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‘चतुर’ की चुप्पी के मायने…

अण्णा की अपील और स्वाति के आंसू भले अरविंद केजरीवाल पर असर न डालें, राजनीति से सभ्य व्यवहार और कलुष मुक्त रहने की आशा रखने वालों के लिए इस पूरे घटनाक्रम के सबक बड़े गहरे हैं।

by हितेश शंकर
May 18, 2024, 12:18 pm IST
in सम्पादकीय, दिल्ली
लखनऊ हवाईअड्डे पर केजरीवाल के साथ विभव कुमार (बायीं ओर संजय सिंह के पीछे)­

लखनऊ हवाईअड्डे पर केजरीवाल के साथ विभव कुमार (बायीं ओर संजय सिंह के पीछे)­

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ दुर्व्यवहार हुआ। यह घटना दिल्ली में 25 मई को होने वाले मतदान से ठीक 10 दिन पहले हुई, जिस पर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। प्रश्न है कि इस पूरे प्रकरण को कैसे देखा जाए? जैसा ऊपर से दिख रहा है वैसा या पुलिस शिकायत के आधार पर या मीडिया में जो दिखाया जा रहा है या यह इससे भी अलग मुद्दा है?

हितेश शंकर

ऊपर से पूरा मामला भले ही रहस्यमय लगे, लेकिन इसे गहराई से देखें तो यह विभव कुमार द्वारा किसी महिला को अपमानित करने का मुद्दा भर नहीं है। जिसने दुर्व्यवहार किया, वह मुख्यमंत्री का निजी सचिव है। जिसके साथ दुर्व्यवहार हुआ वह आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद हैं और जिसके घर पर यह घटनाक्रम हुआ, वह परदे के पीछे है। ऐसे में केजरीवाल से सवाल क्यों नहीं पूछा जाना चाहिए?

इस पूरे प्रकरण में केजरीवाल चुप्पी साधे हुए हैं। याद कीजिए केजरीवाल जी के उन बयानों को, जिनमें वे बार-बार कहते हैं कि दिल्ली पुलिस का नियंत्रण उनके पास हो तो वे दिल्ली को अपराध मुक्त कर देंगे। राजधानी की तस्वीर बदल देंगे, दूसरी तरफ ऐसे गंभीर मामले पर पुलिस को हाथ भी नहीं लगाने दे रहे। त्वरित कार्रवाई का आग्रह छोड़िए, एक तहरीर तक का सहयोग पार्टी या उसके मुखिया की ओर से पुलिस को नहीं मिला।

पूरे घटनाक्रम के बाद भी स्वाति मालीवाल से कन्नी काटते और विभव कुमार को दिल्ली से लखनऊ तक बगल में बैठाए केजरीवाल जब प्रेस वार्ता में इस प्रकरण से जुड़ा प्रश्न पूछने पर कैमरे के सामने साफ तौर पर कांपने लगे तो मामले की कई परतें अनकहे ही खुल गई।

विभव कुमार मुख्यमंत्री केजरीवाल के बहुत करीबी हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। केजरीवाल जब जेल में थे तो उनसे मिलने वालों की जो सूची जेल प्रशासन को दी गई थी, उनमें उनके परिवार के अलावा विभव कुमार भी शामिल थे। केजरीवाल ने अपने मंत्रिमंडल के किसी साथी तक को तवज्जो नहीं दी, जबकि वह चाहते तो ऐसा कर
सकते थे।

बहरहाल, इस घटना पर अभी तक

(16 मई) मुख्यमंत्री आवास से कोई खंडन नहीं आया। कहीं ऐसा तो नहीं कि परदे के पीछे केजरीवाल और स्वाति के बीच कोई तोल-मोल चल रहा हो! या पार्टी के अंदर नेतृत्व को चुनौती मिल रही है, जिससे केजरीवाल घबरा गए हैं? यह प्रश्न महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब वह जेल गए तब पूरी पार्टी और कैडर को किनारे रख कुर्सी और कमान अपनी पत्नी को ही थमाई। यह देखने के बाद से विश्वस्त होने का भ्रम पाले उनके सब सहयोगी सकते में थे। तय है कि केजरीवाल भरोसे के भारी संकट से जूझ रहे हैं। उन्हें अहसास है कि वह स्वाति प्रकरण में घिरने वाले हैं, जिस शर्मनाक घटनाक्रम के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री के मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे, उस मौके को संजय सिंह ने बहुत चतुराई से लपक लिया। जिस घटना पर किंतु-परंतु के तमाम प्रश्न चिह्न मंडरा रहे थे, उस पर उन्होंने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रामाणिकता की मुहर लगा दी।

एक ओर जमानत पर छूटते ही केजरीवाल ने यह कह कर भाजपा को घेरने की कोशिश की कि नरेंद्र मोदी के बाद कौन प्रधानमंत्री बनेगा, अब यही प्रश्न, यही चिंगारी उनके अपने घर को जला रही है। प्रश्न स्वाभाविक है कि केजरीवाल के बाद कौन पार्टी और सरकार संभालेगा? क्योंकि जिस तरह उन्होंने अपनी पत्नी को आगे किया है, उससे पार्टी के अंदर सुगबुगाहट और बेचैनी है। इसके संकेत तब मिले थे, जब एक-एक कर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के नेता इस्तीफा दे रहे थे, तब आआपा नेतृत्व अपने नेताओं और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को हर परिस्थिति में एकजुट रहने की सीख ही नहीं दे रहा था, बल्कि सब पर नजर भी रखे हुए था। मतलब, हलचल केवल कांग्रेस पार्टी में ही नहीं थी, उसका विचलन इधर भी था।

पूरा प्रकरण उतना सरल नहीं है, जितना बाहर से दिख रहा है या लोग समझ रहे हैं। स्वाति की तरह कुछ वर्ष पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने भी आरोप लगाया था कि केजरीवाल की मौजूदगी में मुख्यमंत्री आवास पर आआपा विधायकों ने उन्हें पीटा। घर में डरा-धमकाकर लोगों को राजी करने की राजनीति के जो आरोप इस पार्टी पर लगते थे, धमकाने-चटकाने के वे रंग-ढंग अब नहीं चलेंगे। निश्चित ही ऐसी राजनीति करने वाले आगे भी घिरेंगे और भुगतेंगे भी, क्योंकि न्याय आरोपी को परिणति तक ले जाता है। किन्तु यह समय जनता के लिए भी आंखें खोलने का है। यह तय करना होगा कि जनांदोलन से उपजी राजनीति यदि अपेक्षाओं के अनुकूल न हो तो उसका क्या किया जाए?

जिन अण्णा हजारे को केजरीवाल ब्रिगेड ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति का साधन बनाया, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नाम पर उन्हें ‘इस्तेमाल किया’, आज वही मतदाताओं से अपील कर रहे हैं कि देश की चाबी सही हाथों में दी जानी चाहिए, अन्यथा यह देश नहीं बचेगा। अण्णा ने स्पष्ट कहा है कि लोग चरित्रवान और ईमानदार प्रत्याशी को चुनें, न कि जिनके पीछे ईडी लगी हुई है।

बहरहाल, अण्णा की अपील और स्वाति के आंसू भले अरविंद केजरीवाल पर असर न डालें, राजनीति से सभ्य व्यवहार और कलुष मुक्त रहने की आशा रखने वालों के लिए इस पूरे घटनाक्रम के सबक बड़े गहरे हैं।

@hiteshshankar

Topics: मुख्यमंत्री आवासचरित्रवान और ईमानदार प्रत्याशीVibhav KumarChief Minister's Residencecharacterful and honest candidatesअरविंद केजरीवालarvind kejriwalस्वाति मालीवालSwati Maliwalपाञ्चजन्य विशेषविभव कुमार
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