बांग्लादेश सांप्रदायिक हिंसा:अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले,कट्टरपंथियों ने आध्यात्मिक रूप से अस्थिर करने का प्रयास किया
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बांग्लादेश सांप्रदायिक हिंसा:अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले,कट्टरपंथियों ने आध्यात्मिक रूप से अस्थिर करने का प्रयास किया

तख्तापलट के बाद भी बांग्लादेश हिंसा की आग में जल रहा है। अल्पसंख्यकों पर हमले थम नहीं रहे हैं। 5 से 8 अगस्त के बीच बांग्लादेश के विभिन्न जिलों में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों को निशाना बनाकर सांप्रदायिक हिंसा फैलाई गई।

by सुनीता मिश्रा
Aug 15, 2024, 07:35 pm IST
in विश्व
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तख्तापलट के बाद भी बांग्लादेश हिंसा की आग में जल रहा है। अल्पसंख्यकों पर हमले थम नहीं रहे हैं। 5 से 8 अगस्त के बीच बांग्लादेश के विभिन्न जिलों में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों को निशाना बनाकर सांप्रदायिक हिंसा फैलाई गई। ढाका, नारायणगंज और मुंशीगंज जिलों सहित कई क्षेत्रों में हमलों, तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की घटनाएं सामने आईं। इन घटनाओं ने देश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका समेत आसपास के जिलों में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हिंसक और भयावह कृत्यों को अंजाम दिया गया। हम आपको अपनी रिपोर्ट में उन हमलों की विस्तृत जानकारी देने जा रहे हैं कि कैसे अल्पसंख्यकों से नफरत करने वाले इस्लामी कट्टरपंथियों ने उन पर हमला किया और घरों, दुकानों, मंदिरों में लूटपाट के बाद उसे नष्ट कर दिया।

घटनाओं का विवरण: ढाका डिवीजन

सुतरापुर में बदमाशों ने लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास स्थित संजय घोष की तीन दुकानों पर कब्जा कर लिया। खिलगांव नंदिपारा में नंदिपारा काली मंदिर पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई। साथ ही पास में रहने वाले अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया, उनके घरों को लूटा गया और उसे नष्ट कर दिया गया। तांतीबाजार में शिव मंदिर के पास रहने वाले लगभग 50 अल्पसंख्यक परिवारों को उन पर किसी भी समय हमले की धमकी दी गई। राजबाड़ी की एक सोने की दुकान और नंदा में गोपाल राजेश की दवा की दुकान पर हमला किया गया और उसे लूटा गया। सबुजबाग पुलिस स्टेशन के अंतर्गत रजरबाग क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के घरों पर हमला और लूटपाट की गई। कलाचंदपुर में बुद्ध विहार की भूमि पर स्थानीय बदमाशों ने जबरन कब्जा कर लिया। धर्मराई में बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद की महासचिव दीपाली चक्रवर्ती के घर पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई। बेली रोड में एक रेस्टोरेंट मालिक माणिक लाल चौधरी को धमकी दी गई कि उनके रेस्टोरेंट पर किसी भी समय हमला किया जा सकता है।

नारायणगंज जिले में स्थिति गंभीर

नारायणगंज जिले में स्थिति गंभीर थी, जहां कई हिंसक कृत्यों को अंजाम दिया गया। नारायणगंज फतुल्ला थाना क्षेत्र के काशीपुर गांव में अज्ञात हमलावरों ने अशोक सरकार के घर पर हमला और लूटपाट की। नारायणगंज जिले में पूजा परिषद के उपाध्यक्ष मखन चंद्र सरकार के निवास पर हमला, लूटपाट और आगजनी की गई। गोपालदी, अड़ाईहजार उपजिला में सुजान साहा के घर पर हमला किया गया। यही नहीं कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़, लूटपाट और उन पर हमला भी किया। रुपगंज उपजिला पूजा परिषद के अध्यक्ष गणेश पॉल की दुकान को लूटा गया और उसे नष्ट कर दिया गया।
नारायणगंज जिला पूजा परिषद की सलाहकार सीमा पाल शीला के निवास पर हमला, लूटपाट और गंभीर क्षति पहुंचाई गई।

मुंशीगंज जिला

मुंशीगंज जिले में हिंसा सदर उपजिला तक फैली। सदर उपजिला में पुलिस स्टेशन के पास के हिंदू मोहल्ले में अल्पसंख्यक परिवारों के घरों पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई। पास में पुलिस स्टेशन होने के बावजूद हमलावरों को नहीं रोका जा सका। यह स्थानीय सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक को दर्शाता है।

प्रभाव और प्रतिक्रियाएं

हमलों की इस श्रृंखला ने बांग्लादेश में विशेष रूप से अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के खिलाफ सांप्रदायिक तनाव और बढ़ा दिया है। कट्टरपंथियों ने न केवल अल्पसंख्यकों के घरों को, बल्कि पूजा स्थलों और उनकी दुकानों को भी निशाना बनाया। उन्होंने अल्पसंख्यक समुदायों को आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से अस्थिर करने का प्रयास किया है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले की सामुदायिक नेताओं, मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने सरकार से कमजोर समूहों की सुरक्षा के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। हिंसा को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों को बढ़ाने, दोषियों के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई करने और सामुदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के प्रयासों की आवश्यकता है।

सरकार की प्रतिक्रिया

बांग्लादेश सरकार ने हाल ही में हुई हिंसा पर कोई भी बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों सहित विभिन्न क्षेत्रों से इस मुद्दे पर गहन जांच और निर्णायक कार्रवाई के लिए दबाव बढ़ रहा है।

हाल की घटनाओं ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की नाजुक स्थिति को उजागर कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और स्थानीय सिविल सोसाइटी संगठन इस बात पर कड़ी नजर रखे हुए हैं कि सरकार इन हिंसक घटनाओं के प्रति कैसी प्रतिक्रिया देती है। प्रभावित समुदाय न्याय, सुरक्षा और अपने जीवन में शांति और सुरक्षा की बहाली की मांग कर रहे हैं।

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