हाल ही में 25 जून को देश में आपातकाल के काले दिन की बरसी थी। जिसका, जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ये दिन देशवासियों को उस काले अध्याय की याद दिलाता रहेगा किस तरह से अपनी राजनीतिक क्षुधा को शांत करने के लिए देश के लोकतंत्र और संविधान को कुचला गया था। आपातकाल का जिक्र होने मात्र से पूरी कांग्रेस बिलबिला उठी। अब केंद्रीय कृषि, ग्रामीण विकास और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा-‘तानाशाही कांग्रेस के DNA में है।’
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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल में महामना मालवीय मिशन और प्रज्ञा संस्थान के सहयोग से नरेंद्र मोदी अध्ययन केंद्र द्वारा ‘भारत के काले दिनों पर चिंतन’ कार्यक्रम में बोल रहे थे। आपातकाल की 49वीं बरसी पर आयोजित इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री ने कहा कि संविधान की रक्षा का दावा करने और उसे इधर-उधर घुमाने वाले जिन लोगों ने आपातकाल के दौरान संविधान के साथ जैसा व्यवहार किया, उसके बाद उन्हें संविधान को छूने तक का अधिकार नहीं है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ये लोग (कांग्रेस) निरंकुशता लाना चाहते थे और अपनी इस आकांक्षा को पूरा करने के लिए इन्होंने तीन न्यायधीशों को पदावनत किया और अपने पसंद के जज को पदोन्नत किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चुनावों को कैंसिल कर दिया था और प्रशासन का दुरुपयोग कर चुनाव जीता था।
लाठियों से पीटा
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आपातकाल के दौरान अपने साथ हुए अत्याचार को याद करते हुए बताया कि आपातकाल के वक्त वो केवल 17 साल के थे। मुझे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था और कस्टडी में रहने के दौरान बेरहमी से पीटा गया था। उसके शारीरिक के साथ ही भावनात्मक घाव आज भी हैं। शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि उनकी दादी की मौत हुई थी, लेकिन वो उन्हें नहीं देख सके थे।
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