वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 के लोकसभा और राज्यसभा से पास होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इस कानून के देश में लागू होने के बाद भी कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी समेत कई अन्य पार्टियां इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। इस बीच नए वक्फ कानून के समर्थन में भी हस्तक्षेप आवेदन दायर किया गया है।
siasat.com की रिपोर्ट के अनुसार, ये आवेदन हिन्दू सेना की ओर से दायर की गई है। इसको लेकर हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से दावा किया गया है कि वक्फ बिल में किया गया संशोधन भारत के संविधान की योजना को ही परिलक्षित करता है। नए कानून में किसी भी तरह से मुसलमानों के किसी भी अधिकार को कुचलने का प्रयास नहीं किया गया है।
हिन्दू सेना ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि नए कानून की जगह जो पुराना वक्फ अधिनियम 1995 था उसके प्रावधानों के कारण गैर मुस्लिमों के अधिकारों और उनके हितों को नुकसान पहुंचाया गया। क्योंकि 1995 में वक्फ अधिनियम में संशोधन करके उसकी धारा 3 और धारा 40 जोड़ी गई। इसी धारा का दुरुपयोग करते हुए वक्फ बोर्ड ने गैर मुस्लिमों की संपत्तियों पर मनमाने तरीके से कब्जा कर लिया था। नए कानून के अस्तित्व में आने से उन सभी लोगों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है, जिनकी संपत्तियों पर मनमाने तरीके से वक्फ बोर्ड ने अधिकार कर लिया था।
वक्फ के कठोर प्रावधानों में किया गया संशोधन
अपनी याचिका में हिन्दू सेना की ओर से कहा गया है कि संशोधित वक्फ कानून के जरिए किसी भी तरह से मुसलमानों के अधिकारों का हनन नहीं किया गया है। वक्फ संशोदन अधिनियम-2025 के जरिए भारत सरकार ने पुराने वक्फ अधिनियम के कठोर प्रावधानों में ही संशोधन किया है। ये संशोधन पूरी तरह से वैध हैं।
इसको लेकर हाल ही में केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के कार्यान्वयन पर रोक लगाने वाली याचिकाओं के खिलाफ कैविएट फाइल किया है। दरअसल, कैविएट एक मुकदमे के पक्षकार के द्वारा कोर्ट में एक नोटिस की तरह होता है, जो कि प्रतिद्वंद्वी की याचिका पर किसी भी स्थगन आदेश जारी होने की स्थिति में सुनवाई की इच्छा रखता है।
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