नई दिल्ली । हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने कांग्रेस के साथ अपना चुनावी गठबंधन खत्म करने का निर्णय लिया है। आप पार्टी ने घोषणा की है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।
लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सातों सीटों पर मिली हार के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर पार्टी के विधायकों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने बताया कि अब चुनाव आचार संहिता समाप्त हो चुकी है, और विकास कार्यों को तेज़ी से आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आगामी 13 जून को पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगामी रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
गठबंधन टूटने के कारण
आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की समाप्ति के कई कारण हो सकते हैं। लोकसभा चुनावों में दोनों पार्टियों के मिलकर लड़ने के बावजूद भी दिल्ली की सातों सीटों पर हार ने दोनों दलों के कार्यकर्ताओं और नेतृत्व में निराशा फैलाई है। इसके अलावा, चुनाव परिणामों के विश्लेषण के बाद यह पाया गया कि दोनों पार्टियों का वोट बैंक एक-दूसरे को ट्रांसफर नहीं हो पाया, जिससे हार का सामना करना पड़ा।
गोपाल राय ने कहा, “हमने अपनी गलतियों से सबक लिया है और अब हम आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं। हम दिल्ली की जनता के हितों को प्राथमिकता देंगे और विकास कार्यों को नई दिशा देंगे।”
क्या हो सकती है आम आदमी पार्टी की आगे की रणनीति
आगामी 13 जून को होने वाली बैठक में आम आदमी पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी आगामी चुनावी रणनीति पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इस बैठक में पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ-साथ क्षेत्रीय स्तर के कार्यकर्ताओं को भी आमंत्रित किया गया है ताकि जमीनी स्तर की समस्याओं और मुद्दों को समझकर उनकी समाधान की दिशा में कदम उठाए जा सकें।
फिलहाल तो इन दिनों केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी के सभी प्रमुख नेता जेल में हैं। इनके आलावा जो बचे हुए है उनके खिलाफ कोई ना कोई जांच चल रही है। अब देखना होगा कि भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी आम आदमी पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी कितनी सफल होती है और जनता का कितना समर्थन प्राप्त कर पाती है।
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