नई दिल्ली । कर्नाटक की प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और पद्मश्री सम्मानित तुलसी गौड़ा का सोमवार को उनके पैतृक निवास होन्नाली गांव (अंकोला तालुक, उत्तर कन्नड़ जिला) में निधन हो गया। 86 वर्षीय तुलसी गौड़ा लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थीं। उनके निधन की खबर से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुलसी गौड़ा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा-
“कर्नाटक की प्रतिष्ठित पर्यावरणविद् और पद्मश्री से सम्मानित तुलसी गौड़ा के निधन से अत्यंत दुःख हुआ। उन्होंने अपना जीवन प्रकृति के पोषण, हज़ारों पौधे लगाने और हमारे पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए समर्पित कर दिया। वे पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मार्गदर्शक बनी रहेंगी। उनका काम हमारी धरती की रक्षा के लिए पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।”
‘वृक्ष अम्मा’ का जीवन परिचय
तुलसी गौड़ा को सम्मानपूर्वक ‘वृक्ष अम्मा’ (पेड़ों की मां) के नाम से जाना जाता था। उन्होंने अपना पूरा जीवन पर्यावरण संरक्षण और पौधारोपण के लिए समर्पित किया। तुलसी गौड़ा का जन्म कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में एक वनवासी परिवार में हुआ था। गरीबी और कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने प्रकृति के प्रति अपने गहरे प्रेम को कभी कम नहीं होने दिया।
तुलसी गौड़ा ने करीब 30,000 से अधिक पौधे लगाए और उनका संरक्षण किया। उन्हें पौधों और पेड़ों की हजारों प्रजातियों का गहन ज्ञान था, जिसे उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा प्राप्त किए बिना ही अर्जित किया। उनकी विशेषता थी कि वे बीजों की पहचान और उनके सही प्रकार से रोपण में माहिर थीं।
सम्मान और उपलब्धियां
तुलसी गौड़ा के अथक प्रयासों को देखते हुए उन्हें वर्ष 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनके पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दिए गए अतुलनीय योगदान का प्रतीक था। उनका योगदान स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सराहा गया। वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके समर्पण के कारण वे कई सामाजिक और पर्यावरण संगठनों से भी जुड़ी रहीं। तुलसी गौड़ा ने अपने ज्ञान और अनुभव को आगे की पीढ़ियों को हस्तांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रकृति प्रेम और प्रेरणा
तुलसी गौड़ा का जीवन उन सभी के लिए प्रेरणा है जो पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं। उनकी सादगी, मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें ‘पर्यावरण की सच्ची संरक्षक’ बना दिया। उन्होंने यह दिखाया कि संसाधनों की कमी भी एक व्यक्ति के दृढ़ निश्चय को नहीं रोक सकती।
अंतिम विदाई और श्रद्धांजलि
तुलसी गौड़ा का अंतिम संस्कार उनके गांव होन्नाली में किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में उनके परिवारजन, प्रशंसक और स्थानीय लोग उपस्थित रहे। उनके निधन से कर्नाटक समेत पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण के प्रति काम करने वाले लोगों में शोक व्याप्त है।
तुलसी गौड़ा का निधन पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति है। उनका जीवन, उनके कार्य और उनका समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा, और उनके द्वारा लगाए गए हजारों पेड़ उनकी स्मृति को सदैव जीवित रखेंगे।
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