'बांग्लादेश में हिंसक तख्तापलट ने हिन्दुओं पर अत्याचारों को दोहराया': विजयदशमी के मौके पर बोले सरसंघचालक मोहन भागवत
July 9, 2025
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‘बांग्लादेश में हिंसक तख्तापलट ने हिन्दुओं पर अत्याचारों को दोहराया’: विजयदशमी के मौके पर बोले सरसंघचालक मोहन भागवत

सरसंघचालक जी ने हिन्दुओं को संगठित होने की सीख देते हुए कहा कि असंगठित रहना व दुर्बल रहना यह दुष्टों के द्वारा अत्याचारों को निमंत्रण देना है यह पाठ भी विश्व भर के हिंदू समाज को ग्रहण करना चाहिए।

by Kuldeep Singh
Oct 12, 2024, 11:37 am IST
in महाराष्ट्र
RSS Sarsanghchalak dr Mohan Bhagwat speaks about Bangladesh Violence

डॉ मोहन भागवत , सरसंघचालक, आरएसएस

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विजयदशमी के अवसर पर नागपुर के ऐतिहासिक रेशमबाग मैदान में विजयदशमी उत्सव को संबोधित करते हुए बांग्लादेश में हिंसक तख्तापलट का जिक्र करते हुए कहा कि अभी-अभी बांग्लादेश में जो हिंसक तख्तापलट हुआ उसके तात्कालिक व स्थानीय कारण उस घटनाक्रम का एक पहलू है। परन्तु तद्देशीय हिंदू समाज पर अकारण नृशंस अत्याचारों की परंपरा को फिर से दोहराया गया है।

उन अत्याचारों के विरोध में वहां का हिंदू समाज इस बार संगठित होकर स्वयं के बचाव में घर के बाहर आया, इसलिए थोड़ा बचाव हुआ। परन्तु यह अत्याचारी कट्टरपंथी स्वभाव जब तक वहां विद्यमान है तब तक वहां के हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों के सिर पर खतरे की तलवार लटकी रहेगी। इसीलिए उस देश से भारत में होने वाली अवैध घुसपैठ व उसके कारण उत्पन्न जनसंख्या असंतुलन देश में सामान्य जनों में भी गंभीर चिंता का विषय बना है। देश में आपसी सद्भाव व देश की सुरक्षा पर भी इस अवैध घुसपैठ के कारण प्रश्न चिन्ह लगते हैं। उदारता, मानवता, तथा सद्भावना के पक्षधर सभी के, विशेष कर भारत सरकार तथा विश्वभर के हिंदुओं के सहायता की बांग्लादेश में अल्पसंख्यक बने हिंदु समाज को आवश्यकता रहेगी।

इसे भी पढ़ें: विजयादशमी पर सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने क्या कहा, जानिए 10 बड़ी बातें

असंगठित रहना व दुर्बल रहना यह दुष्टों के द्वारा अत्याचारों को निमंत्रण देना है यह पाठ भी विश्व भर के हिंदू समाज को ग्रहण करना चाहिए। परन्तु बात यहां रुकती नहीं। अब वहां भारत से बचने के लिए पाकिस्तान से मिलने की बात हो रही है। ऐसे विमर्श खड़े कर व स्थापित कर कौन से देश भारत पर दबाव बनाना चाहते हैं इसको बताने की आवश्यकता नहीं है। इसके उपाय यह शासन का विषय है। परंतु समाज के लिए सर्वाधिक चिन्ता की बात यह है कि समाज में विद्यमान भद्रता व संस्कार को नष्ट-भ्रष्ट करने के, विविधता को अलगाव में बदलने के, समस्याओं से पीड़ित समूहों में व्यवस्था के प्रति अश्रद्धा उत्पन्न करने के तथा असन्तोष को अराजकता में रूपांतरित करने के प्रयास बढ़े हैं।

‘डीप स्टेट’, ‘वोकिज़्म’, ‘कल्चरल मार्क्सिस्ट’ सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित शत्रु

सर संघचालक जी ने कहा कि ‘डीप स्टेट’, ‘वोकिज़म’, ‘कल्चरल मार्क्सिस्ट’, ऐसे शब्द आजकल चर्चा में है। वास्तव में सभी सांस्कृतिक परम्पराओं के ये घोषित शत्रु है। सांस्कृतिक मूल्यों, परम्पराओं तथा जहां जहां जो भी भद्र, मंगल माना जाता है उसका समूल उच्छेद इस समूह के कार्यप्रणाली का ही अंग है। समाज मन बनाने वाले तंत्र व संस्थानों को-उदा. शिक्षा तंत्र व शिक्षा संस्थान, संवाद माध्यम, बौद्धिक संवाद आदि-अपने प्रभाव में लाना, उनके द्वारा समाज का विचार, संस्कार, तथा आस्था को नष्ट करना यह इस कार्यप्रणाली का प्रथम चरण होता है।

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एक-साथ रहने वाले समाज में किसी घटक को उसकी कोई वास्तविक या कृत्रिम रीति से उत्पन्न की गई विशिष्टता, मांग, आवश्यकता अथवा समस्या के आधार पर अलगाव के लिए प्रेरित किया जाता है। उनमें अन्यायग्रस्तता की भावना उत्पन्न की जाती है । असंतोष को हवा देकर उस घटक को शेष समाज से अलग, व्यवस्था के विरुद्ध, उग्र बनाया जाता है। समाज में टकराव की सम्भावनाओं को (fault lines) ढूंढ कर प्रत्यक्ष टकराव खड़े किए जाते हैं। व्यवस्था, कानून, शासन, प्रशासन आदि के प्रति अश्रद्धा व द्वेष को उग्र बना कर अराजकता व भय का वातावरण खड़ा किया जाता है। इससे उस देश पर अपना वर्चस्व स्थापित करना सरल हो जाता है।

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