देहरादून: रुद्रपुर में एक गैर मान्यता प्राप्त मदरसे में मौलवी द्वारा पांच बच्चियों के साथ दुराचार का मामला विधान सभा से लेकर राजनीतिक गलियारों में गूंज रहा है। इस मामले में उधम सिंह नगर जिले के एसएसपी ने मीडिया को जांच पड़ताल का जो ब्योरा दिया उससे ये साबित हो रहा है कि इस्लामिक शिक्षा देने वाले मदरसों में ही मुस्लिम नाबालिग लड़कियां सुरक्षित नहीं है।
मौलवी शब्बीर राजा दो माह पहले ही जहानाबाद पीलीभीत से मलसी गांव के मदरसे में आया था। यहां उसने आठ दस साल की लड़कियों को अपने कमरे में बुलाकर अश्लील वीडियो दिखाई और उनसे दुराचार किया। एसएसपी मंजूनाथ टी सी के मुताबिक नाबालिग लड़कियों के मजिस्ट्रेट बयान हो गए है ऐसी पांच लड़कियों और उनके परिजनों ने मौलवी के खिलाफ हिम्मत दिखाई है। पुलिस अब इस बात की भी जांच कर रही है कि मौलवी का कोई पिछला अपराधिक इतिहास तो नही है? इस बारे में मदरसे के प्रबंधकों से भी पूछताछ जारी है।
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मदरसे के संचालन के दस्तावेज नहीं है ये मान्यता प्राप्त नहीं है, ऐसी सूचना है कि मदरसे भवन का कोई नक्शा आदि भी नहीं है और भूमि भी विवादास्पद है। जिला प्रशासन इस मामले में और भी संजीदा हो गया है जबसे विधानसभा के मानसून सत्र में ये मुद्दा गरमाया। विधायक शिव अरोरा ने इस मुद्दे पर विपक्षियों पर प्रहार किए कि कांग्रेस अन्य मामलों पर तो बोलती है, लेकिन जैसे ही मौलवी मदरसे की बात आती है तो मौन साध लेती है। संसदीय कार्यमंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल ने भी इस मामले का जिक्र किया। विधान सभा में मामला चर्चा में आते ही उधम सिंह नगर पुलिस की सरगर्मियां भी तेज हो गई है।
ये एक रुद्रपुर के मदरसे की कहानी नहीं है, उत्तराखंड में हरिद्वार देहरादून नैनीताल जिलों में अवैध रूप से चल रहे 400 से ज्यादा मदरसों के भीतर क्या हो रहा है? इस बारे में अब सच्चाई धीरे-धीरे सामने आ रही है और ये सच्चाई स्वयं यहां पढ़ने वाले स्थानीय बच्चे और उनके अभिभावक ही सामने ला रहे है। देहरादून में आजाद कॉलोनी में बच्चों के उत्पीड़न का मामला पहले अखबार में छपा फिर बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक्शन लिया।
सनातन के लिए जाना जाता जिला हरिद्वार के मदरसों में हिंदू छात्र RTE के जरिए भर्ती कर दिए इस बात का संज्ञान भी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिया था। नैनीताल और देहरादून जिलों में फर्जी मदरसे जनजागरण की वजह से ही बंद हुए।
एक और भी सनसनीखेज जानकारी मिली है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में बाहरी राज्यों से बच्चे लाकर इस्लामिक शिक्षा दी जा रही है ये बच्चे हिंदू है या मुस्लिम इस बात का कोई सत्यापन नहीं, इतनी जानकारी अवश्य मिल रही है कि ये बेहद गरीब घरों से यहां लाए गए है। कायदे से इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का पुलिस सत्यापन होना चाहिए।
खबर है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को फंडिंग बाहरी देशों से भी हो रही है और उन्हें चलाने वाले प्रबंधकों के आलीशान घर बन गए है और इनका अरब देशों में आना-जाना लगातार बना हुआ है। उत्तराखंड में बहुत से मदरसे जमात, जुम्मे की नमाज के चंदे से चल रहे है, बहुत से मदरसे देवबंद दारुल उलूम की मदद से चल रहे हैं, कुछ मदरसे जमीयत उलेम ए हिंद की मदद से चल रहे हैं।
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सूत्रों के अनुसार, देवभूमि उत्तराखंड में दो हजार से अधिक बच्चे बाहरी राज्यों से लाकर रखे गए हैं, इस्लामिक शिक्षा ग्रहण ग्रहण करते-करते कल ये यहां के प्रमाणपत्र के आधार पर स्थाई निवासी बन जाएंगे। उत्तराखंड राज्य में इस समय डेमोग्राफी चेंज होने की बात चर्चा में है। कल ये बच्चे ही यहीं बड़े होकर काम करेंगे और परिवार बसा लेंगे और सरकार कुछ नहीं कर पाएगी।
बरहाल फर्जी मदरसे , देव भूमि उत्तराखंड के लिए भविष्य में नहीं अभिन्न सिरदर्द बनते जा रहे हैं। इनकी जांच पड़ताल की बात सीएम पुष्कर सिंह धामी भी बराबर कहते रहे हैं, परंतु शासन प्रशासन में बैठे तंत्र ने इस जांच पड़ताल को अभी ठंडे बस्ते में डाला हुआ है।
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