एलन मस्क इन दिनों ‘वोक राजनीति’ को पूरी तरह से निशाने पर लिए हुए हैं और वे राष्ट्रवादी पार्टियों के साथ मिलकर ‘वोक राजनीति’ के खिलाफ विमर्श बना रहे हैं। विमर्श के आकाश पर अभी तक ‘वोक’ और ‘कम्युनिस्ट’ विचारों का ही कब्जा था और देश के विषय में बात करने वालों को पिछड़ा या कट्टर बताया जाता था और उन्हें मानवता विरोधी बताया जाता था। सभी ने देखा है कि कैसे हिंदुओं और यजीदी समुदाय के साथ लगातार हो रहे अत्याचारों पर चुप रहने वाला समुदाय एकदम से ही केवल कट्टर मुस्लिम समुदाय के साथ मिलकर विमर्श बनाता था।
ऐसा नहीं था कि उन्हें मुस्लिम समुदाय की पीड़ा से कुछ लेना देना था, क्योंकि उदार आवाज वाले मुस्लिम जब कट्टरपंथी मुस्लिमों के हाथों प्रताड़ित होते हैं, तो वे उन उदार मुस्लिमों के लिए भी अपनी आवाज नहीं उठाते हैं। बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन एवं हाल ही में कट्टरपंथी हमले के शिकार हुए सलमान रश्दी विमर्श की एकरसता के उदाहरण हैं। एलन मस्क अब इस वोकिज़्म के खिलाफ खुलकर सामने आए हैं और कम्युनिस्ट और वोक विचारधारा के कट्टर विरोधी अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प के बाद अब उन्होंने जर्मनी की राष्ट्रवादी पार्टी प्रमुख के साथ बात की है।
उन्होंने एक्स पर एक ब्रॉडकास्ट किया और लोगों से यह आग्रह किया कि वे फरवरी में होने वाले चुनावों में एलिस वेडेल का समर्थन करें। एक घंटे से अधिक समय तक चली इस बातचीत में एलन मस्क ने जर्मनी की नेता से खुलकर बात की। जर्मनी इन दिनों मुस्लिम शरणार्थियों के निशाने पर है। जर्मनी में महिलाओं के साथ अपराध बढ़ रहे हैं और यह जर्मनी ही था, जहां पर सबसे पहले अर्थात वर्ष 2015-16 में नए साल की पूर्व संध्या पर लड़कियों पर यौन हमले हुए थे।
यह जर्मनी ही था, जहां पर शरण लेने वाले लोगों को सबसे पहले यह समझाया जा रहा था कि “जर्मनी में प्यार कैसे करें?”। वोक राजनीति ने यूरोप की लड़कियों को एक ऐसी हिंसा का शिकार बना दिया है, जिसकी बानगी शायद ही कहीं मिले। जर्मनी में राष्ट्रवादी पार्टी एएफडी की नेता एलिस इस शरणार्थी नीति के खिलाफ हैं। वे जर्मनी की शिक्षा नीति के खिलाफ हैं। एलिस ने जर्मनी की शिक्षा नीति के बारे में बात करते हुए कहा कि जर्मनी में बेवकूफ, वोकिश, समाजवादी, कम्युनिस्ट एजेंडा है। तो युवा और बच्चे स्कूल और यूनिवर्सिटी में कुछ नहीं सीखते हैं। वे केवल जेंडर स्टडीज के बारे में ही सीखते हैं।“
इसके उत्तर में मस्क ने कहा, “इससे यह पता चलता है कि वोक के वायरस ने जर्मनी को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया है।“
एलिस ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी को कथित मुख्यधारा की मीडिया ने नकारात्मक रूप से प्रस्तुत किया है। और वे ब्यूरोक्रेसी को आजाद करना चाहती हैं। एलिस ने इस बात के लिए भी मस्क की तारीफ की कि कम से कम उन्हें ऐसा मंच मिला जहां पर वे बिना रोक-टोक के अपनी बात कह सकती हैं। इस पर मस्क ने कहा कि “लोग जिसे पसंद नहीं करते, उस पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करते हैं।“
मस्क ने एलिस का समर्थन करते हुए कहा कि लोगों को एलिस को वोट देना चाहिए नहीं तो जर्मनी में चीजें हाथ से निकल सकती हैं।
एलिस ने यह भी कहा कि जर्मनी में सबसे अधिक टैक्स प्रणाली है और यहाँ का आदमी लगातार काम करता है। उसे सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती है और इस कारण उसे शिक्षा पर ध्यान देने का समय नहीं मिलता है और यही कारण है कि बच्चे और युवा वोक विचारधारा के जाल में फंस जाते हैं। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था की बात करते हुए कहा कि वहाँ पर बच्चों को शिक्षा मिल ही नहीं रही है और उन्हें जर्मनी भाषा ही नहीं आ पा रही है। उन्होंने कहा कि हमें मेरिट आधार पर वापस जाना होगा और समाजवादी शिक्षा से बाहर आना होगा। अभिभावकों को अपने बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी।
एलन मस्क और एलिस ने कौशल शिक्षा की बात की और वर्तमान शिक्षण संस्थाओं को प्रोपोगैंडा संस्थान का नाम दिया।
हालांकि, इस इंटरव्यू को लेकर कम्युनिस्ट मीडिया में बहुत नकारात्मक समाचार हैं। मगर जो भी एलिस ने जर्मनी की शिक्षा व्यवस्था के विषय में कहा है, वह सही हो सकता है क्योंकि जैसे ही किसी शिक्षण संस्थान में कम्युनिस्ट और वोक एजेंडे का आगमन होता है, वहाँ पर शिक्षा के अतिरिक्त शेष सारी बातें होती हैं। भारत में भी कम्युनिस्ट विचारधारा जैसी ही किसी शिक्षण संस्थान पर हावी होती है, वहाँ पर शिक्षा के अतिरिक्त हर ऐसी गतिविधि होती है, जो युवाओं के दिमाग को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है और उन्हें अनावश्यक रूप से हिंसक बनती है।
यही कारण है कि एलन मस्क ने कहा कि वोक वायरस जर्मनी में युवाओं के दिमाग को प्रभावित कर रहा है।
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