बांग्लादेश में तख्तापलट हो चुका है। पिछले महीने से जारी देशव्यापी हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार (5 अगस्त 2024) को अपना इस्तीफा दे दिया है। शेख हसीना अपनी बहन शेख रिहाना के साथ प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास ‘गणभवन’ छोड़कर सुरक्षित जगह पर चली गई हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें शेख हसीना एक सैन्य हेलीकॉप्टर से ढाका छोड़ती हुई दिखाई दे रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे बांग्लादेश छोड़कर भारत के हिंडन एयरबेस पर उतरी हैं। हांलाकि हिंडन एयरबेस के पीआरओ ने इसकी पुष्टि नहीं की है। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने ढाका में प्रेस कॉफ्रेंस की। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। जल्द ही देश को चलाने के लिए अंतरिम सरकार का गठन होगा।”
आरक्षण खत्म करने को लेकर हिंसक प्रदर्शन
बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण खत्म करने को लेकर जुलाई माह से हिंसक प्रदर्शन चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण खत्म किए जाने के बाद प्रदर्शन कुछ दिन के लिए रुक गए थे, लेकिन अगस्त में फिर से प्रदर्शन भड़क गए। हजारों इस्लामी कट्टरपंथियों ने देश में लगे कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए ढाका की सड़कों पर मार्च किया और बाद में प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर हमला बोल दिया। इस्लामी कट्टरपंथी लगातार प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। इन कट्टरपंथियों ने कई पुलिसवालों की हत्या कर दी। इसके अलावा कई हिन्दू परिवारों को भी मार दिया गया। आखिरकार जानलेवा हिंसा के बीच हसीना को इन कट्टरपंथी प्रदर्शनकारियों के सामने झुकने पड़ा और मजबूरन अपना इस्तीफा देना पड़ा।
हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए
बांग्लादेश में हुई इस हिंसा में अब तक 14 पुलिसकर्मियों समेत करीब 300 लोगों की जान चली गई है। हिंसा में हजारों लोग घायल हुए हैं। बांग्लादेश में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि पूरे देश में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया। वहीं, बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु मुजीबुर रहमान की मूर्तियां भी तोड़ दी गईं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में बंगबंधु मुजीबुर रहमान की मूर्ति के ऊपर एक इस्लामी कट्टरपंथी चढ़े हुए दिखाई दे रहा है। इस वीडियो को एक्स पर पाकिस्तान टेलिग्राफ नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, बांग्लादेश में ये प्रदर्शनकारी आरक्षण प्रणाली को पूरी तरह से समाप्त करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि इसके तहत बांग्लादेश के लिए वर्ष 1971 में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्रामियों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित की गई हैं। कट्टरपंथी प्रदर्शनकारियों के अनुसार मौजूदा आरक्षण के नियमों का फायदा शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग से जुड़े लोगों को मिल रहा है, जिसे लेकर उन्होंने शेख हसीना सरकार के प्रति असंतोष व्यक्त किया है। इसके अलावा हिंसक प्रदर्शन करने वाले आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी नाखुश हैं। इनकी मांग है कि स्वतंत्रता संग्रामियों के परिजनों को सरकारी नौकरियों में दिया जाने वाला आरक्षण पूरी तरह से खत्म होना चाहिए। बांग्लादेश की सेना के पूर्व प्रमुख इकबाल करीम ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ उठाए गए कदमों को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की है। वहीं, मौजूदा सेना प्रमुख ने इन कट्टरपंथी प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है, जिसकी वजह से देश में दंगों की आग और भी अधिक भड़क गई।
हिंसा को पाकिस्तान और आईएसआई ने भड़काया
सवाल उठ रहे हैं कि बांग्लादेश में जानलेवा हिंसा को भड़काने के पीछे पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश में ‘छात्र शिविर’ नाम के छात्र संगठन ने इस हिंसा को हवा देने का काम किया है। यह छात्र संगठन बांग्लादेश में प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी की शाखा है, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन प्राप्त है।
कट्टरता की ओर बढ़ता बांग्लादेश
बांग्लादेश में बढ़ता कट्टरपंथ और अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की वारदात कोई नई नहीं हैं। अब तक हिंसा की ये घटनाएं एक सीमित इलाकों में होती आई हैं, लेकिन पहली बार पूरे बांग्लादेश में हिंसा भड़की है। पिछले एक दशक में जमात-ए-इस्लामी, हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे कट्टर संगठनों का प्रभाव बांग्लादेश में तेजी से बढ़ा है ये संगठन दबाव की रणनीति के तहत सरकार से कई अहम फैसले बदलवाने में भी सफल रहे हैं। बांग्लादेश के अलग-अलग इलाकों में लगातार इनका प्रभाव बढ़ रहा है, ऐसे में यहां अल्पसंख्यकों के लिए खतरा भी बढ़ता ही जा रहा है। 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में यहां अल्पसंख्यकों को 3679 बार हमलों का सामना करना पड़ा। इस दौरान 1678 मामले धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ और हथियारबंद हमलों के सामने आए। इसके अलावा घरों-मकानों में तोड़-फोड़ और आगजनी समेत हिंदू समुदाय को निशाना बनाकर लगातार हमले किए गए। खासकर 2014 के चुनावों में अवामी लीग की जीत के बाद हिंसक घटनाएं बड़े पैमाने पर हुईं, जिनमें हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया, जो अब तक जारी है।
बता दें कि कट्टरपंथी प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने वाले बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने शेख हसीना के इस्तीफे के बाद इस संबंध में देश की प्रमुख पार्टियों के साथ मिलकर बैठक की है। उनका कहना है कि 18 सदस्यीय अंतरिम सरकार प्रस्तावित की गई है। सेना इस सरकार को बनाएगी। जो हत्या हुई हैं उस पर न्याय होगा। प्रदर्शनकारियों की मांगे पूरे करेंगे और देश में शांति वापस लाएंगे।
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