मुफ्तखोरी से पंजाब पर बढ़ा कर्जा : लोग ‘खजाना मंत्री’ को बोलने लगे ‘कर्जा मंत्री’, 3.51 लाख करोड़ के कर्ज में डूबा राज्य
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मुफ्तखोरी से पंजाब पर बढ़ा कर्जा : लोग ‘खजाना मंत्री’ को बोलने लगे ‘कर्जा मंत्री’, 3.51 लाख करोड़ के कर्ज में डूबा राज्य

पंजाब का ऋण-जीएसडीपी अनुपात 47.6% तक पहुंचा, राज्य पर 3.51 लाख करोड़ का कर्ज। आरबीआई रिपोर्ट में खुलासा, मुफ्त योजनाओं और बिजली सब्सिडी से बिगड़े हालात, जानिए पूरी आर्थिक स्थिति।

by राकेश सैन
Jan 30, 2025, 05:30 pm IST
in पंजाब
चित्र प्रतीकात्मक है, इसे AI द्वारा निर्मित किया गया है.

चित्र प्रतीकात्मक है, इसे AI द्वारा निर्मित किया गया है.

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पंजाब की राजनीति में चुटकला प्रचलित हो रहा है, पूछा जाता है कि ‘इस समय राज्य के वित्त मंत्री क्या योजना बना रहे होंगे ?’ इस पर दूसरा जवाब देता है ‘अब किस योजना के तहत कर्जा लिया जाए।’ आम आदमी पार्टी के लगभग तीन सालों के  कार्यकाल में पंजाब की आर्थिक हालत तीन-तेरह वाली होती दिख रही है।

स्मिता शर्मा, प्रोफेसर अर्थशास्त्र, पंजाब विश्वविद्यालय का दावा है कि ऋण-जीएसडीपी अनुपात में पंजाब देश भर में दूसरे नंबर पर है। राज्य का ऋण-जीएसडीपी अनुपात 47.6 फीसदी है। पंजाब पर 3.51 लाख करोड़ का कर्ज है। केवल अरुणाचल प्रदेश ही राज्य से आगे है, जिसका ऋण-जीएसडीपी अनुपात सबसे अधिक 50.4 फीसदी है। वो बताती है कि लोकसभा में पेश की गई रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की 2023-24 की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी की तरफ से एक सवाल के जवाब में यह रिपोर्ट पेश की गई है।

वर्ष 2019-20 में पंजाब सरकार पर करीब 2.29 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, जो वर्ष 2023-24 में बढक़र 3.51 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। प्रदेश में आर्थिक संकट और राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सरकार नए रोडमैप पर भी काम कर रही है, लेकिन आर्थिक विशेषज्ञों की माने तो सरकार को अपने आय के स्रोत बढ़ाने के लिए काम करना होगा। इसी तरह मुफ्त की योजनाओं पर भी कुछ लगाम लगानी होगी, तभी जाकर राज्य इस कर्ज के जाल से बाहर निकल पाएगा।

1986 में राज्य को कैश सरप्लस माना जाता था, लेकिन मुफ्त चुनावी घोषणाओं ने प्रदेश को आर्थिक संकट में धकेल दिया है।  हालत यह है कि पिछले पांच साल में ही प्रदेश पर 34 फीसदी से ऊपर कर्ज बढ़ गया है।

बिजली सब्सिडी सरकार के लिए बनी बड़ी समस्या

प्रदेश सरकार के लिए बिजली सब्सिडी सबसे बड़ी समस्या बन गई है। प्रदेश में प्रत्येक कनेक्शन पर 300 यूनिट प्रति माह निशुल्क बिजली दी जाती है। सरकार ने विधानसभा चुनाव में किया अपना वादा तो पूरा कर दिया, लेकिन अगर इसका दूसरा पहलू देखें तो बिजली सब्सिडी पर सरकार का करीब 20 से 22 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहा है। 16वें वित्तीय कमीशन की बैठक में भी बिजली सब्सिडी का विकल्प खोजने के लिए सरकार को कहा गया था। पंजाब में कर्ज के बोझ व ऋण-जीएसडीपी अनुपात को कम करने के लिए आय के स्रोत बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही मुफ्त की योजनाओं को भी कम करने की आवश्यकता है। साथ ही हालात सुधारने के लिए राज्य में नया निवेश लाने के लिए भी प्रयास करने होंगे।

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