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पाकिस्तान की किताबों में
अमरीका के फरमान पर बदले सबक
-मुजफ्फर हुसैन
हथियार खरीदने के लिए अपने मित्र देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करने में अमरीका चर्चित रहा है। लेकिन इस बार एक चौंका देने वाला समाचार मिला है। अमरीका ने पाकिस्तान के विद्यालयों का पाठ्यक्रम बदलने के लिए उसे 2 अरब 82 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी है। पाकिस्तान के विद्यालयों का भावी पाठ्यक्रम अब वहां के मौलाना और शिक्षा शास्त्री नहीं बना रहे हैं, बल्कि वाशिंग्टन द्वारा चुने गए विद्वान इस कार्य को पूरा करने में जुटे हुए हैं। प्राथमिक एवं माध्यमिक कक्षाओं के लिए बहुत सी पुस्तकें तैयार हो गई हैं और जो शेष हैं, वे अगस्त माह तक तैयार हो जाएंगी। पाकिस्तान सरकार के इस कदम पर वहां के अखबारों ने अनेक प्रकार की टिप्पणियां की हैं।
लाहौर से प्रकाशित दैनिक नवाए वक्त लिखता है, “अमरीकी विदेश मंत्री कालिन पावेल ने कहा है कि पाकिस्तान सहित सभी मुस्लिम देशों के मदरसे पुरातनपंथियों और आतंकवादियों के अड्डे हैं। उन्हें समाप्त करने के लिए जनरल मुशर्रफ अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।”
पेशावर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेक स्ट्रा का कहना था कि मदरसों और विद्यालयों की पढ़ाई में संशोधन का हम स्वागत करते हैं। अमरीकी सुरक्षा परिषद् की सलाहकार कोंडालिसा राइस ने सीनेट में कहा कि अमरीका के विरुद्ध पाकिस्तान में बढ़ती नफरत का स्थायी इलाज वहां की शिक्षा मंत्री जुबेदा जलाल पाठ्यक्रम परिवर्तन द्वारा कर रही हैं।
अमरीकी संस्था एजुकेशन सेक्टर रिफार्मर (इसरा) के कार्यकारी संचालक श्री ब्रााइन ने इस्लामाबाद में कहा कि पाठ्यक्रम में संशोधन के लिए अमरीका ने 2 अरब 82 करोड़ रुपए (60 करोड़ डालर) पाकिस्तान को दिए हैं। (दैनिक खबर, लाहौर)।
पाकिस्तान की शिक्षा मंत्री जुबेदा जलाल, जो कि अमरीकी राष्ट्रपति बुश की पत्नी सारा बुश की मित्र हैं, ने पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेम्बली में कहा कि जीवविज्ञान की पुस्तक में कुरान की आयत का क्या काम? और यदि पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब की जीवनी के सामने किसी जानवर का चित्र आ भी गया तो इसमें कौन सा आसमान टूट पड़ा है? पाकिस्तान में विदेशी संस्थाओं और गैर सरकारी संगठनों के दरवाजे खोल दिए गए हैं। वे पुस्तकों में मनचाहा परिवर्तन कर रहे हैं।
आक्सफोर्ड प्रिंटिंग प्रेस (ब्रिटेन) मैट्रिक, एफ.ए.और एफ.एस.सी.स्तर की कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम तैयार कर रही है। इनमें से कुछ पुस्तकें इस प्रकार हैं-
“मुगल सराए” नामक उपन्यास, जिसमें युवक और युवतियों के अंतरंग सम्बंधों की चर्चा है। “कश्ती” नामक पुस्तक में एक लड़के और लड़की की प्रेम कहानी है। “कपास की कहानी” में एक ऐसी नायिका का वर्णन है जिसके अनेक पुरुष मित्र हैं।
“दि गन रीडिंग प्रोग्राम” प्राथमिक पाठशालाओं के लिए पुस्तक तैयार करने वाली संस्था है। इसमें एक पुस्तक है, “देवी-देवताओं की कहानियां”, दूसरी है, “बिल्ली हज को चली।” इसमें बिल्ली को वे कपड़े पहने हुए दर्शाया गया है जो हज के समय पहने जाते हैं, जिन्हें “अहराम” कहा जाता है।
“अल्लाह तआला की हम्द” (परमपिता परमेश्वर की प्रशंसा) अध्याय के सामने वाले पृष्ठ पर जानवरों के चित्र हैं। पैगम्बर साहब की जीवनी वाले पाठ के सामने एक जानवर का चित्र प्रकाशित किया गया है। पृष्ठ 132 पर एक बैंक का विज्ञापन प्रकाशित किया गया है।
नेशनल बुक फाउंडेशन पाकिस्तान सरकार की संस्था है। इसने भी जो पुस्तकें छापी हैं, उनका उल्लेख करना भी जरूरी है। आठवीं कक्षा के लिए अंग्रेजी की पुस्तक में पृष्ठ 50 पर एक कविता प्रकाशित की गई है, जिसमें लिखा है… “अल्लाह पहाड़, वृक्ष और अन्य वस्तुएं बनाने के बाद थककर आराम करने चला गया। फिर उठकर उसने नाचने और गाने वाली एक गुड़िया पैदा की।” इतिहास की पुस्तक में पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब को कभी उनकी माता अमीना की गोद में और कभी धाय हलीमा की गोद में चित्रित किया गया है। प्रथम खलीफा हजरत अबूबकर और दूत जिबरईल (गेब्रिल) की भी तस्वीर छापी गई है।
पंजाब टेक्स्ट बुक्स बोर्ड द्वारा तीसरी कक्षा के लिए प्रकाशित पुस्तक में से “मीनारे पाकिस्तान” और “शहीद” पाठ निकाल दिए गए हैं। कक्षा 4 की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में से महमूद गजनी से हिंदू राजा जयपाल की हार सम्बंधी घटना को भी निकाल दिया गया है। इसके लिए कारण बताया गया है कि इससे हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचती है। छठीं कक्षा की पुस्तक से मोहम्मद बिन कासिम का पाठ भी अब हटा दिया गया है। शाह वलीउल्लाह और सर सैयद अहमद खान सम्बंधी जानकारी देने वाले पाठों को खारिज कर दिया गया है। सातवीं कक्षा की विज्ञान की पुस्तक में जानकारी दी गई है कि संतान की उत्पत्ति किस प्रकार होती है। भूगोल की पुस्तक में जहां भी पाकिस्तान का नक्शा प्रकाशित किया गया है, उसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के सामने विवादग्रस्त भाग लिखा गया है। अब तक पाकिस्तान के इतिहास में यह लिखा जाता था कि 1947 में मुसलमान हिंदुओं से अलग हुए, लेकिन अब यह लिखा जाने लगा है कि “वे अपने ही देशवासियों से अलग हुए”।
बलूचिस्तान टेक्स्ट बुक्स बोर्ड ने भी ऐसी बहुत सी पुस्तकें छापी हैं, जिनमें इस्लाम के महापुरुषों के सम्बंध में अनेक निराधार तथ्य प्रकाशित किए गए हैं। दसवीं कक्षा में पढ़ाई जाने वाली ऊर्दू साहित्य की एक पुस्तक के पृष्ठ 36 पर एक युवक को एक लड़की का पीछा करते हुए दिखाया है। सिंध टेक्स्ट बुक्स बोर्ड ने आठवीं कक्षा के लिए इतिहास की जो पुस्तक तैयार की है, उसमें पृष्ठ 98 पर लिखा है कि पाकिस्तान की कल्पना हिंदू संगठनों की देन है। इतिहास की पुस्तकों से 1965 और 1970 के युद्ध में वीरता दिखाने वाले लोगों के नाम और उनके कारनामे खारिज कर दिए गए हैं। आठवीं की पुस्तक में “रोजगार पाने के अवसर” पाठ में लिखा गया है कि वे गायकी को पेशे के रूप में अपना सकते हैं। पुस्तकों में से पाकिस्तान का ध्वज और जिन्ना संबंधी पाठ निकाल दिए गए हैं। उपरोक्त जानकारी पाकिस्तान कीसाप्ताहिक “तकबीर” पत्रिका ने अपने 3 जून के अंक में प्रकाशित की है। पाकिस्तान के शिक्षा शास्त्रियों का कहना है कि पाठ्यक्रमों में मनमाना परिवर्तन करने के बाद तो अब कुरान, हदीस और इस्लामी कायदे-कानून में परिवर्तन की बारी है।
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