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अरुणाचल में गेगांग अपांग के नेतृत्व में भाजपा सरकारदेशहित में भाजपा से जुड़ने का फैसला किया-एन. एरिंग, उपाध्यक्ष विधानसभा, अरुणाचल प्रदेशअरुणाचल में राजनीतिक हालात बहुत तेजी से बदले हैं। गत 2 अगस्त को पूर्ववर्ती मिथि सरकार विधानसभा में विश्वास मत पर ध्वनि मत से परास्त हो गई। 3 अगस्त को मिथि सरकार में रहे 22 विधायकों को साथ लेकर श्री गेगांग अपांग ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अपांग के नेतृत्व में मिथि सरकार से अलग हुए कांग्रेस (डी.) के 38 विधायकों के सहयोग से संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे की सरकार बनी थी। परन्तु गत 22 अगस्त की देर शाम को संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे के झण्डे तले बनी अपांग सरकार ने भाजपा की सदस्यता ली। अरुणाचल विधानसभा के उपाध्यक्ष श्री एन. एरिंग गत दिनों दिल्ली में थे। पाञ्चजन्य ने उनसे अरुणाचल की राजनीतिक स्थिति के संबंध में जो बातचीत की उसके मुख्य अंश इस प्रकार हैं-द आलोक गोस्वामीथ् अरुणाचल में अनेक विधायक भाजपा से जुड़े हैं। खुद मुख्यमंत्री अपांग भी भाजपा में शामिल हो गए। पिछले दिनों अरुणाचल में तेजी से बदलीं राजनीतिक परिस्थितियों के बारे में बताएं।दृ अरुणाचल प्रदेश में मुकुट मिथि सरकार के हटने के बाद संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (संलमो) की सरकार मुख्यमंत्री गेगांग अपांग के नेतृत्व में सत्ता में आई थी। श्री अपांग अरुणाचल कांग्रेस के एकमात्र विधायक थे, उन्हें कांग्रेस (डी) के हम 38 विधायकों, दो निर्दलीय और एक असंलग्न सदस्य ने समर्थन दिया था। कांग्रेस (डी) के नेता कामेंग डोलों अभी उप मुख्यमंत्री हैं।हम लोगों ने तय किया कि तीन-चार प्रकार के भिन्न दलों की संलोमो सरकार की बजाय क्यों न एक दल के रूप में संगठित हों ताकि सरकार में स्थिरता आए। इस विषय में भाजपा उपाध्यक्ष श्री प्यारेलाल खण्डेलवाल और भाजपा के उत्तर-पूर्व राज्यों के प्रभारी श्री वी.सतीश से बातचीत की। निर्णय हुआ कि हम करीब 27 लोग भाजपा में शामिल होंगे। लेकिन बाद में मुख्यमंत्री अपांग सहित अन्य तीन विधायक भी भाजपा में शामिल हुए हैं।थ् भाजपा से जुड़ने की कोई खास वजह?दृ हमने श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पांच वर्ष का राजग शासन देखा है। कई प्रांतों के विभिन्न रंग-रूप के दलों को साथ लेकर चलने के उनके अनुभव ने प्रभावित किया। हमें लगा कि यही वे नेता हैं जो सबको साथ लेकर पूरे देश को एक रख सकने में समर्थ हैं।जो नेता चीन, अफगानिस्तान सहित दुनिया के अनेक देशों के साथ राष्ट्रीय हित सर्वोपरि रखते हुए मैत्री बढ़ा सकते हैं, तो ऐसे नेता को देशहित में समर्थन देना स्वाभाविक ही था। यही कारण था कि सबने सहज रूप से भाजपा से जुड़ने का फैसला किया और अब अरुणाचल में पूर्णरूपेण भाजपा सरकार है।थ् अरुणाचल की वर्तमान सरकार के सामने प्रदेश को लेकर क्या प्राथमिकताएं हैं?दृ सबसे पहले तो अपनी संस्कृति के प्रति चेतना जाग्रत करनी है। अरुणाचल की जनता के बीच दूरियों को पाटना है। गलतफहमियों को दूर करना है। समाज की, प्रदेश की और देश की एकजुटता की चिंता करनी है।थ् अरुणाचल की युवा पीढ़ी में पश्चिमी चाल-चलन की मनोवृत्ति दिखाई देती है। क्या यहां के निवासियों को अपने धर्म और स्थानीय संस्कृति से जोड़े रखने की चिंता की जाएगी?दृ इस दृष्टि से इंडिजिनस फेथ एंड कल्चरल सोसायटी, अरुणाचल विकास परिषद आदि संस्थाओं के कार्यकर्ता काफी काम कर रहे हैं। एकदम से इसका परिणाम भले ही न मिले पर आगे चलकर एक बदलाव निश्चित रूप से आएगा। लोगों में धीरे-धीरे जागृति आ रही है। इसमें डोन्यी पोलो येलांग कबांग का बहुत बड़ा योगदान है। यह संस्था बच्चों में अपनी संस्कृति व धर्म का प्रसार करती है, उसके विद्यालय चलते हैं। हम लोग अपनी विधायक निधि व राज्य कोष से यथासंभव आर्थिक सहायता देते हैं। इससे जनजातियों की मूल आस्था को बचाने में मदद मिली है।31
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