पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI एक बार फिर भारत में आतंकी हमला करने की साजिश रच रही थी, जिसे भारतीय खुफिया एजेंसियों और दिल्ली पुलिस ने मिलकर नाकाम कर दिया है। तीन महीने चले एक गुप्त ऑपरेशन में दो पाकिस्तानी एजेंटों को गिरफ्तार किया गया। इनमें अंसारुल मियां अंसारी नाम का एक व्यक्ति शामिल है, जो पहले कतर में टैक्सी चलाता था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जांच में यह शक जताया गया है कि दिल्ली में मौजूद पाकिस्तान उच्चायोग के कुछ कर्मचारी भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक अंसारी की मुलाकात कतर में एक ISI एजेंट से हुई थी, जिसने उसे पैसे और ‘बड़े मकसद’ के नाम पर फुसलाकर जासूस बना दिया। बाद में उसे पाकिस्तान ले जाकर ISI अधिकारियों से मिलवाया गया और भारत के खिलाफ नफरत फैलाने की ट्रेनिंग दी गई। जून 2024 में अंसारी ने पाकिस्तान जाकर बाबरी मस्जिद और CAA जैसे मुद्दों पर उकसाया गया और भारत में जासूसी का काम सौंपा गया।
अंसारी नेपाल के रास्ते दिल्ली पहुंचा और भारतीय सेना से जुड़े गोपनीय दस्तावेज इकट्ठा करने लगा। जांच एजेंसियों को जैसे ही इस गतिविधि की भनक लगी, उन्होंने जाल बिछाकर 15 फरवरी को अंसारी को दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से कई गोपनीय दस्तावेज और एक सीडी बरामद हुई। पूछताछ में अंसारी ने रांची निवासी अखलाक आजम का नाम भी बताया, जो उसे भारत में लॉजिस्टिक मदद दे रहा था। आजम को भी मार्च में गिरफ्तार कर लिया गया। इस केस में दिल्ली पुलिस ने मई 2025 में चार्जशीट दाखिल की है और दोनों आरोपी इस समय तिहाड़ जेल के हाई सिक्योरिटी विंग में बंद हैं। बताया जा रहा है कि ISI के दिल्ली स्थित उच्चायोग के कुछ अधिकारी, जैसे मुजम्मिल और एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश, भारतीय यूट्यूबर्स को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे और इस साजिश से जुड़े हो सकते हैं।
यह ऑपरेशन खुफिया एजेंसियों के लिए एक बड़ी कामयाबी है, जिससे दिल्ली और उत्तर-पश्चिम भारत में संभावित आतंकी हमले को समय रहते रोका जा सका। अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एजेंसियां सतर्क हैं और इस साजिश से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है।
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