ऑपरेशन सिंदूर को लेकर गुरुवार को विदेश मंत्रालय की तरफ से विशेष प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पाकिस्तान के झूठ और आतंक को पालने की प्रवृत्ति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर किया। इस प्रेस ब्रीफिंग में मिसरी के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह भी मौजूद रहीं।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान न केवल झूठे दावों से वैश्विक समुदाय को गुमराह कर रहा है, बल्कि भारत की सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर भी मनगढ़ंत आरोप गढ़ रहा है। उन्होंने कहा- “झूठ तो पाकिस्तान के डीएनए में है। जब 1947 में जम्मू-कश्मीर पर हमला किया गया, तब भी पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में झूठ बोला था कि उसका इससे कोई लेना-देना नहीं। झूठ की ये यात्रा वहीं से शुरू हुई थी और आज तक जारी है।”
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान विक्रम मिसरी ने स्पष्ट किया कि भारत की कार्रवाई केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर की गई थी और इसमें आम नागरिक को नुकसान नहीं हुआ। पाकिस्तान जो नागरिक हानि का रोना रो रहा है, वह दरअसल अपने आतंकी नेटवर्क को बचाने की नाकाम कोशिश है।”
विदेश सचिव ने पाकिस्तान के उस आरोप को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि भारत ने नीलम-झेलम परियोजना को निशाना बनाया है। इसके बाद उन्होंने सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा- “अगर पाकिस्तान हमारे बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने की साजिश करता है, तो फिर जवाब की जिम्मेदारी भी उसी की होगी।”
विदेश सचिव ने स्पष्ट कहा कि पहलगाम में हुआ आतंकी हमला उकसावे की कार्रवाई थी, जबकि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत संयमित और सटीक जवाब दिया है।
विदेश सचिव ने कहा- पाकिस्तान अब वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बन चुका है और दुनिया उसकी हरकतों से भली-भांति परिचित है। न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर में हुई कई आतंकी घटनाओं में पाकिस्तान की भूमिका के भी पक्के सबूत हैं। दुनिया जानती है कि ओसामा बिन लादेन को कहां मारा गया था और किस देश ने उसे शहीद बताया था।
विदेश सचिव ने पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए कहा- पाकिस्तान की धरती पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध कई वैश्विक आतंकवादी खुलेआम घूम रहे हैं, जिनमें मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे नाम भी शामिल हैं। साथ ही लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन आज भी पाकिस्तान में सक्रिय हैं। हाल के दिनों में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और पूर्व विदेश मंत्री तक ने आतंकियों से संबंध स्वीकारे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत ने मुंबई हमलों में पकड़े गए अजमल कसाब से लेकर पठानकोट हमले तक के स्पष्ट सबूत पाकिस्तान को सौंपे, लेकिन वहां की सरकार ने आज तक इन पर कोई कार्रवाई नहीं की।
विदेश सचिव ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटे टीआरएफ द्वारा लिए जाने की बात दोहराते हुए बताया कि भारत ने इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पूरी जानकारी दी थी। लेकिन जब UNSC में पहलगाम हमले को लेकर एक प्रस्ताव तैयार हो रहा था, तो पाकिस्तान ने ही उसमें TRF का नाम रखने का विरोध किया— जबकि खुद टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी दो बार ली थी।
विदेश सचिव ने पाकिस्तान के उस दावे पर भी सवाल उठाया जिसमें कहा गया कि स्ट्राइक में मारे गए लोग आम नागरिक थे। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “अगर ऐसा है, तो क्यों उनके ताबूतों को झंडे में लपेटा जा रहा है और क्यों सेना के अधिकारी उनके जनाजे में शरीक हो रहे हैं..? क्या पाकिस्तान में आम नागरिकों के जनाजे ऐसे निकाले जाते हैं..? या वहां आतंकियों के जनाजे ऐसे निकालने की यह पुरानी परंपरा है”
विदेश सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत ने किसी धार्मिक स्थल को निशाना नहीं बनाया है, जबकि इसके उलट पाकिस्तान ने पुंछ में सीजफायर तोड़ते हुए एक गुरुद्वारे को निशाना बनाया और सिख समुदाय के घरों पर हमले कर तीन लोगों की हत्या की। इसके अलावा सीमापार से हुई फायरिंग में अबतक 16 आम नागरिकों की जान गई है।
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