पाकिस्तान ने भूखंडों की नीलामी पर अजीबोगरीब शर्त रखी है। इसके तहत नीलामी में अहमदिया अल्पसंख्यक भाग नहीं ले सकेंगे और जो भी इसमें भाग लेगें उन्हें पैगंबर मोहम्मद के ही अंतिम पैगंबर होने का वचन देना होगा। सरकार के इस कदम की अहमदिया समुदाय के एक संगठन ने कड़ी निंदा की है। दरअसल, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की मरियम नवाज सरकार ने गुरुवार (17 अप्रैल) को व्यावसायिक भूखंडों की नीलामी के लिए एक विज्ञापन जारी किया।
कई राष्ट्रीय दैनिकों में प्रकाशित विज्ञापन में प्रांत के झांग, चिनियट और चिनाब नगर क्षेत्रों में वाणिज्यिक भूखंडों की नीलामी के लिए जनता को आमंत्रित किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “अहमदियों को नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं है।”
इसके साथ ही विज्ञापनों में कहा गया है, “नीलामी में भाग लेने वालों को यह वचन देना होगा कि वे पैगंबर मोहम्मद के ही अंतिम पैगंबर होने में विश्वास रखते हैं। इसके अलावा, जो भी मुस्लिम भूखंड की बोली जीतने में सफल होते हैं, उन्हें भविष्य में अहमदियों को इसे बेचने की अनुमति नहीं होगी।”
अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (जेएपी) ने सरकार के भेदभावपूर्ण रवैये की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “पंजाब हाउसिंग एंड टाउन प्लानिंग एजेंसी द्वारा अहमदिया लोगों को भूखंडों की नीलामी में भाग लेने से वंचित किया जा रहा है। यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान में सरकारी स्तर पर उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार जारी है।” संगठन ने यह भी कहा कि यह पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है।
बता दें कि मार्च 2025 में पंजाब प्रांत में अहमदिया समुदाय के 50 से अधिक सदस्यों पर जुमे की नमाज अदा करने पर ईशनिंदा कानून के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि अहमदिया समुदाय के लोग मुस्लिमों की तरह नमाज अदा कर रहे थे, वे खुद को मुस्लिम बता रहे थे। साथ ही अपने धर्म को इस्लाम के रूप में प्रचारित कर रहे थे।
कौन हैं अहमदिया मुस्लिम
यह तो सभी जानते हैं कि अहमदिया अल्पसंख्यक पाकिस्तान में हाशिए पर जी रहे हैं। पाकिस्तान में धारा 298 सी अहमदिया समुदाय को अपराधी बनाती है, जो खुद को मुस्लिम बताते हैं। साल 1974 में पाकिस्तान की संसद ने इस समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था। यह समुदाय खुद को मुस्लिम तो मानता है, लेकिन मोहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर नहीं मानता। वहीं पूरी दुनिया में इस्लाम को मानने वाले लोग पैगंबर मोहम्मद को ही आखिरी पैगंबर मानते हैं।
मिर्जा गुलाम अहमद ने की अहमदिया समुदाय की शुरुआत
वर्ष 1889 में पंजाब के लुधियाना जिले के कादियान गांव में मिर्जा गुलाम अहमद ने अहमदिया समुदाय की शुरुआत की। मिर्जा गुलाम अहमद खुद को पैगंबर मोहम्मद का अनुयायी और अल्लाह की ओर से चुना गया मसीहा बताते थे। मिर्जा गुलाम अहमद ने इस्लाम के अंदर पुनरुत्थान की शुरुआत की थी। अहमदिया मुस्लिम गुलाम अहमद को पैगंबर मोहम्मद के बाद का एक और पैगंबर यानी आखिरी पैगंबर मानते हैं। यही वजह है कि अहमदिया मुस्लिम अन्य मुस्लिमों से अलग माने जाते हैं।
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