आकाशवाणी आज भी विश्वसनीय
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

आकाशवाणी आज भी विश्वसनीय

1948 में आकाशवाणी का पुनर्गठन किया गया। इसका उद्देश्य सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना था।

by रमेश शर्मा
Jan 10, 2025, 08:03 am IST
in भारत, विश्लेषण, शिक्षा
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

1948 में आकाशवाणी का पुनर्गठन किया गया। इसका उद्देश्य सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना था। आकाशवाणी ने स्वतंत्रता के बाद भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को समृद्ध किया। इसकी सेवाएं 23 भाषाओं और 146 बोलियों में उपलब्ध हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रसारण सेवा भारतीय संस्कृति और वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रसारित करती है। यह भारतीय जनमानस के लिए सूचना और शिक्षा का एक विश्वसनीय स्रोत बना हुआ है।

रमेश शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार

निसंदेह आधुनिक भारत में आज सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की व्यापकता से आकाशवाणी का आकर्षण प्रभावित हुआ है। लेकिन जन सामान्य के बीच आकाशवाणी का महत्व कम नहीं हुआ है। आकाशवाणी ने भारत की सांस्कृतिक विशेषताओं और विविधता को प्राथमिकता तब भी दी थी, जब भारत स्वतंत्र नहीं था। इस विशेषता को जानकर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के लिए आकाशवाणी को प्राथमिकता दी और आधुनिकता के कुछ नए आयाम जोड़े। स्वतंत्रता के बाद भारत ने अपनी आधुनिक यात्रा आरंभ की। नए भारत के निर्माण में उन संस्थाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, जिन्होंने स्वतंत्रता के पूर्व भी जन सामान्य के बीच भारत की सांस्कृतिक महत्ता को जीवंत रखा। इनमें आकाशवाणी की भूमिका महत्वपूर्ण है।

सांस्कृतिक जागरण

आकाशवाणी ने भविष्य की दीवार पर उभरते चित्रों को देखकर सांस्कृतिक जागरण का कार्य आरंभ किया था। आकाशवाणी ने भारत की सांस्कृतिक विविधता और विशेषता से जुड़े जो कार्यक्रम प्रसारित किए, उससे सामाज में अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति आत्मविश्वास का जागरण हुआ। यही जागृति पहले स्वतंत्रता संग्राम में जन भागीदारी और अब राष्ट्र के स्वत्व जागरण का माध्यम है। यह भारतीय समाज जीवन में स्वत्व और सांस्कृतिक चेतना की जागृति ही तो है कि आज भारत पुन: अपने खोए हुए परम वैभव को प्राप्त करने की ओर बढ़ रहा है और संपूर्ण विश्व भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों की ओर आकर्षित हो रहा है। परंपराओं के प्रति अपनत्व का भाव जाग्रत करने में आकाशवाणी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

अंग्रेजी राज में इसने भारत की क्षेत्रीय व आंचलिक विविधता पर जो कार्यक्रम प्रसारित किए, सतही तौर पर तो वे केवल मनोरंजन के लगते थे, लेकिन उन प्रसारणों से समाज जीवन में परंपराओं के प्रति आत्मविश्वास जागा और वही स्वत्व चेतना का आधार बना। आकाशवाणी ने समय के साथ अपने प्रसारणों की विविधता में निरंतर वृद्धि की। भारत का कोई क्षेत्र, कोई भाषा और कोई स्थानीय बोली नहीं है, जिसमें आकाशवाणी के कार्यक्रम प्रसारित न होते हों। आज 23 भाषाओं और 146 बोलियों में आकाशवाणी के कार्यक्रम प्रसारित होते हैं।

राष्ट्र, समाज और जीवन का ऐसा कोई विषय नहीं है, जिसे आकाशवाणी ने अपने प्रसारण में शामिल न किया हो। इसने प्रत्येक विषय को व्यापक बनाया। साहित्य में गीत, कविता, कवि गोष्ठी, लघुकथा, व्यंग्य, कहानी, एकांकी आदि सब प्रसारित हुए। इसने भारत के प्रमुख साहित्यकारों की जीवनी, लेखन शैली तथा कृतियों से परिचित कराया। बदलते मौसम की विशेषता और उसका स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव, बीमारियां और उनसे बचने के उपाय विशेषज्ञों की वार्ताओं के माध्यम से समझाए। आकाशवाणी पर मनुष्य ही नहीं, पालतू पशु-पक्षी संरक्षण के कार्यक्रम भी प्रसारित होते हैं। किस मौसम में कौन सी फसल, फल-सब्जी उगाएं, उपज बढ़ाने के तरीके, कीट-पतंगों से फसलों के नुकसान की आशंका पर किसानों को सलाह भी दी गई। इस पर छात्र, युवा, महिला, किसान आदि सभी वर्ग समूह के लिए कार्यक्रम और समय निर्धारित किए गए।

नहीं घटा महत्व

आज समाज जीवन में सोशल मीडिया व्यापक हो रहा है, रोज नए न्यूज चैनल आ रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया की इस व्यापकता से आकाशवाणी का विषय जनचर्चा में तो कम हुआ है, लेकिन इसकी विश्वसनीयता और गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं आया है। विश्व में सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र होने की स्पर्धा में अग्रणी भारत के 60 प्रतिशत से अधिक लोगों के जीवन में आज भी आकाशवाणी ही उपयोगी है। सुदूर ठेठ ग्रामीण क्षेत्रों, कस्बों और पर्वतीय अंचल में बसी बस्तियों में सूचना या समाचार ही नहीं, मनोरंजन और स्थानीय समस्याओं के समाधान के उपाय जानने का माध्यम आकाशवाणी ही है।

आकाशवाणी मनोरंजन या सनसनी फैलाने वाले समाचारों से ‘टीआरपी’ बढ़ाने की जुगत में नहीं रहता, वह भारत की संस्कृति और स्थानीय एवं क्षेत्रीय विशेषताओं से पूरे भारत को परिचित कराने की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी के इस महत्व को समझा। इसीलिए उन्होंने ‘मन की बात’ के प्रसारण के लिए आकाशवाणी को माध्यम बनाया। वे भारत को संसार के विकसित राष्ट्रों की पंक्ति अग्रणी बनाने का संकल्प लेकर कार्य कर रहे हैं। उनका चिंतन व्यापक और बहुआयामी है। उनकी प्राथमिकताओं से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारतीय यान पहुंचा है, भारत ने आधुनिक आयुध निर्माण में आत्मनिर्भर होने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।

आधुनिकीकरण की इस स्पर्धा के साथ संसद की सीढ़ियों को दंडवत, नए संसद भवन में संगोल की स्थापना सांस्कृतिक परंपराओं का सशक्तिकरण है। मोदी उन परंपराओं और विधाओं का संरक्षण भी कर रहे हैं, जिनसे भारत की पहचान है। इन्हीं प्राथमिकताओं में से एक आकाशवाणी भी है। उन्होंने ‘मन की बात’ के लिए आकाशवाणी को प्राथमिकता देकर उसे आधुनिक स्वरूप प्रदान करने की पहल भी आरंभ की। अब देश के 20 राज्यों में 91 स्थानों पर 100 वाट की क्षमता के लो पावर एफएम ट्रांसमीटर स्थापित हो गए हैं। इससे आकाशावाणी के ट्रांसमीटरों के नेटवर्क की संख्या 524 से बढ़कर 615 हो गई है।

विषय कोई भी हो, मनोरंजन का हो या शिक्षा, साहित्य, स्वास्थ्य, कृषि, युवा, महिला, लोक संस्कृति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के किसी सामयिक विषय या घटनाओं का हो— इससे संबंधित संगोष्ठियों और अपने प्रसारण के अन्य स्वरूप में आकाशवाणी सदैव क्षेत्रीय भाषा और स्थानीय बोली का ही समावेश करता है। इससे स्थानीय एवं विषय से संबंधित जन मानस अपनी आत्मीयता अनुभव करता है। देश के सुदूर पर्वतीय और वन क्षेत्र की बस्तियों में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लिए गए निर्णयों की जानकारी जन सामान्य तक पहुंचाने का भी आकाशवाणी महत्वपूर्ण साधन है। स्वतंत्रता के बाद जन कल्याण की अनेक योजनाएं बनीं, लेकिन क्रियान्वयन का जो कीर्तिमान स्वच्छता अभियान, हर घर नल, हर घर शौचालय, आयुष्मान कार्ड, उज्ज्वला योजना आदि ने बनाया, वैसा पहले किसी का नहीं रहा। इसका कारण प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ‘मन की बात’ में बार-बार इन योजनाओं को दोहराना है।

आकाशवाणी ने केवल मन की बात के ‘सीधे’ प्रसारण के बाद अपना कर्तव्य पूरा नहीं कर लिया, अपितु उनमें वर्णित योजनाओं एवं बिंदुओं पर विशेषज्ञों के साथ विमर्श भी किया। यही कारण है कि इन योजनाओं का क्रियान्वयन उन क्षेत्रों में भी देखने को मिला, जहां समाचारपत्र अथवा टेलीविजन की पहुंच नहीं है।

रेडियो और आकाशवाणी का इतिहास

आकाशवाणी, भारत में रेडियो के नाम का रूपांतरण है। विश्व में रेडियो का अविष्कार वैज्ञानिक गुग्लिएल्मो मार्कोनी ने 1890 में किया था। 1893 में वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने सेंट लुइस में पहले वायरलेस रेडियो का अविष्कार किया। 1896 में मार्कोनी को वायरलेस रेडियो का पेटेंट मिला और 24 दिसंबर, 1906 से विश्व में रेडियो का प्रसारण आरंभ हुआ। रेडियो प्रसारण का यह कार्य कनाडा के वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडन ने रेडियो ब्रॉडकास्टिंग द्वारा संदेश भेजकर किया था। संसार में पहले रेडियो स्टेशन की स्थापना 1918 में न्यूयॉर्क के हैंब्रिज में हुई थी। रेडियो पर विज्ञापन प्रसारण की शुरुआत 1923 में हुई थी। 13 जनवरी को ‘यूनाइटेड नेशन्स रेडियो’ आरंभ हुआ, इसीलिए 13 जनवरी को ‘विश्व रेडियो दिवस’ मनाया जाता है। हर वर्ष की थीम अलग होती है।

भारत में रेडियो 1924 में आया। इसकी शुरुआत मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब ने की। क्लब ने अपने स्तर पर रेडियो का प्रसारण 1927 तक किया था। समय के साथ रेडियो के प्रसारण से बम्बई और कलकत्ता के कुछ व्यवसायी जुड़े और 1927 में इन दोनों शहरों में रेडियो प्रसारण आरंभ हुआ। 23 जुलाई, 1927 को बम्बई में भारत का पहला रेडियो स्टेशन आरंभ हुआ। वर्ष 1932 में अंग्रेज सरकार ने इसका प्रसारण अपने हाथ में ले लिया और संचालन के लिए अपने आधीन इंडियन ब्रॉडकास्टिंग सर्विस नामक विभाग गठित किया। 1936 में इसका नाम आल इंडिया रेडियो हुआ। आकाशवाणी का अंग्रेजी में यह नाम आज भी है।

1957 में इसका नाम ‘आकाशवाणी’ हुआ। आकाशवाणी संस्कृत का शब्द है। भारतीय पुराणों के लगभग हर प्रसंग में आकाशवाणी शब्द मिलता है। रेडियो के लिए आकाशवाणी शब्द का सबसे पहले उपयोग 1936 में हुआ था। यह कर्नाटक में एक निजी रेडियो स्टेशन की स्थापना का अवसर था। अपने समय के सुप्रसिद्ध साहित्यकार एमवी गोपालस्वामी ने रेडियो को आकाशवाणी कहा, जो जन सामान्य के उच्चारण में आया और 1957 में अधिकृत नाम के रूप में सामने आया। भारत में 1995 में इन्टरनेट रेडियो आरंभ हुआ। ल्ल

Topics: आकाशवाणी मनोरंजनHistory of All India Radioप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीNational and International levelPrime Minister Narendra ModiSangola in new Parliament Houseमन की बातCultural and Social of IndiaMann Ki BaatAll India Radio Entertainmentपाञ्चजन्य विशेषराष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडियाआकाशवाणी का इतिहासनए संसद भवन में संगोलभारत के सांस्कृतिक और सामाजिक
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

रिहायशी इलाकों में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गालीबारी में क्षतिग्रस्त घर

संभल जाए ‘आतंकिस्तान’!

पाकिस्तान के साथ युद्धविराम: भारत के लिए सैन्य और नैतिक जीत

ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों को पाकिस्तान ने सैनिकों जैसा सम्मान दिया।

जवाब जरूरी था…

भारत ने तबाह किए आतंकियों के ठिकाने

सही समय पर सटीक प्रहार

#पाकिस्तान : अकड़ मांगे इलाज

भारतीय सेना के हमले में तबाह हुआ पाकिस्तानी आतंकी ठिकाना

जब प्रश्न सिंदूर का हो, तब उत्तर वज्र होता है

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Congress MP Shashi Tharoor

वादा करना उससे मुकर जाना उनकी फितरत में है, पाकिस्तान के सीजफायर तोड़ने पर बोले शशि थुरुर

तुर्की के सोंगर ड्रोन, चीन की PL-15 मिसाइल : पाकिस्तान ने भारत पर किए इन विदेशी हथियारों से हमले, देखें पूरी रिपोर्ट

मुस्लिम समुदाय की आतंक के खिलाफ आवाज, पाकिस्तान को जवाब देने का वक्त आ गया

प्रतीकात्मक चित्र

मलेरकोटला से पकड़े गए 2 जासूस, पाकिस्तान के लिए कर रहे थे काम

प्रतीकात्मक तस्वीर

बुलंदशहर : पाकिस्तान के समर्थन में पोस्ट करने वाला शहजाद गिरफ्तार

Brahmos Missile

‘आतंकवाद कुत्ते की दुम’… ब्रह्मोस की ताकत क्या है पाकिस्तान से पूछ लीजिए- CM योगी

रिहायशी इलाकों में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गालीबारी में क्षतिग्रस्त घर

संभल जाए ‘आतंकिस्तान’!

Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी, वायुसेना ने दिया बड़ा अपडेट

Operation Sindoor Rajnath SIngh Pakistan

Operation Sindoor: भारत की सेना की धमक रावलपिंडी तक सुनी गई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Uttarakhand RSS

उत्तराखंड: संघ शताब्दी वर्ष की तैयारियां शुरू, 6000+ स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies