गांधी जी की पौत्रवधू भाजपा मेंगांधी की वह कांग्रेस तो कब की मर चुकी है-सरस्वती गांधी, गांधी जी की पौ
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गांधी जी की पौत्रवधू भाजपा मेंगांधी की वह कांग्रेस तो कब की मर चुकी है-सरस्वती गांधी, गांधी जी की पौ

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Feb 5, 2004, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 05 Feb 2004 00:00:00

गांधी जी की पौत्रवधू भाजपा मेंगांधी की वह कांग्रेस तो कब की मर चुकी है-सरस्वती गांधी, गांधी जी की पौत्रवधू और स्वतंत्रता सेनानीगांधी जी के हाथों गढ़ी गई कांग्रेस को वंशवाद की झोली में जाते देख कितने ही कांग्रेसियों का मोह भंग हुआ है। स्वयं गांधी जी के परिवारजनों ने इस पीड़ा को इतनी गहराई से अनुभव किया कि कांग्रेस छोड़ने में ही भलाई समझी। पिछले दिनों गांधी जी की पौत्रवधू श्रीमती सरस्वती गांधी कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गर्इं। गांधी जी के सबसे छोटे बेटे हरीलाल गांधी के पुत्र कांतिलाल हरीलाल गांधी की पत्नी श्रीमती सरस्वती गांधी अपने तीन महीने के बेटे को गोद में लेकर मैसूर मुक्ति आंदोलन में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष में शामिल हुई थीं, गिरफ्तार की गर्इं, जेल भेजी गर्इं।सरस्वती गांधी की कांतिलाल गांधी से भेंट और उनका विवाह बंधन में बंधना एक संयोग ही था। कांतिलाल गांधी की प्रतिभा को देखते हुए सी. राजगोपालचारी ने गांधी जी को सुझाव दिया था कि उन्हें, टंकण और आशुटंकण सीखने के लिए तिरुअनंतपुरम् भेजना चाहिए ताकि वह गांधी जी को सहयोग दे सकें। इस प्रकार कांतिलाल गांधी को प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी जी. रामचन्द्रन के घर भेजा गया। वहीं उनकी मुलाकात जी. रामचन्द्रन की भतीजी सरस्वती से हुई और फिर दोनों राजकोट में वैवाहिक बंधन में बंध गए। तिरुअनंतपुरम् स्थित अपने निवास पर श्रीमती सरस्वती गांधी से पाञ्चजन्य ने विशेष बातचीत की। यहां प्रस्तुत है उनसे हुई वार्ता के प्रमुख अंश–प्रदीप कुमारभारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के आपके निर्णय के पीछे क्या कारण रहे?गांधी जी की कांग्रेस बहुत पहले ही मर चुकी है। वह कांग्रेस पार्टी जिसने भारत का स्वतंत्रता का संग्राम लड़ा, आज पूरी तरह समाप्त है। और वर्तमान कांग्रेस नेताओं के मन में देश के प्रति लेशमात्र भी प्रेम नहीं है। मुझे लगता है देश का भविष्य भाजपा के हाथों में ही सुरक्षित रहेगा।कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व के बारे में आपके क्या विचार हैं?हम कांग्रेसियों ने पूरा स्वतंत्रता संग्राम भारतभूमि पर से विदेशियों को भगाने के लिए लड़ा था। और आज कांग्रेसी सोनिया को देश का प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं, वही सोनिया जो भारत आने के बाद भी 15 साल तक एक विदेशी की हैसियत से रहीं। वह हमारे देश के बारे में कितना जानती हैं? इस देश की विस्तृत और वैविध्यपूर्ण संस्कृति एवं सभ्यता की उन्हें कितनी जानकारी है?छद्म सेकुलरवादी अक्सर आरोप लगाते हैं कि भारत में साम्प्रदायिक संघर्ष के लिए भाजपा दोषी है। देश की साम्प्रदायिक स्थिति, विशेष रूप से गुजरात दंगों के बाद, पर आपके क्या विचार हैं?ऐसा कहने वाले अक्सर भूल जाते हैं कि गुजरात दंगे गोधरा नरसंहार की प्रतिक्रियास्वरूप हुए थे। निर्दोष हिन्दुओं को रेल में जिंदा जला देने के बाद ही हिंसा का उफान आया था। इस सन्दर्भ में मैं यह कहना चाहूंगी कि गांधी जी का अहिंसा का सिद्धान्त हर परस्थिति में लागू नहीं होता। अगर हमें इस देश को बचाना है तो कायरता छोड़नी होगी।अक्सर माना जाता है कि कट्टरवादी मुसलमानों के प्रति बापू का नरम रवैया भारत विभाजन का कारण बना। क्या हम कह सकते हैं कि गांधी जी मुसलमानों के मनोविज्ञान को ठीक से समझ नहीं पाए थे?यह बिल्कुल ठीक है। लेकिन गांधी जी अपनी विचारधारा के प्रति पूरी तरह गंभीर थे। उनकी कट्टरवादी मुसलमानों के प्रति सोच कुछ अलग हटकर थी। अंतत: जब भारत का विभाजन हो गया तो उनका दिल टूट गया था, वे बहुत परेशान थे।स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले दो महत्वपूर्ण परिवारों- नेहरू और गांधी परिवारों के बीच आज बहुत दूरी हो गई है। गांधी परिवार के किसी सदस्य ने सत्ता का स्वाद नहीं चखा जबकि नेहरू परिवार सत्ता के पीछे ही दौड़ता रहा है। आप इस पर क्या कहा चाहेंगी?मैं यह स्वीकार करती हूं कि इंदिरा गांधी तक नेहरू परिवार ने देश के लिए बहुत कुछ बलिदान किया। लेकिन यह भी समझना चाहिए कि कांग्रेस ने सिर्फ सत्ता प्राप्त करने के लिए गांधी जी के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल किया। आज कांग्रेस में जो गांधी हैं, उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के महानायक गांधी का नाम इस्तेमाल करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। इस महान पार्टी की दशा देखकर मुझे शर्म आती है। गांधी परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में पिछले दरवाजे से नहीं गया, गांधी जी स्वयं भी इसे स्वीकार नहीं करते।आपकी दृष्टि में भारत का भविष्य कैसा होगा?भारत की शक्ति और क्षमता युवाओं में है, दुर्भाग्य से वे अपने तौर-तरीकों, वेश-भूषा और विचारों में पश्चिम की नकल करने लगे हैं। लेकिन साथ ही यह भी दिखाई देने लगा है कि युवाओं में देशभक्ति का भाव तेजी से उपज रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन में युवाओं को प्रेरणा देने वाली शक्ति देशप्रेम ही थी। धीरे-धीरे उनमें यह भाव कम होता गया लेकिन अब फिर यह दौर लौट रहा है। मुझे पूरा विश्वास है कि स्थितियां सुधरेंगी और भारत तेजी से और चमकेगा।क्या आप चाहती हैं भारत की समस्याओं को सुलझाने के लिए गांधीजी का पुनर्जन्म हो?कभी नहीं। गांधी जी और उनके सिद्धान्तों की आज किसे चिंता है? और आज की परिस्थितियों में उनके कई विचार अव्यवहारिक भी लग सकते हैं। हमें समय के अनुसार बदलाव को स्वीकार करना होगा, उसे अंगीकार करना होगा।20

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