बाराबंकी, (हि.स.)। जिले में लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर के पास अरबों रुपये कीमत की सरकारी भूमि पर वीआईपी रेजिडेंशियल आवास बनाकर बेच दिया गया। कई साल बाद जब एक संस्था ने शिकायत की और जिला प्रशासन ने जांच कराई तो यह बड़ा जमीन घोटाला सही पाया गया। इस मामले में रविवार की रात लेखपाल की तहरीर पर सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
जगजीवन दास सनातन सेवा संस्थान द्वारा की गई शिकायत के मुताबिक जनपद के नवाबगंज सदर तहसील क्षेत्र के मोहम्मदपुर चौकी, कमरपुर सराय, अकबराबाद गांवों की सरकारी बेशकीमती जमीन पर जाली दस्तावेज बनाकर मल्टीस्टोरी बिल्डिंगें खड़ी कर बेच दी गईं। इस शिकायत पर जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने लेखपाल को जांच के आदेश दिए। लेखपाल की जांच की तो पाया कि अयोध्या-लखनऊ हाईवे-27 के मोहम्मदपुर चौकी के पास स्थित सरकारी जमीनों पर फर्जी दस्तावेज बनाकर उस पर मल्टीस्टोरी आवासीय सोसायटी बना कर बेच दी गई है। सरकारी जमीनों को बेचने का मामला सही पाए जाने पर प्रशासन के होश उड़ गए। जांच में पता चला कि जालसाजों ने यहां की भूमि पर मल्टीस्टोरी रेजिडेंशियल कॉलोनी का निर्माण करा दिया, इनमें मन्नत और शालीमार पैराडाइज अपार्टमेंट शामिल हैं।
जिलाधिकारी के आदेश पर जांच करने वाले हल्का लेखपाल प्रमोद तिवारी की तहरीर पर रविवार को सात लोगों के खिलाफ मुकमदमा दर्ज कराया है। इनमें दो महिलाएं भी हैं। इन सभी आरोपितों में चौधरी रसीदुद्दीन अशरफ, अंजुम फातिमा अशरफ सहित चौधरी मोहम्मद जियाउद्दीन अशरफ, चौधरी इमामुद्दीन अशरफ, फारूक व फिरोज समेत सात लोग शामिल हैं। इनके खिलाफ नगर कोतवाली में धोखाधड़ी समेत गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले की जानकारी होने पर हाईवे किनारे स्थित मन्नत और शालीमार में रहने वाले सैकड़ों लोगों में हड़कंप मच गया। जिला प्रशासन की कार्रवाई जारी है। इस प्रकरण में लेखपाल ने बताया कि पैसार कोठी निवासी तीन आरोपी और भी इस घोटाले में शामिल थे, लेकिन तीनों चौधरी मोहम्मद अजीमुद्दीन अशरफ, हमीदा बानो और जुलेखा खातून की मौत हो चुकी है।
नगर कोतवाली इंस्पेक्टर अमरमणि त्रिपाठी ने कहा कि लेखपाल की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। इस मामले में एक-एक बिंदु की जांच की जा रही है।
सीलिंग भूमि घोषित होने के बाद भी बेच दी बेशकीमती जमीन
लेखखाल की जांच में सामने आया कि वर्ष 2001 में दायर सीलिंग के मुकदमे साल 2003 में अपर कलेक्ट्रेट की कोर्ट ने इस जमीन को सरकारी घोषित कर दिया था। फिर से सुनवाई के दौरान अपर कलेक्ट्रेट की अदालत ने 18 अगस्त 2011 को उक्त भूमि को फिर से सीलिंग घोषित कर दिया था। इसके बावजूद जालसाजों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर इस जमीन को बेच दिया।
टिप्पणियाँ