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तमिलनाडु के उद्योगपतियों ने सरकार से कहा “हिन्दी को पढ़ाने दें!”

तमिलनाडु में भाषाई राजनीति चरम पर, लेकिन जोहो के श्रीधर वेम्बु और दीपन शमुगसुंदरम जैसे उद्यमी हिन्दी शिक्षा और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समर्थन में उतरे। क्या सरकार उनकी मांग मानेगी, या हिन्दी विवाद और गहराएगा? जानें पूरी कहानी...

by सोनाली मिश्रा
Feb 27, 2025, 10:24 pm IST
in भारत, तमिलनाडु
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तमिलनाडु में भाषाई राजनीति इस समय अपने चरम पर है और हिन्दी को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री सहित पूरी सरकार और डीएमके सड़कों पर है और अनर्गल बयान दिए जा रहे हैं। मगर इसी बीच तमिलनाडु से ऐसे भी लोगों की आवाजें आ रही हैं, जो सरकार से यह अनुरोध कर रहे हैं कि हिन्दी पढ़ाने से न रोका जाए।

तमिलनाडु से दो उपक्रमियों ने सरकार से यह अनुरोध किया है कि वे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर रोक न लगाएं और बच्चों को हिन्दी सीखने दें।

सबसे पहले जोहो के संस्थापक श्रीधर वेम्बु ने यह कहते हुए बहस की शुरुआत की थी कि तमिलनाडु में कामगारों के लिए हिन्दी सिखाई जाए। उन्होनें 26 फरवरी को एक्स पर यह पोस्ट किया था कि जोहो भारत में बहुत ही तेजी से बढ़ रही है। तमिलनाडु के हमारे इंजीनियर मुंबई और दिल्ली में ग्राहकों के साथ काम कर रहे हैं, और हमारा काम इन शहरों से बढ़कर गुजरात तक बढ़ रहा है। तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी इसी पर निर्भर करता है कि हम अपने ग्राहकों को कितनी बेहतर सेवा देते हैं।

तमिलनाडु में हमारे लिए हिन्दी न जानना बहुत ही बड़ी बाधा हो जाती है। हमारे लिए हिन्दी सीखना स्मार्ट है।

फिर उन्होनें लिखा कि “चूंकि भारत एक बहुत ही तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है, तमिलनाडु के इंजीनियर्स और उपक्रमियों को हिन्दी सीखनी चाहिए। राजनीति को अनदेखा करें, हम भाषा सीखते हैं।“

As Zoho grows rapidly in India, we have rural engineers in Tamil Nadu working closely with customers in Mumbai and Delhi – so much of our business is driven form these cities and from Gujarat. Rural jobs in Tamil Nadu depend on us serving those customers well.

Not knowing Hindi…

— Sridhar Vembu (@svembu) February 25, 2025


वहीं हिन्दी को लेकर की जा रही राजनीति पर कॉंग्रेस के रवैये पर प्रश्न उठाते हुए भी श्रीधर वेम्बु ने निशाना साधा है। उन्होनें एक्स पर कॉंग्रेस की नेता लक्ष्मी रामाचन्द्रन की एक पोस्ट का उत्तर देते हुए लिखा कि ये कॉंग्रेस के नेता ही थे, जिन्होनें उस भाषा नीति की शुरुआत की थी, जिससे इस समय कॉंग्रेस घृणा कर रही है। उन्होनें लिखा कि उन्हें नवोदय विद्यालयों की अवधारणा बहुत पसंद है, जिसकी शुरुआत कॉंग्रेस के ही एक ऐसे प्रधानमंत्री ने की थी, जिनकी हत्या से वे बहुत दुखी हुए थे।

मगर ऐसा नहीं है कि केवल जोहो के संस्थापक ने ही यह अनुरोध किया था। एक और उपक्रमी दीपन शमुगसुंदरम ने भी बुधवार को भाषा के विवाद में कूदते हुए यह कहा कि अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चे कई भाषाएं सीखें। कई लोगों को बहुत बुरा लगता है कि उनके बच्चे हिन्दी नहीं जानते हैं।

उन्होनें एक्स पर एक पोस्ट लिखी, जिसमें उन्होनें भाषा के महत्व को समझाया कि कैसे लोगो के साथ काम करने के लिए भाषा का आना आवश्यक होता है।

One of my business is steel wholesale.

Most of the Jain or Patel businesses in TN exist just because we can’t communicate with north in Hindi and purchase goods from Raipur or Bhillai.

They come, learn our language and do distribution here in 1000s of crores.

(1/n)

— Deepan Shanmugasundaram (@deepan_civileng) February 25, 2025

उन्होनें लिखा कि तमिलनाडु सरकार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करनी है। यदि आपको हिन्दी नहीं सिखानी है तो मत सिखाइए, आप जापानी सिखाइए या कोई और भाषा सिखाइए।

उनकी पोस्ट की एक लंबी थ्रेड है, जिसमें उन्होनें पहली पोस्ट यही लिखी कि तमिलनाडु में अधिकतर जैन या पटेल व्यापारी इसीलिए हैं क्योंकि हम उत्तर से आने वाले नागरिकों के साथ हिन्दी में बात नहीं कर पाते हैं और रायपुर या भिलाई से माल नहीं खरीद पाते हैं।

उन्होनें लिखा कि वे आते हैं, हमारी भाषा सीखते हैं और 1000 करोड़ों का वितरण करते हैं। उन्होनें लिखा कि बढ़ती उम्र के साथ भाषा सीखना कठिन होता जाता है।

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