ढाका यूनिवर्सिटी में कुरान पढ़ने की अनुमति न देने वाले एक डीन से जबरन लिया इस्तीफा, मीडिया ने बताया छात्रों का असंतोष
May 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

ढाका यूनिवर्सिटी में कुरान पढ़ने की अनुमति न देने वाले एक डीन से जबरन लिया इस्तीफा, मीडिया ने बताया छात्रों का असंतोष

बांग्लादेश में आंदोलन के बाद नई बनी अंतरिम सरकार में ढाका यूनिवर्सिटी में एक डीन से इस कारण इस्तीफा ले लिया गया है, क्योंकि उन्होनें “छात्रों” को सार्वजनिक रूप से कुरान नहीं पढ़ने दी थी।

by सोनाली मिश्रा
Aug 20, 2024, 08:23 pm IST
in विश्व
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

बांग्लादेश में छात्रों के कथित आंदोलन के बाद नई बनी अंतरिम सरकार में ढाका यूनिवर्सिटी में एक डीन से इस कारण इस्तीफा ले लिया गया है, क्योंकि उन्होनें “छात्रों” को सार्वजनिक रूप से कुरान नहीं पढ़ने दी थी। इसलिए “छात्रों” ने उनके कार्यालय में जाकर कुरान पढ़ी और उनसे इस्तीफा लिया। एक्टिविस्ट शिहाब अहमद तुहिन ने सोशल मीडिया हैंडल पर वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा कि “यह ढाका यूनिवर्सिटी में एक डीन था, जिसने छात्रों को खुले में कुरान नहीं पढ़ने दी थी, आज छात्रों ने उसके सामने कुरान पढ़ी और उसकी हिदाया के लिए दुआ पढ़ी और उसे इस्तीफे के लिए मजबूर किया।

https://twitter.com/TuhinShihab/status/1825441152511987866?

हालांकि यह समाचार कई पोर्टल्स पर प्रकाशित हुआ, मगर इसे लेकर यह लिखा जा रहा है कि ढाका यूनिवर्सिटी के फ़ैकल्टी ऑफ आर्ट्स डीन ने प्रदर्शन के कारण इस्तीफा दिया। इसे लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि बेहतर है कि बांग्लादेश के कट्टर इस्लामिस्ट लोगों के हैंडल को सोशल मीडिया पर फॉलो किया जाए, क्योंकि सेक्युलर मीडिया तो कारण बताएगा नहीं। ढाका ट्रिब्यून ने लिखा कि प्रोफेसर अब्दुल बशीर ने ढाका यूनिवर्सिटी में फ़ैकल्टी ऑफ आर्ट्स के डीन के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने सोमवार को डीन के पद से इस्तीफा दे दिया और इस्तीफे में लिखा कि मैं फ़ैकल्टी ऑफ आर्ट्स के डीन पद से इस्तीफा दे रहा हूं। कृपया इस संबंध में आवश्यक कदम उठाएं।”

इसमें लिखा है कि छात्रों का आरोप था कि अब्दुल छात्रों के दमन में शामिल थे। ऐसा दावा करने वाले में एबी जुबैर शामिल था। जुबैर भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन का समन्वयक है। उसने यह आरोप लगाया कि प्रोफेसर बशीर यूनिवर्सिटी में छात्रों पर हमला करने वालों मे शामिल थे और उन्होनें उन छात्रों को भी सजा दी थी, जिन्होनें रमजान के दौरान कैंपस में कुरान पढ़ने के प्रोग्राम में हिस्सा लिया था।

प्रोफेसर के इस्तीफे के बाद कुरान पढ़ी गई और इस्लामोफोबिया और कुरान के प्रति बढ़ती शत्रुता के प्रति चिंता भी व्यक्त की गई। मगर इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं। लोगों ने बीबीसी आदि को भी टैग करके पूछा है कि क्या यही छात्र आंदोलन है और इसका मजहब से कोई लेना-देना नहीं है। लोग प्रश्न कर रहे हैं कि क्या यही छात्र आंदोलन था?

यह प्रश्न उठेगा ही कि क्या यही छात्र आंदोलन था? क्या यूनिवर्सिटी कुरान पढ़ने का स्थान है या यूनिवर्सिटी परिसर को ऐसी मजहबी गतिविधियों से मुक्त रखना चाहिए? इसे लेकर इतिहासकार एस इरफान हबीब ने भी एक्स पर लिखा कि किसी भी यूनिवर्सिटी में किसी भी मजहबी किताब को पढ़ा जाना चाहिए? घर पर मजहबी किताब पढ़ो और यूनिवर्सिटी में आपको जो करना है, वह करो। सोचो और पढ़ो!

Why should recitation of any religious book be held in any university? Recite at home and come and do what you are supposed to do in a university. Think and study. https://t.co/usma8Rni0B

— S lrfan Habib एस इरफान हबीब عرفان حبئب (@irfhabib) August 19, 2024

बांग्लादेश से और भी हैरान करने वाले समाचार आ रहे हैं, जिनसे यह बार-बार प्रतीत हो रहा है कि जो भी हो रहा है, वह और कुछ भी हो सकता है, परंतु वह किसी भी प्रकार से छात्र आंदोलन नहीं था और न ही यह आंदोलन केवल शेख हसीना को सत्ता से हटाना ही इसका उद्देश्य था। इसका उद्देश्य कुछ और ही है। या फिर कुछ लोग कह रहे हैं कि छात्र आंदोलन को इस्लामिक ताकतों ने हाईजैक कर लिया है। परंतु यह सच नहीं प्रतीत होता है, क्योंकि छात्र आंदोलन कैसे बिना किसी सहायता के इतना उग्र हो सकता था? यह तो सत्य है कि इसमें शेख हसीना के विरोधियों का हाथ था। कई छात्रों ने भी इस विषय में चिंता व्यक्त की थी कि कहीं कुएं से निकलकर बांग्लादेश खाई में तो नहीं गिर जाएगा? परंतु इसका उत्तर नहीं मिल रहा है, क्योंकि शेख हसीना के समर्थकों पर चुन-चुन कर प्रहार किया जा रहा है। और यदि इसके विषय में भारत में कोई लिख रहा है तो इसे भरत के दक्षिणपंथियों के दिमाग की उपज कहकर एक वर्ग द्वारा खारिज किया जा रहा है। कल ही  सुहासिनी हैदर ने वायर का लेख साझा किया, जिसमें यह लिखा है कि बांग्लादेश के प्रति सांप्रदायिक गलत सूचनाएं भारतीय मीडिया ने फैलाईं।

भारत में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो यह स्वीकार ही नहीं करना चाहता है कि यह आंदोलन छात्र आंदोलन नहीं था, बल्कि केवल शेख हसीना को हटाने का आंदोलन था। यदि यह आंदोलन केवल शेख हसीना को हटाने का आंदोलन होता तो क्यों मुजीबुर्रहमान की मूर्तियाँ तोड़ी जातीं। क्यों कुरान का सार्वजनिक पाठ न कराए जाने पर किसी डीन को हटाया जाता?

हैरिस सुल्तान ने भी लिखा कि ये देशों को इस्लामिक जहन्नुम में बदलते हैं और फिर पश्चिम की ओर जाते हैं। इस्लाम दिमाग को नुकसान पहुंचाता है। कम से कम कम्युनिस्ट अपनी ही कम्युनिस्ट नरक में रहते हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़कर जाने के बाद जिस प्रकार से लोगों को नौकरी छोड़ने के लिए कहा जा रहा है या फिर जिस प्रकार से हिंदुओं पर हमले हुए, उन्हें केवल राजनीतिक विरोध ही कहा गया। ऐसा कहा गया कि हिन्दू चूंकि राजनीतिक रूप से शेख हसीना अर्थात अवामी लीग के समर्थक हैं, इसलिए उनपर हमले हुए। ये राजनीतिक हैं, धार्मिक नहीं।

मगर जो स्वरूप निकलकर आ रहा है, उससे यह राजनीतिक से अलग ही कुछ है, इसे नकारने वाला वर्ग कुछ भी कहे, परंतु यह आंदोलन राजनीतिक नहीं था और कम से काम यह शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटाने वाला ही आंदोलन मात्र नहीं था।

Topics: Bangladesh's hardline Islamistशेख हसीनाSheikh Hasinaपाञ्चजन्य विशेषढाका यूनिवर्सिटीएक्टिविस्ट शिहाब अहमद तुहिनबांग्लादेश के कट्टर इस्लामिस्टDhaka UniversityActivist Shihab Ahmed Tuhin
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

भारत के हमले से पाकिस्तान की किराना पहाड़ी पर बने गहरे गड्ढे। माना जाता है कि यहां परमाणु हथियार रखे गए हैं

धूल में मिली धमकी

आतंकियों के जनाजे में शामिल हुए पाकिस्तानी फौज के अफसर

नए भारत की दमदार धमक

मुरीदके में लश्कर के ठिकाने को भारतीय सेना ने किया नेस्तेनाबूद

…भय बिनु होइ न प्रीति!

पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों पर जुल्म ढाया जाता है। (फोटो- प्रतीकात्मक, क्रेडिट - ग्रोक एआई )

पाकिस्तान: इस्लामिक मुल्क में ही 51 साल से अहमदिया मुस्लिमों पर जुल्म, अब हद पार

वायु सेना के एयर चीफ मार्शल (सेनि.) राकेश कुमार सिंह भदौरिया

‘भारत सहेगा नहीं, जवाब देगा’ – एयर चीफ मार्शल (सेनि.) राकेश कुमार सिंह भदौरिया

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान (बाएं से) एयर मार्शल एके भारती, डीजीएमओ ले.जनरल राजीव घई और वाइस एडमिरल एएन प्रमोद

संघर्ष विराम भारत की शर्तों पर

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

भारत के हमले से पाकिस्तान की किराना पहाड़ी पर बने गहरे गड्ढे। माना जाता है कि यहां परमाणु हथियार रखे गए हैं

धूल में मिली धमकी

दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश ने भारत को सौंपे दो आतंकी

सीता राम राधे श्याम मंदिर का विहंगम दृश्य

गयाना में विराजे 16 फीट उंचे बजरंग बली, भारतीय समुदाय में आनंद, उच्चायोग ने प्रतिमा को बताया भरोसे और दोस्ती की निशानी

LICESTOR PUB TURNED TO MOSQUE

ब्रिटेन: लीसेस्टर में लोकप्रिय पब को बना दिया मस्जिद, लोग विरोध ही करते रह गए

Pakistan missile Shaheen

Operation Sindoor के दौरान पाकिस्तान ने परमाणु मिसाइल शाहीन से किया था हमला, भारत के S-400 ने हवा में ही तबाह कर दिया

Portugal embassy Operation Sindoor

पुर्तगाल में भारतीय दूतावास के बाहर पाकिस्तानियों ने किया प्रदर्शन, दूतावास ने कहा-ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ

PM मोदी पर फर्जी आरोपों वाली AI जनित रिपोर्ट वायरल, PIB ने बताया झूठा

डार वहां के विदेश मंत्री वांग यी (दाएं) से मिलकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले हैं

भारत से पिटे जिन्ना के देश के विदेश मंत्री इशाक डार आज चीन जाकर टपकाएंगे घड़ियाली आंसू, मुत्तकी से भी होगी बात

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: हाई कोर्ट के सभी जजों को पूर्ण पेंशन का अधिकार

NIA

भुवनेश्वर में खुलेगा एनआईए का कार्यालय, गृह विभाग ने जारी की अधिसूचना

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies