बांग्लादेश में मुक्ति संग्राम स्मारक तोड़कर 'छात्र आंदोलन' को 'अमर' बनाने में जुटी अंतरिम सरकार
July 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

बांग्लादेश में मुक्ति संग्राम स्मारक तोड़कर ‘छात्र आंदोलन’ को ‘अमर’ बनाने में जुटी अंतरिम सरकार

1971 के मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला पड़ोसी देश भारत बांग्लादेश में चल रहे ऐसे कृत्यों से आहत भी है और चिंतित भी। वहां पीढ़ियों से एक बड़ा हिन्दू समुदाय निवास करता है। ढाका सहित कई शहरों में प्राचीन मंदिर हैं, जिन पर मजहबी उन्मादियों की कुदृष्टि है

by Alok Goswami
Jul 14, 2025, 02:55 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
लालमोनिरहाट में बनी पाषाण कलाकृति को पहले कपड़े से ढका गया था, फिर स्थानीय प्रशासन के निर्देश पर मजदूर लगाकर ध्वस्त करा दिया गया

लालमोनिरहाट में बनी पाषाण कलाकृति को पहले कपड़े से ढका गया था, फिर स्थानीय प्रशासन के निर्देश पर मजदूर लगाकर ध्वस्त करा दिया गया

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

बांग्लादेश में 1971 युद्ध के मुक्ति संग्राम की याद दिलाने वाले स्मारक को भी आखिरकार मजहबी कट्टरपंथियों की बनाई अंतरिम सरकार ने ध्वस्त कर दिया। यह स्मारक न सिर्फ जिन्ना के आतताई देश से आजादी दिलाने वाले संग्राम की याद में बना था बल्कि यह उस युद्ध में पाकिस्तान की मदद करने वाले बर्बर जमातियों के दमन को भी याद रखने और उन्हें सजा दिलाने की याद दिलाता था। यूनुस की सरकार बनते ही इसे कपड़े से ढक दिया गया था, लेकिन अब उसे बुलडोजर से रौंद डाला गया है। उसकी जगह अब मोहम्मद यूनुस की सरकार एक नया स्मारक बनाएगी जो पिछले साल के छात्र आंदोलन की याद दिलाएगा। कहना न ​होगा कि यूनुस की सरकार धीरे धीरे देश की वास्तविक पहचान और इतिहास को मटियामेट करने पर उतारू है।

मुक्ति संग्राम स्मारक के ध्वस्तीकरण और उसकी जगह छात्र आंदोलन के स्मारक की योजना ने उस इस्लामी देश में अपनी माटी की राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान को लेकर गहरी बहस छेड़ दी है। यह घटना न केवल इतिहास को मजहबी कट्टरता के नजरिए से पुनर्लेखन की प्रवृत्ति की ओर संकेत करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि नई अंतरिम सरकार किस प्रकार से राष्ट्र की स्मृति और प्रतीकों को मजहब में गहरे लपेटकर पुनर्परिभाषित कर रही है।

इसमें संदेह नहीं है कि मुक्ति संग्राम स्मारक, विशेष रूप से लालमोनिरहाट जिले में स्थित पत्थर पर तराशे चित्र, बांग्लादेश की आज़ादी की कहानी को बयां करते थे। इसमें 1950 के दशक के भाषा आंदोलन, 7 मार्च के ऐतिहासिक भाषण, मुजीब सरकार के गठन, 1971 के नरसंहार और बर्बर पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण जैसे महत्वपूर्ण क्षण दर्शाए गए थे। यह स्मारक न केवल एक अनूठी कलाकृति था, बल्कि बांग्लादेशी राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता संग्राम की सामूहिक स्मृति का प्रतीक भी था।

एक दीवार पर बने 1971 के मुक्ति संग्राम के चित्र को खुरचकर मिटाता एक मजहबी कट्टरपंथी (File Photo)

साल 2024 के अगस्त माह में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार ने कई और कदम उठाए हैं, जो पूर्ववर्ती सरकार की विरासत को मिटाने की दिशा में हैं। लालमोनिरहाट में बनी पाषाण कलाकृति की बात करें तो पहले उसे कपड़े से ढका गया और फिर स्थानीय प्रशासन के निर्देश पर मजदूर लगाकर ध्वस्त करा दिया गया। यह कार्रवाई छात्र संगठन SAD की मांग पर की गई थे, जिन्होंने इसे “जुलाई क्रांति की भावना के विपरीत” बताया था।

उल्लेखनीय है कि यूनुस सरकार अपने ऐसे कामों पर गर्व मह​सूस कर रही है और तथाकथित छात्र इसे अपनी जीत बता रहे हैं। अब मुक्ति संग्राम स्मारक की जगह पिछले साल के छात्र आंदोलन का स्मारक बनने के बाद, उसे एक ‘ऐतिहासिक यादगार’ का दर्जा देकर पूजा जाएगा। छात्र आंदोलन के ​ही परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा था। यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार इतिहास के प्रतीकों को ध्वस्त करके मजहबी उन्मादियों के हौंसले ही नहीं बढ़ा रही है बल्कि उन्हें प्रसन्न करके उनके बूते सत्ता बनाए रखना चाहती है। कह सकते हैं इस “स्मृति युद्ध” में यह तय किया जा रहा है कि आने वाली पीढ़ियों को देश के इतिहास और संस्कृति से जुड़ी कैसी कहानियां सुनाई जाएंगी।

हालांकि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश और स्थानीय नागरिक समितियों ने सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे बंगाली राष्ट्र के इतिहास में ‘बेशर्म हस्तक्षेप’ करार दिया है। कई समझदार लोगों और इतिहासकारों का मानना है कि इस तरह के काम समाज का ध्रुवीकरण और राष्ट्रीय एकता को कमजोर कर सकते हैं।

1971 के मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला पड़ोसी देश भारत बांग्लादेश में चल रहे ऐसे कृत्यों से आहत भी है और चिंतित भी। वहां पीढ़ियों से एक बड़ा हिन्दू समुदाय निवास करता है। ढाका सहित कई शहरों में प्राचीन मंदिर हैं जिन्हें अब तक सामाजिक उद्धार के केन्द्र मानकर सर्वसमाज द्वारा पूजा जाता रहा था, लेकिन अब उन सब पर मजहबी उन्मादियों की कुदृष्टि है, उन्हें एक एक कर तोड़ा या दूषित किया जा रहा है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों में उस देश के विभिन्न ऐतिहासिक स्मारकों का विशेष महत्व रहा है, उन्हें ध्वस्त करने की कार्रवाई द्विपक्षीय संबंधों में काफी तनाव पैदा कर सकती है। इसमें एक आयाम चीन का भी है जो उस इस्लामी देश को अपने शिकंजे में जकड़ने को तैयार बैठा है और चाहता है कि भारत या हिन्दू समाज का कैसा भी प्रभाव वहां शेष न रहे।

Topics: भारतbangladeshislamicबांग्लादेशमुक्ति संग्राम स्मारकIndiamukti sangram memorialmohammad yunus dhaka#muslim
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Dhaka lal chand murder case

Bangladesh: ढाका में हिंदू व्यापारी की बेरहमी से हत्या, बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमले

Terrorism

नेपाल के रास्ते भारत में दहशत की साजिश, लश्कर-ए-तैयबा का प्लान बेनकाब

आरोपी मौलाना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर

बलरामपुर: धर्म की भूमि पर जिहादी मंसूबों की हार

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies