|
नया आत्मविश्वास——————————————————————————–यह भारतीय संस्कृति के सम्पूर्ण वि·श्व पर छाने का समय है!!-डा. प्रणव पण्ड्या, प्रमुख, गायत्री परिवारजितने घटनाक्रम पिछले 1-2 वर्षों में घटे हैं, वे यह बता रहे हैं कि यह संक्रांतिकाल कासमय है, भारत के उत्कर्ष का समय है, भारतीय संस्कृति के सम्पूर्ण वि·श्व पर छा जाने का समय है। न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से, बल्कि आर्थिक एवं सैन्य दृष्टि से भी। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण भविष्यवाणी की है महर्षि श्री अरविन्द ने । उन्होंने कहा था कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस के उद्भव (जन्म) के साथ ही (स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जन्म 1836 में हुआ था) 175 वर्ष का एक संधिकाल प्रारंभ हो गया है। जो कि युग परिवर्तन का समय है। इस दृष्टि से युग परिवर्तन प्रारंभ हो गया है और सतयुग 175 वर्ष में पूरी तरह से आता हुआ दिखाई पड़ेगा। इस दृष्टि से यह संधिकाल है। महर्षि अरविन्द की भविष्यवाणी के अनुसार स्वामी रामकृष्ण के जन्म वर्ष (सन् 1836) में 175 वर्ष जोड़ें तो वह सन् 2011 होता है। इस दृष्टि से आने वाले 9 वर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन 9 वर्षों में आप देखेंगे कि हिन्दुत्व, भारतीय संस्कृति सम्पूर्ण वि·श्व पर छा जाएगी। यह नियति है, इसे कोई रोक नहीं पाएगा।यह मात्र स्वप्न नहीं है, बल्कि हम चारों ओर दृष्टि दौड़ाएं तो पाएंगे कि चारों तरफ युगान्तर कार्य हो रहे हैं। उन लोगों का रुझान उसी दिशा में बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। फिर चाहे वह गोसेवा हो, स्वावलंबन हो, स्वदेशी हो, विभिन्न रूपों में वै·श्वीकरण को चुनौती देते हुए स्वदेशी स्वरोजगार के प्रयोग हों- सब बातें इस बात का संकेत हैं कि युग परिवर्तन का बहुत व्यापक प्रयास सम्पूर्ण देश में चल रहा है। न केवल भारतवासी बल्कि साढ़े पांच करोड़ अप्रवासी भारतीय भी इसी दृष्टि से सक्रिय हैं। इस सबको देखकर लगता है कि अप्रवासी भारतीय सहित 106-107 करोड़ का अपना यह देश, हम सब मिलकर आने वाले 10 वर्षों में अपने देश को चरम उत्कर्ष तक पहुंचा देंगे। मेरा यह वि·श्वास परम पूज्य श्रीराम आचार्य जी द्वारा दिए गए आशीर्वाद के कारण है। वे कहते थे कि मुझे ऐसी अनुभूति हुई है कि भगवान की इच्छा है, ऋषियों का संकल्प है कि नवयुग आना ही है और यह 2001 से 2020 के बीच ही आना है। 2001 से 2010 के बीच संकेत दिखाई देंगे और 2011 में स्पष्ट हो जाएगा कि परिवर्तन आ रहा है।18
टिप्पणियाँ