नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत होने वाले विवाहों का रजिस्ट्रेशन दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2014 के अनुसार ऑनलाइन किया जाए। इस आदेश के माध्यम से अदालत ने दिल्ली सरकार को इस विषय पर तुरंत कदम उठाने और मुस्लिम विवाहों का पंजीकरण सरकारी ऑनलाइन पोर्टल पर सक्षम करने का निर्देश दिया।
मुस्लिम दंपत्ति ने दायर की थी याचिका
मामला एक मुस्लिम दंपत्ति द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिन्होंने विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत विवाह प्रमाणपत्र रद्द करने की मांग की थी। उनका तर्क था कि चूंकि वे मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत विवाहित हैं, इसलिए विशेष विवाह अधिनियम का उन पर लागू नहीं होना चाहिए। इस मामले में दंपत्ति के वकील, एडवोकेट एम सूफियान सिद्दीकी ने अदालत में बताया कि मुस्लिम विवाहों के लिए उपयुक्त ऑनलाइन व्यवस्था की कमी के कारण उनके मुवक्किल को गलती से विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकरण करना पड़ा।
अदालत के निर्देश
जस्टिस संजीव नरूला की अगुवाई में सुनवाई करते हुए अदालत ने पाया कि दिल्ली सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया कि वे व्यक्तिगत रूप से इस मामले में दखल दें और सुनिश्चित करें कि 4 जुलाई, 2024 के आदेश का समयबद्ध पालन हो सके।
अदालत ने कहा, “जहां तक 4 जुलाई के फैसले के अनुपालन का सवाल है, चूंकि प्रतिवादी इसमें कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं, इसलिए मुख्य सचिव को निर्देश दिया जाता है कि वे स्वयं इस मुद्दे पर संज्ञान लें ताकि उक्त निर्णय का समयबद्ध तरीके से अनुपालन सुनिश्चित हो सके।”
मुस्लिम दंपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा केवल हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 और विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं। इससे मुस्लिम दंपत्ति के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि यह व्यवस्था भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन करती है, जो समानता, स्वतंत्रता और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों को संरक्षित करते हैं।
रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र रद्द करने का आदेश
अदालत ने दंपत्ति को राहत देते हुए दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग द्वारा जारी किए गए पंजीकरण प्रमाणपत्र को रद्द करने का आदेश दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि जीएनसीटीडी के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत होने वाले विवाहों का ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य हो और इसके लिए एक उपयुक्त ऑनलाइन प्रणाली जल्द से जल्द विकसित की जाए।
प्रशासन को भेजा जाएगा अदालत का आदेश
न्यायालय ने अपने आदेश की एक प्रति दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए हैं, ताकि अदालत के आदेशों का पालन सुनिश्चित हो सके। यह आदेश स्पष्ट करता है कि प्रशासन को विभिन्न समूहों के विवाहों के पंजीकरण के लिए एक समावेशी और उपयोगकर्ता-अनुकूल प्रणाली विकसित करनी चाहिए, ताकि सभी को समान अवसर मिल सके।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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