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भारत में लौह शासन चाहिएजिस समय गांधी जी अप्रत्यक्ष निर्वाचन पर आधारित किसी उपयुक्त लोकतांत्रिक पद्धति की खोज में भटक रहे थे, उसी समय स्वाधीनता आंदोलन के दूसरे प्रभावशाली नेता श्री सुभाष चन्द्र बोस ने स्पष्ट धारणा व्यक्त की थी:-“जब तक भारत में तीसरा पक्ष अर्थात् ब्रिटिश सरकार मौजूद है तब तक इन मतभेदों का अंत नहीं होगा। वे लगातार बढ़ते ही जाएंगे। वे तभी समाप्त होंगे जब भारत पर कोई लौह शासक बीस वर्ष तक शासन करे। भारत में ब्रिटिश शासन के अन्त के पश्चात् कम से कम कुछ वर्षों के लिए यहां अधिनायकवादी शासन की स्थापना आवश्यक है। कोई अन्य संविधान इस देश में सफल नहीं हो सकेगा। यह भारत के हित में है कि प्रारंभ में उसके शासन सूत्र किसी तानाशाह के हाथ में रहें। भारत किसी एक व्याधि से ग्रस्त नहीं है। उसे कितनी ही राजनीतिक बीमारियां लगी हुई हैं, कोई कठोर तानाशाह ही उनका इलाज कर सकता है।…
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