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कंदकूर्ती

by
Feb 4, 2000, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 04 Feb 2000 00:00:00

जहां अमृत कुंभ लेकर गरुड़ का थादश्रीश देवपुजारीप्रयाग और कंदकूर्ती दोनों ही क्षेत्र त्रिवेणी तट पर बसे हैं। एक गंगा, यमुना और सरस्वती के तट पर है तो दूसरा गोदावरी, हरिद्रा और मंजीरा- तीन पवित्र नदियों के तट पर है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक पूज्य रज्जू भैया प्रयाग निवासी हैं, वहीं स्वयंसेवक बने। वे पूज्य डा. हेडगेवार के गांव कंदकूर्ती (आन्ध्र प्रदेश) पहुंचे तो सब कह उठे, वाह! एक त्रिवेणी तट से सरसंघचालक दूसरे त्रिवेणी तट पर आये हैं। गोदावरी,हरिद्रा एवं मंजीरा, इन तीन नदियों के पवित्र संगम पर बसे कंदकूर्ती ग्राम में कुछ दशक पूर्व हेडगेवार परिवार रहता था। वेद पठन एवं पौरोहित्य इस परिवार की वृत्ति थी। निजाम शाही में कर्मठ धर्मावलंबियों का जीवन जब दुष्कर हो गया, तब यह परिवार नागपुर आ गया। नागपुर में भोंसले नामक हिन्दू राजाओं का राज्य था। हेडगेवार परिवार के खण्डहर बने निवास स्थान को स्मारक बनाने की इच्छा संघ के ज्येष्ठ प्रचारक श्री मोरोपंत पिंगले के मन मे जगी। हेडगेवार परिवार के कुलगुरु केशवराव की काले पाषाण से बनी अति सुंदर प्रतिमा खनन कार्य करते समय मिली थी। उस प्रतिमा को हेडगेवार परिवार के खण्डहर बने घर के स्थान पर नया मन्दिर बनाकर स्थापित किया गया। इन्हीं केशवराव के नाम पर डाक्टर जी का नाम केशव रखा गया था। नूतन मन्दिर में कुलदेवता केशवराव के साथ-साथ भारतमाता एवं डा.हेडगेवार की मूर्ति भी लगी हुई है। पिछले दिनों इस गांव में उत्सव का सा माहौल था। सरसंघचालक पूज्य रज्जू भैया कंदकूर्ती पधारे थे। रास्तों को आम्र पत्तों से सुशोभित किया गया था। केसरिया पताकाएं घरों की छतों पर बड़ी शान से लहरा रही थीं, मानो स्मरण करा रही हों कि केवल हिन्दुस्थान के ही नहीं अपितु वि·श्व के हिन्दुओं को प्रभावित करने वाले संगठन का जन्मदाता इसी भूमि का पुत्र है। वर्ष प्रतिपदा डाक्टर जी का जन्म दिवस है। कंदकूर्ती में डा. हेडगवार को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने आये पूज्य रज्जू भैया को केशव स्वामी मन्दिर में ले जाया गया, जहां उन्होंने केशव स्वामी की षोड्शोपचार से पूजा की। तत्पश्चात् श्री राम मन्दिर के प्रांगण में कंदकूर्ती शाखा की ओर से युगादि उत्सव का आयोजन किया गया। इस उत्सव में श्री रज्जू भैया को सुनने के लिए गोदावरी नदी के दूसरे छोर पर बसने वाले महाराष्ट्र राज्य के नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। पूर्व काल में इस पुण्य स्थल पर स्व. बाला साहब देवरस, स्व.यादवराव जोशी, श्रीमोरोपंत पिंगले जैसे संघ अधिकारी आ चुके हैं।इस पावन मंदिर के जीर्णोद्दार के साथ-साथ एक शिशु मन्दिर प्रारम्भ हुआ है। सेवा बस्ती में बाल संस्कार केन्द्र चलता है। संस्कृत भारती के पूर्णकालिक कार्यकर्ता श्री कृष्णा रेड्डी कंदकूर्ती पहुंच कर ग्राम के सभी आयु वर्ग के नागरिकों को संस्कृत संभाषण सिखा रहे हैं।धर्माबाद के चिकित्सकों ने ग्रामवासियों के लिए निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण सेवा प्रारम्भ की है। कंदकूर्ती के त्रिवेणी संगम पर छत्रपति शिवाजी महाराज प्रभृति स्नान कर चुके हैं। कंदकूर्ती यात्रा के एक दिन पूर्व श्री रज्जू भैया ने आदिलाबाद जिले में बासर ग्राम के प्राचीन सरस्वती मन्दिर में पूजा-अर्चना की। ऐसी मान्यता है कि गोदावरी नदी के पावन तट पर स्थित इस प्राचीन मूर्ति की स्थापना स्वयं महर्षि व्यास ने की थी। व्यास ऋषि ने बासर में महाभारत ग्रंथ की रचना की। इस मान्यता के कारण शिशुओं को विधिवत् अक्षर लेखन प्रारम्भ करवाने के लिये बासर के सरस्वती मन्दिर में लाया जाता है। पुजारी शिशु का हाथ पकड़ कर उससे अक्षर लेखन करवाते हैं और शिशु मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करता है।बासर की संघ शाखा ने सरसंघचालक की उपस्थिति का लाभ उठाकर युगादि उत्सव का आयोजन किया। उत्सव में नागरिकों के समक्ष श्री रज्जू भैया एवं क्षेत्र संघचालक श्री सुब्राहृण्यम शास्त्री ने अपने विचार व्यक्त किये। कंदकूर्ती की महिमा के कारण भारत भर से आने वाले स्यवंसेवकों को कोई परेशानी न हो यह सोचकर उन्हें ठहराने के लिये स्थानीय स्वयंसेवकों ने इंदौर में संघ कार्यालय का विशाल भवन खड़ा किया है, जिसका उद्घाटन पूज्य रज्जू भैया के करकमलों द्वारा हुआ। उद्घाटन कार्यक्रम में रज्जू भैया के साथ-साथ क्षेत्र प्रचारक श्री रामभाऊ हलदेकर ने भी विचार व्यक्त किये।द(लेखक पूज्य रज्जू भैया के निजी सहायक रहे हैं और यह आलेख भी उन्हीं दिनों लिखा गया था, जब पूज्य रज्जू भैया सरसंघचालक थे।)5

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