प्रसिद्ध उद्योगपति श्री रतन नवल टाटा नहीं रहे। उन्होंने 9 अक्तूबर को मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। 87 वर्षीय श्री टाटा दो दिन पहले ही अस्वस्थ हुए थे। उनके निधन का समाचार आते ही भारत के आम जन में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। 1961 में उन्होंने टाटा स्टील से अपने कॅरियर की शुरुआत की थी।
1991 से 2012 तक वे टाटा समूह के अध्यक्ष और अक्तूबर, 2016 से फरवरी, 2017 तक अंतरिम अध्यक्ष रहे। उन्होंने अपनी दूरदृष्टि से टाटा समूह को देश-दुनिया में विस्तार दिया। इसके साथ ही वे देश और समाज की सेवा में सदैव आगे रहे। यही कारण है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हुए एक्स पर लिखा, ‘‘रतन टाटा एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण मानव थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। अपनी विनम्रता, दयालुता और समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण वे कई लोगों के प्रिय बन गए। वे शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, पशु कल्याण, जैसे मुद्दों का समर्थन करने में सबसे आगे थे। … उनके निधन से बेहद दु:ख हुआ। दु:ख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के साथ हैं। ऊं शांति:।’’ वहीं वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘मैं भारतीय उद्योग जगत के दिग्गजों में से एक श्री रतन टाटा के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।
भारतीय व्यापारिक घरानों में टाटा एक ऐसा घराना है जिसकी मैं सबसे अधिक प्रशंसा करता हूं। और यह रतन टाटा के अपार समर्पण, दूरदर्शिता और ईमानदारी के कारण है जिसके साथ उन्होंने कई दशकों तक टाटा समूह को गौरव की ओर अग्रसर किया। इस प्रकार उन्होंने भारतीय उद्योग जगत पर एक अमिट छाप छोड़ी। रतन टाटा जी के साथ मेरी आखिरी बातचीत इस साल फरवरी में हुई थी, जब मुझे उनका एक गर्मजोशी भरा पत्र मिला था, जिसमें उन्होंने मुझे भारतरत्न से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी थी। उनकी गर्मजोशी, उदारता और दयालुता हमेशा बहुत भायी। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें। …ओम शांति:।’’
श्री रतन टाटा का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से गहरा नाता रहा था। 28 दिसंबर,2016 को उन्होंने अपना जन्मदिन संघ कार्यालय, नागपुर में मनाया था। इस अवसर पर सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत भी उपस्थित थे। इस दौरान श्री रतन टाटा डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर भी गए थे। वहां उन्होंने डॉ.हेडगेवार और श्रीगुरुजी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया था। रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को नवल टाटा और सोनी टाटा के घर हुआ था। उन्होंने 1962 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उनके पिता नवल टाटा एक सफल उद्योगपति थे और उन्होंने टाटा समूह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सामाजिक कार्य
रतन टाटा परोपकार और समाज सेवा के कार्यों के लिए भी प्रसिद्ध थे। उन्होंने टाटा ट्रस्ट और टाटा फाउंडेशन के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और तकनीकी नवाचारों के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया। उन्होंने देशभर में विद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थापना में विशेष रुचि दिखाई। टाटा ट्रस्ट ने स्वास्थ्य सेवाओं और अस्पतालों में भी निवेश किया। कैंसर, एड्स जैसी बीमारियों के निदान के लिए टाटा ट्रस्ट के योगदान को कौन नहीं जानता है। रतन टाटा अविवाहित थे। ऐसे भारतभक्त को पाञ्चजन्य परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि।
राष्ट्र सेविका समिति की श्रद्धाञ्जलि
प्रेरणादायी जीवन
राष्ट्र सेविका समिति ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पद्म विभूषण श्री रतन टाटा जी अपने नाम जैसे ही एक अमूल्य रत्न थे। प्रसिद्ध उद्योगपति तथा समाजसेवी श्री रतन जी एक राष्ट्रभक्त थे। टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष श्री रतन जी ने भारतीय औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए अपना संपूर्ण योगदान दिया। श्रेष्ठ चिंतक श्री रतन जी नए-नए आविष्कारों के लिए तरुण पीढ़ी को प्रोत्साहन देते थे। उनके कार्य से भारत की अर्थव्यवस्था ने उच्च शिखर को छुआ। अनुशासित तथा प्रामाणिक व्यक्तित्व के धनी थे श्री रतन टाटा। अपनी ही कंपनी में कर्मचारी बनकर काम करने वाले और अपने व्यावसाय से होने वाली आय का 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा समाजहित के लिए दान करने वाले श्री रतन जी टाटा का जीवन अनेक लोगों के लिए प्रेरणादायक रहा है। अंतिम क्षण तक सरल तथा निस्पृह जीवन बिताने वाले श्री रतन जी को राष्ट्र सेविका समिति कीओर से विनम्र श्रद्धांजलि।
रा.स्व.संघ की श्रद्धाञ्जलि
विनम्रता की मूर्ति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने अपने शोक संदेश में कहा कि देश के सुप्रसिद्ध उद्योगपति श्री रतन टाटा का निधन समस्त भारतवासियों के लिए अत्यंत दु:खद है। उनके निधन से भारत ने एक अमूल्य रत्न को खोया है। भारत की विकास यात्रा में रतन टाटा का योगदान चिरस्मरणीय रहेगा। उद्योग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नई व प्रभावी पहल के साथ ही कई श्रेष्ठ मानकों को उन्होंने स्थापित किया। समाज के हितों के अनुकूल सभी प्रकार के कार्यों में उनका सतत सहयोग तथा सहभागिता बनी रही। राष्ट्र की एकात्मता व सुरक्षा की बात हो या विकास के कोई पहलू हो अथवा कार्यरत कर्मचारियों के हित का मामला हो रतन जी अपनी विशिष्ट सोच व कार्य से प्रेरणादायी रहे। अनेक ऊंचाइयों को छू लेने के पश्चात् भी उनकी सहजता एवं विनम्रता की शैली अनुकरणीय रहेगी। हम उनकी पावन स्मृतियों का विनम्र अभिवादन करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें, यही प्रार्थना।
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