लंबी दूरियों के बीच चलने वाली निजी लक्जरी बसों से यात्रा के दौरान आपका संपर्क ऐसे युवाओं से अवश्य हुआ होगा जो किसी खास बस से यात्रा करने का आग्रह कर रहे होते हैं। ये लोग टिकटों की बुकिंग पर कमीशन पाते हैं। इसी उदाहरण को अगर आप आनलाइन दुनिया पर लागू करें तो हम इसे एफीलिएट मार्केटिंग की श्रेणी में रखेंगे। हालांकि एफीलिएट मार्केटिंग चिल्ला-चिल्लाकर टिकट बुक करने वालों की तुलना में बेहतर तथा अधिक सम्मानजनक कार्य है। दोनों का मूल कंपनी से कोई संबंध नहीं होता और उसकी सेवाओं के लिए भी वे उत्तरदायी नहीं होते। उनका काम है ग्राहकों को उस कंपनी या उत्पाद तक ले जाना जिससे उन्हें कमीशन मिलता है।
यहां आप किसी उत्पाद या सेवा को अपने किसी माध्यम से प्रचारित करते हैं और आपके संपर्क में आने वाले लोगों को उसे खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके जरिए होने वाली हर बिक्री पर आपको कमीशन मिलता है। थोड़ी तकनीकी दक्षता हो तो इस प्रक्रिया में कोई विशेष जटिलता नहीं है। आपको ऐसे व्यक्तियों को तलाशने या समझाने-बुझाने की जरूरत भी नहीं होती। अगर आप इंटरनेट पर सक्रिय हैं तो अपने संपर्क में आने वाले लोगों से इसका लाभ उठा सकते हैं।
भारत में सैकड़ों वेबसाइटें एफीलिएट मार्केटिंग का प्रयोग कर रही हैं जिनमें कुछ बड़े ब्रांड भी शामिल हैं। जिन लोगों ने निजी तौर पर इस क्षेत्र में बड़ी सफलता अर्जित की है उनमें हर्ष अग्रवाल का नाम उल्लेखनीय है जिन्होंने एफीलिएट मार्केटिंग को अपना प्रधान कारोबार बना लिया है। वे न सिर्फ इसी पर आधारित वेबसाइट (shoutmeloud.com) चलाते हैं बल्कि इस विषय पर उन्होंने कुछ लोकप्रिय किताबें भी लिखी हैं। उनका दावा है कि 3.30 लाख से अधिक पाठक उनके साथ जुड़े हुए हैं। अगर एफीलिएट मार्केटिंग के जरिए उनकी आय का अंदाज लगाया जाए तो यह यकीनन कुछ लाख रुपए मासिक अवश्य होगी।
ब्लॉगर्स पैशन (bloggerspassion.com) को संचालित करने वाले अनिल अग्रवाल, डिजिटल दीपक (digitaldeepak.com) के संचालक रवि कुमार, गौरवहीरा (gauravheera.com) के संचालक गौरव हीरा, सासअल्ट्रा (saasultra.com) को चलाने वाले जितेंद्र वासवानी और हेलबाउंडब्लॉगर्स (hellboundbloggers.com) के कर्ता-धर्ता प्रदीप कुमार एफीलिएट मार्केटिंग के क्षेत्र में कामयाब कुछ और नाम हैं। कहना न होगा कि इन सभी की मासिक आय लाखों रुपए में है। एक कामयाब एफीलिएट मार्केटर की मासिक आय बीस हजार रुपए से लेकर कुछ लाख रुपए तक हो सकती है।
एफीलिएट मार्केटिंग तीनों तरह के व्यक्तियों के लिए लाभ का सौदा है- उत्पादक, प्रचारक और ग्राहक। मूल उत्पाद बनाने या बेचने वाली कंपनी को बाहरी माध्यमों से अतिरिक्त ग्राहक मिल जाते हैं जिन्हें जुटाने के लिए उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया होता और इस तरह से वे दूसरों के लोकप्रिय मंचों का लाभ उठाते हैं। अगर उन्होंने इन्हीं मंचों पर अपने विज्ञापन दिए होते तो अच्छा-खासा पैसा खर्च हुआ होता, लेकिन एफीलिएट मार्केटिंग में उन्हें एक सफल डिजिटल मंच पर अपना संदेश प्रचारित करने का अवसर भी मिल रहा है और लागत वास्तविक खरीदारी करने वाले ग्राहकों की संख्या पर निर्भर है। वह भी कमीशन के रूप में, न कि विज्ञापन राशि के रूप में।
डिजिटल मंचों का संचालन करने वालों के लिए यह आय का नियमित जरिया है जिन्हें खुद कुछ भी करने की जरूरत नहीं होती। उनकी वेबसाइटों, ब्लॉगों आदि पर पहले ही लोग आ रहे हैं जिन्हें दूसरी वेबसाइट पर जाने के लिए प्रेरित करना इतना ही आसान है जितना कि एक और वेब पेज बना देना। इस प्रक्रिया में पाठकों का भी लाभ है क्योंकि अक्सर इस तरह के एफीलिएट लिंकों के जरिए खरीदारी करने पर उन्हें मूल्य में थोड़ी छूट मिलती है।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट एशिया में वरिष्ठ अधिकारी हैं)
टिप्पणियाँ