लंदन में निर्वासित जीवन जी रहे अल्ताफ का यह बयान भी ध्यान देने योग्य है कि पंजाब के लोगों को यह समझा दिया गया है कि पंजाबी तथा पठान लोग देशद्रोही हो ही नहीं सकते हैं। पाकिस्तान की फौज में 80 प्रतिशत पंजाबी हैं तथा 20 प्रतिशत पश्तून।
पाकिस्तान से निर्वासित नेता अल्ताफ हुसैन ने एक बार फिर पाकिस्तान की सेना पर निशाना साधा है। लंदन में अल्ताफ ने एक कार्यक्रम में कहा कि पाकिस्तान में संसद का कोई मोल नहीं है, इसलिए उसकी कोई नहीं सुनता। उस देश को तो सेना चला रही है जो असल मायनों में ताकत रखती है।
अल्ताफ हुसैन पाकिस्तानी पार्टी मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के संस्थापक हैं और पाकिस्तान की फौज पर बयान देते रहे हैं। हुसैन की बात भले लंदन के उनके मौजूदा ठिकाने से आती हो, लेकिन वह जिन्ना के देश पर गंभीर असर डालती है। उनके अनुसार, पाकिस्तान की संसद के पास किसी बात का कोई हक है ही नहीं। इसी तरह अदालतें भी उतनी स्वतंत्र नहीं हैं। वहां ताकत है तो बस सेना के पास और सत्ता की चाबी वही घुमाती आ रही है।
पाकिस्तानी अवाम के एक बड़े वर्ग के नेता अल्ताफ पाकिस्तानी एसेम्बली को किसी दर्जे में नहीं गिनते। उनके अनुसार, वहां सेना ही सर्वशक्तिमान है। सेना लोगों पर अन्याय करती है, अत्याचार करती है। अल्ताफ के हिसाब से ऐसी जनविरोधी ताकतों के विरुद्ध जिहाद छेड़ा जाना चाहिए, इसे वे सही और आवश्यक करार देते हैं। अल्ताफ हुसैन के 71वें जन्मदिन पर लंदन के बर्न्ट ओक में आयोजित उस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लंदन, बर्मिंघम, मैनचेस्टर, ब्रैडफोर्ड, लीसेस्टर, ब्राइटन आदि कई शहरों से उनके सैकड़ों समर्थक इकट्ठे हुए थे।
अल्ताफ जिन्ना के उस देश में पंजाबी, पख्तून, बलूच, सिंधी, मुहाजिर अथवा सरायकी लोगों के होने को अस्वीकार नहीं कर सकते, अगर पाकिस्तान के नेता ऐसा करते हैं तो यह असलियत से मुंह छुपाने जैसा है। पाकिस्तान में किसी की इस प्रकार की पहचान को लेकर भेदभाव करना, नफरत करना या किसी को दर्द देना, यह सब नहीं होना चाहिए। यानी अल्ताफ के कहने के मायने हैं कि पाकिस्तान में राजनेता लोगों की पहचान को देखकर ही तय करते हैं कि उनसे किस तरह का बर्ताव करना है। बलूचिस्तान में चल रहा दमनचक्र किसी से छुपा नहीं है। बलूचों से इस्लामाबाद के नेताओं को हमेशा एक चिढ़ जैसी रहती है, क्योंकि वे आजाद ख्यालों के हैं व अपने हकों के लिए लड़ते हैं।
अल्ताफ की पीड़ा है कि पाकिस्तान के पंजाब सूबे में वहां के नेताओं ने उनके विरुद्ध भ्रामक दुष्प्रचार किया है इसलिए वहां लोग उन्हें देशद्रोही बताते हैं और उनके बयानों की वजह से उन्हें भारत का एजेंट बताते हैं। सिर्फ उन्हें ही नहीं, पाकिस्तान के अन्य कुछ नेताओं, जैसे जीएम सैयद, बाचा खान, शेख मुजीबुर्रहमान और बलूचों को भी देशद्रोही ठहराया जाता रहा है।
लंदन में निर्वासित जीवन जी रहे अल्ताफ का यह बयान भी ध्यान देने योग्य है कि पंजाब के लोगों को यह समझा दिया गया है कि पंजाबी तथा पठान लोग देशद्रोही हो ही नहीं सकते हैं। पाकिस्तान की फौज में 80 प्रतिशत पंजाबी हैं तथा 20 प्रतिशत पश्तून।
उन्होंने आगे कहा कि आज ऐसा वक्त चल रहा है कि हम सबको अपनी—अपनी असली पहचान को बनाए रखना है। हमें मिलकर रहना है और जो ताकतें 77 साल से देश को लूटती चली आ रही हैं ऐसी ताकतों के विरुद्ध जिहाद शुरू करना है। इस देश को उन ताकतों के शिकंजे से बाहर निकालने की जरूरत है।
लंदन में उस कार्यक्रम में अल्ताफ ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर एक बड़ा आरोप भी लगाया कि उन्होंने ड्रोन के माध्यम से उनकी जान लेने का षड्यंत्र रचा था। अल्ताफ ने नवाज शरीफ को भी नहीं बख्शा और उनके विरुद्ध दुष्प्रचार अभियान छेड़ने का आरोप लगाया।
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