केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में मणिपुर में ‘संरक्षित क्षेत्र परमिट’ (PAP) प्रणाली को फिर से लागू करने का निर्णय लिया है। इस कदम के पीछे मुख्य कारण पड़ोसी देशों से आ रही सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं। गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस निर्णय के बाद मणिपुर में विदेशी नागरिकों की आवाजाही पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी, और उन्हें विदेशी (संरक्षित क्षेत्र) आदेश 1958 के तहत PAP प्राप्त करना होगा।
गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ मणिपुर ही नहीं, बल्कि नागालैंड और मिजोरम में भी यह संरक्षित क्षेत्र परमिट प्रणाली लागू की जाएगी। इस कदम से इन राज्यों में सुरक्षा बढ़ाने का उद्देश्य है, क्योंकि इन क्षेत्रों में बाहरी तत्वों के घुसने से कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की संभावना बनी रहती है।
बयान में यह भी उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकार ने हाल ही में एक संगठन द्वारा भेजी गई चेतावनी का संज्ञान लिया था। इसमें कहा गया था कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को सेनापति जिले में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कांगपोकपी जिले से होकर नहीं गुजरना चाहिए। हालांकि, बाद में जांच में यह पाया गया कि जिस संगठन ने यह चेतावनी दी थी, वह (कुकी जो काउंसिल) किसी प्रकार का वास्तविक संगठन नहीं था और उसकी प्रामाणिकता संदिग्ध थी। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि जनता को ऐसे संदिग्ध संगठनों के बयानों और दावों पर ध्यान नहीं देना चाहिए जो समाज में भ्रम और अशांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
इसी बीच, मणिपुर में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को धमकी देने और अपमानजनक पोस्ट को सोशल मीडिया पर प्रसारित करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने ‘मणिपुर न्यूज ग्रुप 2024’ नामक फेसबुक पेज पर हिंसा भड़काने वाले पोस्ट को प्रकाशित किया था। इनमें मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट मंत्रियों को जान से मारने की धमकी दी गई थी। पुलिस ने तीनों आरोपियों को पांच दिन की हिरासत में भेज दिया है और मामले की जांच जारी है।
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