ब्रिटेन सहित पूरे यूरोप में ग्रूमिंग गैंग को लेकर नए मामले सामने आ रहे हैं और इसी बीच ऑस्ट्रेलिया की एक रिपोर्ट ने भी सभी का ध्यान आकर्षित किया है। इस खबर के बाद यह प्रश्न उठ रहे हैं कि क्या ग्रूमिंग गैंग्स हर स्थान पर हैं और हर देश में चल रहे हैं? भारत में भी छांगुर का मामला सामने पर हिन्दू महिलाओं के मतांतरण को लेकर खुलासे हो रहे हैं, इसलिए यह कहा जा सकता है कि भारत भी अछूता नहीं है।
फिर से यही प्रश्न उभरता है कि क्या हर देश में ऐसे गैंग सक्रिय हैं? हाल ही में compactmag.com पर ऑस्ट्रेलिया में ग्रूमिंग गैंग्स को लेकर एक खबर प्रकाशित हुई। इसमें था कि कैसे ऑस्ट्रेलिया में ग्रूमिंग गैंग्स रोके गए? 11 जुलाई को प्रकाशित इस रिपोर्ट में उल्लेख है कि वर्ष 2000 के पूर्वार्द्ध में सिडनी गैंग दुष्कर्म की घटनाओं से दहल गया था। अधिकांश पीड़िताएं सामान्य ऑस्ट्रेलियाई लड़कियां थीं और कुछ तो 13 वर्ष तक की ही थीं। इन्हें शिकार बनाने वाले अधिकांश लेबनानी मुस्लिम और कुछ पाकिस्तानी मुस्लिम थे।
ऑस्ट्रेलिया ने समस्या को शुरू में ही पकड़ लिया
ऑस्ट्रेलिया में दो मामले बहुत चर्चित हुए। एक था स्काफ ब्रदर्स मामला और दूसरा खान ब्रदर्स मामला। देखते ही देखते कई मामले सामने आए। वर्ष 1996-2003 के बीच यौन हमले 25 प्रतिशत बढ़े, जबकि हैरानी की बात यह थी कि दूसरे हिंसक हमलों में कमी आ रही थी। इसमें लिखा है कि ये सामूहिक बलात्कार ब्रिटेन के ग्रूमिंग गैंग्स की ही तरह थे, बस इनमें एक बात अलग थी कि ब्रिटेन में समस्या को बड़ा होने दिया गया तो वहीं ऑस्ट्रेलिया ने समस्या को आरंभ में ही पकड़ लिया।
अपराधियों को सजा दी गई
ऑस्ट्रेलिया में ऐसे अपराधियों को सजा देने में देरी नहीं की गई। उन्हें लंबी सजा दी गई। उन्होंने ऐसे अपराधियों की नस्लीय टिप्पणियों को अनदेखा किया। ब्रिटेन में जिस प्रकार से ग्रूमिंग गैंग के दोषियों ने ब्रिटेन की लड़कियों पर नस्लीय टिप्पणियां की थीं, वैसे ही वहां पर भी की गईं। कहा कि “हम तुम्हारा बलात्कार करने जा रहे हैं, ऑसी स्ल.! और अगर कोई लेबनीज़ तुम्हारे साथ सोना चाहे तो सो जाओ!” वहां पर भी मीडिया और मुस्लिम समुदाय ने ऐसा प्रयास किया कि यह नस्लीय टिप्पणियां सामने न आने पाएं, मगर ऐसा नहीं हुआ। जज और राजनेताओं ने इन टिप्पणियों को सार्वजनिक किया।
देखभाल केंद्रों में रह रही लड़कियों का यौन शोषण किया
ऑस्ट्रेलिया में सड़कों पर भी लोग उतरे और जिस देश के लोग लड़कियों के साथ बलात्कार कर रहे थे, उनके प्रति नरमी नहीं बरती। जनवरी में ऑस्ट्रेलिया टाइम्स में भी इस पर विस्तार से रिपोर्ट आई थी कि कैसे ऑस्ट्रेलिया ने इस समस्या को समाप्त किया। इसमें लिखा है कि वर्ष 2014 में विक्टोरिया के आवासीय देखभाल केंद्रों में ड्रग्स, पैसे और शराब का लालच देकर संगठित गिरोहों ने बच्चों को निशाना बनाया। लेकिन उस समय फिर से सरकार ने सख्ती से इस दिशा में कदम उठाए और ऐसे कानून बनाए कि जिससे इस अपराध के साथ निपटा जा सके। उस समय की मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार यह कार्य अफगानी मूल के लोगों का था। इस गैंग ने डैनडेनॉन्ग, शेपार्टन और मेलबर्न के पश्चिमी भाग में देखभाल केंद्रों में रह रही लड़कियों का यौन शोषण किया था।
निशाना बनाने का यह था पैटर्न
guardian.com के अनुसार इसमें भी पैटर्न वही था कि ऐसे बच्चों को निशाना बनाया जाए, जो उपेक्षित हैं, और जिनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता है। ये मामले वर्ष 2012 से सामने आने आरंभ हुए थे और वर्ष 2012 में ऐसे बच्चों पर वहां के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज फिलिप कुमिस ने 90 अनुशंसाएं की थीं। पुलिस को विशेष रूप से इन अपराधों के प्रति प्रशिक्षित किया गया। जबकि ब्रिटेन में यही निकलकर आ रहा है कि पुलिस ने भी पीड़िताओं का साथ नहीं दिया।
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