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पाञ्चजन्य पचास वर्ष पहलेवर्ष 9, अंक 20, कार्तिक शुक्ल 14, सं. 2012 वि., 28 नवम्बर, 1955, मूल्य 3 आनेसम्पादक : गिरीश चन्द्र मिश्रप्रकाशक – श्री राधेश्याम कपूर, राष्ट्रधर्म कार्यालय, सदर बाजार, लखनऊ”यू.पी.ए.” और “नेफीन” की साठगांठ?भारत में दूषित अमरीकी प्रचार की कुत्सित योजना सरकार इस ओर तुरंत ध्यान दे(निज प्रतिनिधि द्वारा)नई दिल्ली : आप जानते हैं “नेफीन” क्या है? नहीं तो सुनिए। “नेफीन” एक समाचार समिति है जो समय-समय पर कुछ विशेष एवं आकर्षक समाचार प्रसारित करती है। कभी-कभी इसके समाचार इतने आकर्षक होते हैं कि अच्छे से अच्छे विद्वान को भी कुछ क्षण सोचने को बाध्य होना पड़ता है, क्या वास्तव में ऐसा है! “नेफीन” अंग्रेजी के एन.ए.एफ.इ.एन. शब्दों का समूह है। यह “नीयर फार ईस्ट न्यूज एजेन्सी” का संक्षिप्त रूप है। इस समाचार समिति के दिल्ली, कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में कार्यालय हैं।इस समाचार समिति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न- भिन्न नामों से काम करती है। उदाहरणार्थ सन् 1952 ई. तक यह समिति भारत में “ग्लोब न्यूज एजेन्सी” के नाम से काम करती थी। मध्य पूर्व में यही समाचार समिति ” अरब न्यूज एजेन्सी” के नाम से काम कर रही है और पाकिस्तान में “ग्लोब” के नाम से। स्मरण रहे “ग्लोब एजेन्सी” भारत विभाजन से पूर्व मुस्लिम लीग की भोंपू थी और पाकिस्तान निर्माण की समर्थक। “नेफीन” को भारतीय समाचार पत्रों से पर्याप्त आय नहीं होती है अत: उसने दूसरे साधनों से धन कमाने का निश्चय किया है। उसने यू.पी.ए. (यूनाइटेड प्रेस आफ अमरीका) से गठबंधन किया है। “यू.पी.ए.” एक ऐसी अमरीकी समाचार समिति है जिसके पास अत्यधिक धन है। किन्तु उसका दुर्भाग्य है कि भारतीय समाचार पत्र उसकी इस चाल को समझ गए हैं और इसलिए उसके चक्कर में नहीं फंसते।मुख्यमंत्री द्वारा जनता के बीच भाषण देने से इन्कार(विशेष प्रतिनिधि द्वारा)श्रीनगर: (गढ़वाल)। “क्या जनता मेरा भाषण सुनने पुराने मोटर अड्डे पर उपस्थित नहीं हो सकती?” ये शब्द थे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. सम्पूर्णानन्द के, जो उन्होंने स्थानीय टाउन एरिया के अध्यक्ष तथा जनता के प्रतिनिधियों को उनके इस अनुरोध के उत्तर में दिए कि वे (मुख्यमंत्री) पूर्व निश्चित सभा-स्थल पर चलकर प्रतीक्षा में बैठी जनता के समक्ष भाषण देने की कृपा करें!! इसके पश्चात् क्या हुआ? मुख्यमंत्री ने अध्यक्ष तथा जनता के प्रतिनिधियों का विनम्र अनुरोध ठुकरा दिया। पूर्व निश्चित स्थल पर प्रतीक्षा में बैठी जनता को निराश होना पड़ा। मुख्यमंत्री का भाषण सुनने की लालसा से उपस्थित लोगों को बिना भाषण सुने ही अपने-अपने घर वापस जाना पड़ा। पूरी घटना इस प्रकार है:- मुख्यमंत्री डा. सम्पूर्णानन्द गढ़वाल जिले का दौरा करते हुए दिनांक 20 नवम्बर को श्रीनगर पहुंचने वाले थे। 10 बजे स्थानीय गवर्नमेंट इण्टर कालेज में सार्वजनिक सभा में उनका भाषण होने वाला था। उक्त अवसर पर टाउन एरिया तथा जनता द्वारा मुख्यमंत्री का अभिनन्दन भी किया जाने वाला था। किन्तु 20 नवम्बर को 8 बजे अचानक टाउन एरिया के अध्यक्ष को जिलाधीश का तार मिला जिसमें आदेश दिया गया था कि सार्वजनिक सभा का स्थान गवर्नमेंट इण्टर कालेज न रखकर पुराना मोटर स्टैण्ड रखा जाए। अध्यक्ष महोदय के सम्मुख समस्या उपस्थित हो गई कि इतने अल्पकाल में कार्यक्रम का स्थान कैसे बदला जाए। अत: अध्यक्ष महोदय ने अपनी असमर्थता प्रकट करते हुए एक शीघ्रगामी तार जिलाधीश की सेवा में प्रेषित किया। ठीक समय मुख्यमंत्री श्रीनगर पधारे। प्रथम द्वार पर ही जनता तथा टाउन एरिया के अध्यक्ष ने उनका स्वागत किया। किन्तु मुख्यमंत्री ने अजीब लहजे से अनुरोध अस्वीकृत करते हुए उत्तर दिया, “क्या जनता मेरा भाषण सुनने के लिए पुराने मोटर अड्डे पर नहीं आ सकती?”गोआ-मुक्ति के लिए भारतीय जनसंघ दृढ़प्रतिज्ञबम्बई को तीन पृथक राज्यों में विभाजित करने का सुझाव अनुचितमहाराष्ट्र प्रदेश जनसंघ अधिवेशन के अध्यक्ष पद से श्री उत्तमराव पाटिल का भाषण(निज प्रतिनिधि द्वारा)महांकाल नगर, कल्याण। मध्य भारत जनसंघ ये युवा श्रमिक नेता तथा गोआ संग्राम के अमर सेनानी राजाभाऊ महांकाल की स्मृति में निर्मित, विशाल “महांकाल नगर” में महाराष्ट्र प्रदेश जनसंघ का द्वितीय वार्षिक अधिवेशन, प्रारम्भ हुआ। इस अवसर पर अध्यक्ष पद से भाषण करते हुए बम्बई विधान परिषद् के सदस्य श्री उत्तमराव पाटिल ने घोषणा की “यदि भारत सरकार 26 जनवरी, 1956 तक गोआ का प्रश्न शांति पूर्ण या प्रभावी मार्गों से न सुलझा सकी तो भारतीय जनता को सरकार को ठिकाने पर लाने के लिए पुन: सत्याग्रह के समान अहिंसात्मक मार्ग अपनाना पड़ेगा।”17
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