अलाउद्दीन खिलजी: हिंदुओं से क्रूरता और मंदिरों पर हमला, अमीर खुसरो ने वीरता का जामा पहनाया, तारीख ए अलाई में क्या लिखा
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अलाउद्दीन खिलजी: हिंदुओं से क्रूरता और मंदिरों पर हमला, अमीर खुसरो ने वीरता का जामा पहनाया, तारीख ए अलाई में क्या लिखा

दिल्ली सल्तनत काल में वैसे तो सभी मुस्लिम शासक हिंदुओं के प्रति क्रूर रहे हैं, मगर उनमें से कुछ की क्रूरता की कहीं कोई तुलना नहीं है।

by सोनाली मिश्रा
Jan 12, 2025, 06:09 pm IST
in भारत
अलाउद्दीन खिलजी

अलाउद्दीन खिलजी

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दिल्ली सल्तनत काल में वैसे तो सभी मुस्लिम शासक हिंदुओं के प्रति क्रूर रहे हैं, मगर उनमें से कुछ की क्रूरता की कहीं कोई तुलना नहीं है। हिंदुओं और मंदिरों से उनकी घृणा इस सीमा तक थी कि वे पूरी ज़िंदगी हिंदुओं से लड़ते रहे, उन्हें मारते रहे। उससे भी बढ़कर दुर्भाग्य यह कि उन्हें इतिहासकारों द्वारा महिमामंडित किया जाता रहा।

अलाउद्दीन खिलजी ने भी सोमनाथ पर हमला करवाया था और यह हमला उसके सरदार उलुग खान के नेतृत्व में किया गया था। अमीर खुसरो ने अपनी पुस्तक ख़ज़ाइन-उल-फुतूह ( अन्य नाम : तारीख़-ए-अलाई) में इस हमले का वर्णन किया है।

वह बलबन से लेकर अलाउद्दीन खिलजी तक के दरबार में रहे अमीर खुसरो ने अपनी पुस्तक तारीख़-ए-अलाई में गुजरात पर हमले को लेकर अलाउद्दीन की सेना की बर्बरता और क्रूरता को वीरता का जामा पहनाया। खुसरो ने लिखा कि जब उस भूमि पर शाही सेना पहुंची तो महान राजा की तलवार ने पूरे प्रांत को जीत लिया, जो एक दुल्हन की तरह सजा हुआ था और जो पूर्व में कई सुल्तानों के हमलों को नाकाम कर चुका था। बहुत खून बहा। जंगल के सभी जानवरों को मांस और खून के लिए लगातार दावतें भेजी गईं। इसमें यह भी लिखा है कि हिंदुओं की हत्याएं और कहीं नहीं बल्कि विवाह स्थल पर की गई थीं। वह लिखता है कि “विवाह स्थल पर, जहां पर हिंदुओं की कुर्बानी दी गई, वहाँ पर हर तरह के जानवरों की तृप्ति हुई।“

इसके बाद वह सोमनाथ मंदिर पर किये गए हमले का उल्लेख करता है। वह लिखता है कि “सोमनाथ मंदिर को भी पाक मक्का के सामने सजदा करना पड़ा; और मंदिर ने अपना सिर झुकाया और समुद्र में कूद गया, आप कह सकते हैं कि उस इमारत ने पहले अपनी प्रार्थना की और फिर नहाई। मंदिर की मूर्तियों को टुकड़ों-टुकड़ों में अब्राहम की रवायत के अनुसार तोड़ डाला गया, लेकिन उनमें से जो सबसे बड़ी मूर्ति थी, उसे मलिक ने शाही दरबार में भेजा, जिससे उनके बेसहारा भगवान को मूर्ति-पूजक (बुतपरस्त हिंदुओं) हिंदुओं के सामने ही तोड़ा जा सके।
फिर वह लिखता है कि हिंदुओं का मक्का अब इस्लाम का मदीना हो गया था। सच्चे ईमानवालों ने हर वह बुत और मंदिर तोड़ दिया था, जो भी उनके रास्ते में आया था। हर ओर तकबीर और शहादत के शोर सुनाई दे रहे थे। काफिरों के इस पुराने देश में इबादत की आवाज इतनी जोर से उठी कि उसे बगदाद और मदीना तक सुना गया।

हालांकि यह काफी अतिश्योक्ति और चाटुकारितापूर्ण विवरण है, मगर इसमें यह सच्चाई है कि अलाउद्दीन खिलजी ने सोमनाथ पर हमला करवाया था और उसे तुड़वाया था। तारीख ए अलाई में आगे लिखा गया है, “इस्लाम की तलवार ने इस जमीन (गुजरात) को पाक कर दिया, जैसे सूरज धरती को पाक करता है।“

गुजरात पर इस बर्बर हमले को लेकर इतिहासकार पुरुषोत्तम ओक अपनी पुस्तक भारत में मुस्लिम सुल्तान में बरनी के हवाले से लिखते हैं कि “अनहिलवाड़ और गुजरात को निर्दयतापूर्वक रौंदा गया। रानी कमलदेवी अंत:पुर की अन्य नारियों के साथ मुसलमानों के हाथ में पड़ गईं। उन सभी पर बलात्कार हुआ। बरनी बताता है कि “सारा गुजरात आक्रमणकारियों का शिकार हो गया। महमूद गजनवी की विजय के बाद पुनर्स्थापित सोमनाथ की प्रतिमा को उठाकर दिल्ली लाया गया और लोगों के चलने के लिए उसे नीचे फैला दिया गया।“

अलाउद्दीन की सेना के इन दोनों ही सिपहसालारों ने जमकर हिंदुओं को लूटा और हिंदुओं को मारा। हिंदुओं को मारने और हिंदुओं की हत्याओं को अमीर खुसरो ने “काफिरों की जमीन को पाक करना” बताया है। अमीर खुसरो ने अपनी इस पुस्तक में अलाउद्दीन खिलजी, उसके सिपहसालारों की चाटुकारिता में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे खुसरो ने अपनी कल्पनाशीलता का सारा प्रयोग अलाउद्दीन खिलजी की तारीफ में किया है।

हालांकि खुसरो ने अपनी इस पुस्तक में गुजरात की इस बर्बर जीत के बाद अलाउद्दीन की सेना में हुई एक महत्वपूर्ण घटना के विषय में नहीं लिखा है। यह ऐसी घटना है, जो अलाउद्दीन की क्रूरता को और भी बेहतर तरीके से स्थापित करती है। इस घटना का वर्णन बरनी ने अपनी पुस्तक में किया है। क्या यह कहा जाए कि दरबारी रचनाकारों की सिलेक्टिवनेस तब भी वही थी?

Topics: अलाउद्दीन की सेना की बर्बरताAlauddin Khilji#hinduअलाउद्दीन खिलजीहिंदुओं से क्रूरता और मंदिरों पर हमलाCruelty to Hindus and attack on temples
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