यूरोप के कुछ अन्य देशों की तरह अब शांत और इस्लामी जिहाद विरोधी नीदरलैंड्स को मजहबी उन्मादियों और ‘वोक’ तत्वों ने अपनी नफरत का शिकार बनाना शुरू किया है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी की तरह अब इस्राएल विरोध के नाम पर नीदरलैंड्स में हिंसक तत्व सक्रिय हुए हैं। पिछले दिनों वहां विश्वविद्यालय परिसर में तोड़फोड़ की गई थी, अब वहां कुछ स्थानों पर मजहबी उपद्रवियों द्वारा आगजनी करने के समाचार मिले हैं।
इस्राएल—हमास संघर्ष में हमास के हमदर्द उपद्रवियों ने राजधानी एम्सटर्डम में एक ट्राम को आग के हवाले कर दिया और कई गाड़ियों को तोड़ डाला। फिलिस्तीन समर्थन के नाम पर इस्राएल के प्रति गुस्सा निकालने के लिए ये उपद्रवी तत्व हर जगह अपना जहर उगल रहे हैं। इन्होंने ताजा निशाना कट्टर इस्लाम के धुर विरोधी नीदरलैंड्स को बनाया है।
इस्राएल और हमास के बीच संघर्ष शुरू हुए एक साल से अधिक समय हो चुका है और इस दौरान इस्राएली सेना ने मजहबी उन्मादियों और हमास के नेताओं सहित बड़ी संख्या में उसके जिहादियों को ठिकाने लगाया है। आंकड़ों के अनुसार, गाजा में हमास के हत्यारों की ढाल बने आम नागरिक भी बड़ी संख्या में मारे गए हैं।
इस युद्ध में फिलिस्तीन के या कहें हत्यारे जिहादी संगठन हमास के पाले में खड़े वामपंथी, सेकुलर और मजहबी उन्मादी तत्व दुनिया के अनेक देशों में इस्राएल विरोध की आड़ में अराजकता फैलाते हैं और उस बहाने लूटपाट, हिंसा करते हैं। ‘यरुशलम पोस्ट’ की रिपोर्ट बताती है कि दो दिन से रात के समय विशेष रूप से मजहबी दंगाई एम्सटर्डम की सड़कों पर उत्पात मचाते आ रहे हैं।
यहां यह ध्यान रहे कि यूरोप लीग फुटबॉल प्रतियोगिता के बाद एम्सटर्डम क्लब तथा मक्काबी तेल अवीव के बीच मैच के बीच यहूदी विरोधी हिंसा भड़काई गई थी। हिंसा ऐसी थी कि इस्राएल की टीम के चाहने वालों को लौटने के लिए सुरक्षा प्रदान करनी पड़ी और इमरजेंसी में विमान की व्यवस्था करनी पड़ी थी।
एम्सटर्डम में उपद्रव करने वाले सब दंगाई काले रंग के कपड़ों में थे। उन्होंने घातक आतिशबाजी साथ ली हुई थी। उन्होंने शहर में अराजकता फैलाते हुए एक ट्राम में आग लगा दी। मजहबी उपद्रवियों ने यहूदी विरोधी नारेबाजी की। उत्पातियों पर स्थानीय पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करके उनको काबू किया।
रिपोर्ट आगे बताती है कि उन्मादियों ने अपने चेहरों पर नकाब पहने हुए थे। वे सड़कों पर ‘फिलीस्तीन को आजाद करो’ नारे लगाते हुए तोड़फोड़ कर रहे थे। उन्होंने स्थानीय लोगों को भी अपनी हिंसा का शिकार बनाया। मीडिया समाचार बताते हैं कि बर्लिन में 7 नवंबर को फिलिस्तीन समर्थकों ने एक यहूदी फुटबॉल टीम के खिलाड़ियों को भी अपनी हिंसा का निशाना बनाया था। भीड़ घातक हथियारों से लैस थी।
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