शिमला, (हि.स.)। संजौली की विवादित मस्जिद का मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गया है। संजौली के लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से दायर याचिका पर न्यायाधीश संदीप शर्मा ने नगर निगम आयुक्त को आठ हफ्ते के भीतर फैसला सुनाने का आदेश दिया है। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता अनूप रतन ने हाईकोर्ट को बताया कि नगर निगम आयुक्त ने दो महीने में मस्जिद के अवैध निर्माण को हटाने के आदेश दिए हैं। सरकार मामले में कार्रवाई कर रही है। दोनों पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आयुक्त को मामला समय पर निपटाने के साथ-साथ सभी हितधारकों को पार्टी बनाने को कहा।
दरअसल संजौली के स्थानीय नागरिकों की तरफ से हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका में आग्रह किया गया है कि हाईकोर्ट नगर निगम आयुक्त को इस अवैध निर्माण के 2010 से चल रहे मामले का निपटारा समयबद्ध करने के निर्देश दे। जिस पर हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए उक्त आदेश पारित किए।
स्थानीय नागरिकों ने वर्ष 2010 में नगर निगम के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई थी कि संजौली मस्जिद में बिना अनुमति व बिना नक्शा पास करवाए अवैध निर्माण हो रहा है। नगर निगम कोर्ट में बीते 5 अक्टूबर को इस मामले की 46वीं सुनवाई के दौरान मस्जिद की ऊपर की तीन मंजिलों को अवैध घोषित करते हुए इसे गिराने के आदेश दिए थे। इस पर अमल करते हुए मस्जिद कमेटी ने आज ही अवैध निर्माण तोड़ने का कार्य शुरू किया। नगर निगम आयुक्त के कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होनी है।
लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से एडवोकेट जगत पॉल ने बताया कि हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए नगर निगम कमिश्नर को आदेश जारी किए हैं कि आठ हफ्ते में इस केस की पूरी प्रोसीडिंग्स को खत्म किया जाए। ये मामला करीब पंद्रह साल से लंबित है।
वहीं, अधिवक्ता पायल ने बताया कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष कई तथ्य पेश किए हैं। उच्च न्यायालय को बताया गया है कि नगर निगम के कागजों से पता चलता है कि पूरी मस्जिद का निर्माण अवैध तरीके से हुआ है। इस संबंध में साल 2010 में स्थानीय लोगों ने एक शिकायत भी दर्ज करवाई थी। 5 मई 2010 को मौके पर तत्कालीन जेई आए थे और उन्होंने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि यहां अवैध निर्माण किया गया है।
बता दें कि वर्ष 2010 में लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से नगर निगम में एक शिकायत दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था कि संजौली में मस्जिद में अवैध निर्माण किया जा रहा है। शिकायत में कहा गया कि संबंधित अथॉरिटी की अनुमति व नक्शे को मंजूर करवाए बिना निर्माण किया जा रहा है जिसमें रोक लगाई जाए लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई और मामला नगर निगम कोर्ट में 14 साल से विचाराधीन है जिस पर आज हाइकोर्ट ने अब आठ सप्ताह के भीतर निपटारे के आदेश दिए हैं।
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