं ने सरकार के इस निर्णय को यह कहकर स्वीकार करने से इंकार कर दिया है कि आस्थाओं के प्रश्न पर सरकार के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इन संगठनों में मुख्यमंत्री के व्यवहार को लेकर भी रोष है। मुख्यमंत्री ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे उन्होंने यात्रा की अवधि बढ़ाकर कोई अहसान किया हो।
सरकार के निर्णय के बावजूद श्री अमरनाथ न्यास के प्रमुख डा. रमाकांत दुबे के नेतृत्व में साधु-सन्तों तथा श्रद्धालुओं का पहला बड़ा जत्था 1 जुलाई को जम्मू से पहलगाम के लिए प्रस्थान कर गया है। ये तीर्थयात्री परम्परा के अनुसार 2 जुलाई (गुरु पूर्णिमा) को पवित्र अमरनाथ यात्रा के आधार शिविर पहलगाम में आयोजित भूमि-पूजन में भाग लेंगे। भूमि-पूजन तथा ध्वजारोहण का कार्यक्रम छड़ी मुबारक के मुख्य महंत दीपेन्द्र गिरि की देखरेख में किया जाएगा। परन्तु राज्य सरकार इन तीर्थयात्रियों के साथ कोई सहयोग नहीं कर रही है, जिसके कारण अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। डा. रमाकांत दुबे ने अरोप लगाया है कि सरकार अनेक प्रकार से अमरनाथ यात्रियों तथा उन्हें सुविधाएं प्रदान करने वाली सेवा संस्थाओं को हतोत्साहित करने में जुटी है।
जम्मू-कश्मीर सरकार के सुरक्षा के तर्कों को खारिज करते हुए अमरनाथ यात्रा न्यास, विश्व हिन्दू परिषद् तथा अन्य संगठनों का कहना है कि एक ओर यह दावा किया जा रहा है कि सुरक्षा की स्थिति में सुधार के कारण बड़ी संख्या में पर्यटक कश्मीर घाटी आ रहे हैं। दूसरी तरफ तीर्थयात्रा की अवधि घटाने के बारे में भी सुरक्षा का ही हवाला दिया जा रहा है। सरकार स्पष्ट करे कि सुरक्षा की दृष्टि से स्थिति बेहतर हुई है या बदतर। पर सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता जता रहे मुख्यमंत्री को क्या यह मालूम है कि इस राज्य की सुरक्षा में देशभर के जवान जुटे हैं? वे राज्य को आतंकवाद से मुक्त कराने के लिए अपना बलिदान दे रहे हैं? सिर्फ इसलिए कि कश्मीर उनका है। जब वे जवान सुरक्षा कारणों से पवित्र अमरनाथ यात्रा की अवधि घटाए जाने की मांग नहीं कर रहे हैं तो मुफ्ती मोहम्मद सईद को ही आपत्ति क्यों है?
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