गहरे पानी पैठ
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गहरे पानी पैठ

by
Feb 5, 2004, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 05 Feb 2004 00:00:00

माक्र्सवादियों के बदले सुरचुनाव का समय आते ही क्या धर्म को “अफीम” मानने वाले प. बंगाल के माक्र्सवादियों का दिल बदल रहा है? खबरें मिली हैं कि अब उन्हें रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद की याद आने लगी है। भारतीय जनमानस में धर्म के प्रति आस्था को देखकर उन्होंने ऐसा प्रचार करना शुरू किया है जिसमें पारम्परिक और धार्मिक आस्थाओं का पुट बहुत ज्यादा दिखता है।पिछले दिनों मतदाताओं को जारी एक अपील में प. बंगाल वाम मोर्चे के अध्यक्ष विमान बोस ने कहा, “आप लोग हमें ही वोट दें, क्योंकि हम ही स्वामी विवेकानंद, विद्यासागर, खुदीराम और प्रफुल्ल चाकी की परम्परा के वास्तविक उत्तराधिकारी हैं। हालांकि हम रामकृष्ण और विवेकानंद को एक ही स्तर पर नहीं रखते, परन्तु ज्योति बसु ने कई अवसरों पर रामकृष्ण के प्रति अपने सद्विचार व्यक्त किए हैं।” बोस के इस बयान से साफ है कि अपने धर्म विरोधी रुख के कारण जनता द्वारा एक कोने में पटक दिए गए माक्र्सवादियों को अब चिंता सता रही है। अब वे अपने पुराने सिद्धान्तों को तिलांजलि देने की कोशिश में लगे दिखते हैं। दरअसल, पिछले कुछ समय से प. बंगाल में हिन्दुत्व के प्रति भावनात्मक रुझान बढ़ा है और बंगाल के हिन्दुओं ने अनेक अवसरों पर इस बात के संकेत दिए हैं कि वे एकमत होकर धर्मविरोधी विभाजनकारी ताकतों को हाशिए पर पहुंचा देंगे। उनका कहना है कि वोट की ताकत के बल पर वाममोर्चे को उसकी सही जगह पहुंचा दिया जाएगा। राज्य के वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों का कहना है कि तथाकथित साम्प्रदायिकता के विरोध में खड़े दल, जो वस्तुत: हिन्दुत्व विरोधी हैं, अब स्वीकार्य नहीं होंगे।अब आतंकवाद से एड्स भीनेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (नाको) के अनुसार जम्मू-कश्मीर राज्य में एड्स के रोगियों की संख्या 14,589 हो गई है। इनमें से काफी लोग कश्मीर घाटी में हैं। दुर्भाग्य से सामाजिक बदनामी के डर से अधिकांश मामले तो सामने ही नहीं आते। “बोन्स एन ज्वाइंटस्” अस्पताल के डाक्टर फारुख दर के अनुसार राज्य में केवल चार अस्पतालों में एड्स के परीक्षण की सुविधाएं हैं और चारों ही अस्पताल श्रीनगर में हैं। किसी भी जिला और उप जिला अस्पताल में ये सुविधाएं नहीं हैं। चौंका देने वाली बात तो यह है कि कई अफगानी और पाकिस्तानी इस जानलेवा वायरस को अनैतिक यौन सम्बन्धों के जरिए फैला रहे हैं। इसके अलावा “मेहमान मुजाहिदीनों” के अनियंत्रित व्यवहार से यह समस्या और भी अधिक विकराल हुई है। हाल ही में एच.आई.वी. संक्रमण के 273 मामले प्रकाश में आए हैं। इनमें घाटी के 6 जिलों के 40 मामले भी शामिल हैं। यह संक्रमण राजौरी, पुंछ जिलों के साथ-साथ सीमावर्ती कुपवाड़ा और बारामूला में भी फैल रहा है। राजौरी जिले में नौ लड़कियों में एच.आई.वी. वायरस पाया गया। पूछताछ से पता चला कि विदेशी आतंकवादियों ने इन लड़कियों का दैहिक शोषण किया था।सर्वहारा के शत्रुअपने को गरीबों और मजदूरों की हितैषी कहने वाली माकपा और उसके कुछ सहयोगी वामपंथी दल पिछले 27 साल से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज हैं। पर इस दौरान वहां सबसे ज्यादा शोषण मजदूरों का ही हुआ है। वामपंथी आतंक, आयेदिन हड़ताल आदि के कारण वर्षों से हजारों मजदूरों को रोजगार देने वाले कई कारखाने बन्द हो चुके हैं। इनमें हुगली जिले का डनलप टायर कारखाना और उत्तर 24 परगना जिले की काटन मिल भी शामिल है। जूट उद्योग से जुड़े मजदूरों की व्यथा तो और भी भयावह है। जो मजदूर अभी नौकरी कर रहे हैं, उनको दो-तीन महीने बाद वेतन मिलता है और वह भी मात्र 15 दिन या एक महीने का। और जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उन्हें कई साल गुजरने के बाद भी भविष्यनिधि आदि मदों में जमा पैसा नहीं मिल पाया है। बकाया पैसा आज मिलेगा, कल मिलेगा- इसी आशा पर जीने वाले कई मजदूर तो वर्षों इन्तजार करते-करते दम तोड़ चुके हैं। अपनी मांगों और अधिकारों को लेकर 1993 से 2002 तक विभिन्न मजदूर संगठनों ने 32 बार हड़तालें कीं। इन हड़तालों में लगभग 6 लाख मजदूरों ने भाग लिया था। किन्तु पूंजीपतियों और वरिष्ठ वामपंथी नेताओं के बीच हुए गुप्त समझौतों से मजदूरों की आवाज दब गई। इस कारण कल-कारखाने निरंतर बन्द हो रहे हैं और मजदूर आत्महत्या के लिए विवश हैं। इसी माह कलकत्ता की बजबज जूट मिल भी बन्द हो गई है। इससे लगभग 4 हजार मजदूरों के सामने भूखों मरने की स्थिति आ गई है।21

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