राष्ट्रपति इसे विपक्ष की तख्तापलट की कोशिश बताते हैं तो विपक्ष ने इसे सरकार के अंदर से सत्ता को डिगाने की कोशिश बताया है। राष्ट्रपति कहते हैं कि सरकार को लेकर इस प्रकार की गैरकानूनी हरकत को रोकने के लिए वह कानूनन हर संभव प्रयास करेंगे।
भारत के पड़ोस में एक ओर देश में सत्ता डगमगाती दिख रही है। चीन को अपना आका मानने वाले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के ताजा बयान वहां आर्थिक तंत्र में रास्ते किसी बड़ी राजनीतिक उठापटक की आशंका जता रहे हैं। खबर है कि सरकार के अंदर के कुछ तत्व ही तख्तापलट कराने की फिराक में हैं! हालांकि राष्ट्रपति इसके लिए विरोधी दल को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
इस उठापटक का पहला सुराग तीन दिन पहले तब मिला था जब बैंक ऑफ मालदीव की तरफ से डॉलर में किसी भी तरह का लेन-देन बंद किया गया था। यह इस वजह से किया गया था क्योंकि देश का विदेशी मुद्रा भंडार एकदम रीत गया है। विदेश से व्यापार के मामले में मालदीव घोर आर्थिक संकट में फंसा दिख रहा है। बैंक ऑफ मालदीव सरकार के नियंत्रण में है, लेकिन राष्ट्रपति इसके डॉलर में लेन—देन बंद करने के फैसले को विरोधी दल की चाल बता रहे हैं। उनके अनुसार ऐसा करके विपक्ष तख्ता पलटने के प्रयास में जुटा है।
मोहम्मद मुइज्जू के पद पर आने से पहले ही यह साफ था कि उनकी नीतियां कम्युनिस्ट ड्रैगन की ओर झुकी रहेंगी। ऐसा हुआ भी। लेकिन क्या चीन की सलाहों पर चलकर मालदीव संकट में फंसता जा रहा है? यह सवाल अर्थ विशेषज्ञों में चर्चा का विषय बना हुआ है। आखिर देश का विदेशी मुद्रा भंडार अचानक नीचे क्यों आ गया, यह सवाल भी चर्चा में है।
बैंक ऑफ मालदीव का डॉलर में लेन-देन बंद करना कोई छोटी बात नहीं है। इस बैंक ने वर्तमान डेबिट कार्ड और एमवीआर एकाउंट्स वाले नए डेबिट तथा क्रेडिट कार्डों पर दूसरे देशों से विनिमय फिलहाल बंद कर दिया है। इतना ही नहीं, गोल्ड क्रेडिट कार्ड की अधिकतम सीमा भी कम करके 100 डॉलर की गई। लेकिन फिर दबाव पड़ने पर यह निर्णय पलटा दिया गया।
मालदीव के राष्ट्रपति द्वारा इस स्थिति को आर्थिक रास्ते से तख्तापलट का प्रयास बताना किस हद तक सही है? इस पर विशेषज्ञ माथापच्ची करने में लगे हैं। लेकिन इस बीच मुइज्जू का यह कहना है कि विरोधी पक्ष सरकार को वित्तीय संकट में फंसा कर तख्तापलट का प्रयास कर रहा है जिसके लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
मुइज्जू ने यह बात सत्तारूढ़ पीपुल्स नेशनल कांग्रेस पार्टी की बैठक में कही। उन्होंने यहां तक कहा कि यह हालत हो रही है, इसका पता चलते ही मंत्रियों के साथ चर्चा की और दिक्कत दूर करने के उपाय सोचे। लेकिन मुइज्जू के अनुसार, बैंक ने जो लेन—देन बंद किया वह बात तो दिक्कत के हल के तौर पर कहीं आई ही नहीं थी, फिर यह निर्णय कैसे ले लिया गया? मुइज्जू कहते हैं कि उन्होंने बैंक ऑफ मालदीव को ऐसा कोई आदेश दिया ही नहीं था। लेकिन तब भी ऐसा किया गया, इसलिए इसकी जांच कराई जाएगी और दोषी का पता लगाया जाएगा।
राष्ट्रपति इसे विपक्ष की तख्तापलट की कोशिश बताते हैं तो विपक्ष ने इसे सरकार के अंदर से सत्ता को डिगाने की कोशिश बताया है। राष्ट्रपति कहते हैं कि सरकार को लेकर इस प्रकार की गैरकानूनी हरकत को रोकने के लिए वह कानूनन हर संभव प्रयास करेंगे।
मुइज्जू के इस बयान के बाद से ही, मालदीव की पुलिस ‘तख्तापलट’ की कोशिश की तह में पहुंचने के काम में जुट गई है। राष्ट्रपति ने सख्त अंदाज में यहां तक कह दिया है कि इस निष्पक्ष जांच का निर्णय आने पर उसे बेहिचक सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने संकेत में कहा कि सरकारी बैंक की ओर से ऐसा निर्णय करने पर सरकार पर जो सवाल उठ रहे हैं उसके पीछे सच यह है कि उस बैंक के निदेशक बोर्ड में बहुमत उनकी सरकार का नहीं है। उसमें अभी चार सरकारी निदेशक हैं बाकी के पांच निदेशक सरकार से बाहर के हैं।
सरकार के भीतर के तत्व सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं, यह बयान देने वाले प्रमुख विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष फैयाज इस्माइल अपनी बात पर कायम हैं। मुइज्जू की उक्त बातों पर वे हास्यास्पद बताते हुए वे कहते हैं प्रशासन के अंदर ही अनेक ‘लूपहोल’ हैं। वे यहां तक कहते हैं कि हो सकता है कुछ दिन बाद यहां तख्तापलट हो जाए।
मुइज्जू ने दुनिया के सामने उस बैंक ऑफ मालदीव पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाया है। मुइज्जू की बातें देश के अर्थ तंत्र को तबाह कर सकती हैं। उनके ऐसे बयानों की वजह से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में हमारे देश के एक प्रमुख बैंक की छवि गिर सकती है।
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