अमेरिका में फिलिस्तीन समर्थकों द्वारा विश्वविद्यालय परिसरों को पंगू बनाने और वहां तंबू लगाकर विरोध प्रदर्शनों के जरिए पढ़ाई का पूरा माहौल खराब करने को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बाइडेन सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोला है।
गत सात महीने से इस्राइल हमास पर कहर बरपाता आ रहा है। दुनियाभर से विरोध सहने के बाद भी इस्राएल गाजा, फिलिस्तीन और अन्य स्थानों से हमास के उग्रपंथियों को खदेड़ बाहर करने के अभियान में लगातार आगे बढ़ रहा है। हमास को जड़ से खत्म करने के अपने इरादे से इस्राएल टस से मस नहीं हुआ है। उधर गाजा में ‘मानवीय बदहाली’ की आड़ में अनेक इस्लामी कट्टरपंथी गुट इस्राएल और यहूदी विरोध में सामने आए हैं और अमेरिका सहित यूरोप के अनेक देशों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अमेरिका के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में इन्हीं विरोध-प्रदर्शनों को लेकर पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने बाइडन पर आरोप लगाए हैं कि उनके बाद सरकार में आए लोगों को फासीवादियों ने घेरा हुआ है। इन लोगों ने विश्वविद्यालय परिसरों को जिहादी तत्वों के हाथों सौंप दिए है। इन तत्वों में अमेरिका विरोधी चरमपंथी शामिल हैं।
ट्रंप का यह गंभीर आरोप बाइडेन प्रशासन को कठघरे में खड़ा करता है, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति ने आगे कहा है कि कॉलेज परिसरों में उथलपुथल पैदा करने वाले प्रदर्शनकारियों को जो पैसा दे रहे हैं, वे लोग ही बाइडन के चुनाव प्रचार में पैसा लगा रहे हैं। उन्होंने सीधे सीधे आरोप लगाया कि डेमोक्रेटिक पार्टी एक कट्टरपंथी तत्व की अगुआई में काम कर रही है।
अमेरिका ही नहीं, फिलिस्तीन समर्थकों ने यूरोप के भी कई देशों में कट्टरपंथी गुटों की उकसावे पर हंगामा मचाया हुआ है। नरदरलैंड्स में पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई करके उनके टैंट तंबू उखाड़ने पड़े थे। ब्रिटेन में लंदन की सड़कों पर जिहादी तत्वों ने यहूदी विरोधी रैलियां निकालकर सरकार की नाक में दम किया हुआ है। इस्राइल के विरुद्ध मजहबी संगठनों ने ऐसा विरोध का माहौल खड़ा किया है जिससे लगे कि सारा कसूर इस्राएल का है।
अमेरिका ही नहीं, फिलिस्तीन समर्थकों ने यूरोप के भी कई देशों में कट्टरपंथी गुटों की उकसावे पर हंगामा मचाया हुआ है। नरदरलैंड्स में पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई करके उनके टैंट तंबू उखाड़ने पड़े थे। ब्रिटेन में लंदन की सड़कों पर जिहादी तत्वों ने यहूदी विरोधी रैलियां निकालकर सरकार की नाक में दम किया हुआ है। इस्राइल के विरुद्ध मजहबी संगठनों ने ऐसा विरोध का माहौल खड़ा किया है जिससे लगे कि सारा कसूर इस्राएल का है। वे जानबूझकर 7 अक्तूबर 2023 की हमास की इस्राएल के मासूम नागरिकों पर किए जबरदस्त हमले के बारे में एक शब्द नहीं बोलते हैं।
अमेरिका में तो लगभग 40 विश्वविद्यालय परिसर कट्टरपंथी तत्वों के उपद्रवों का असर झेल रहे हैं। कुछ विश्वविद्यालय परिसरों में अब भी तंबू लगाए मजहबी तत्व जमे बैठे हैं। विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई में हजारों लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इन्हीं सबको देखते हुए पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने कल वाइल्डवुड में एक रैली में कहा कि बाइडन ने हमारे कॉलेज परिसरों को उपद्रवियों, जिहादियों तथा अमेरिका के विरोधी चरमपंथियों के हाथों में दिया हुआ है।
चुनाव प्रचार के आवेश में ट्रंप ने बाइडन तथा उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी से यहूदी विरोधी पार्टी कहा। उनका कहना था कि ये पार्टी उपद्रवियों के दिए पैसे से चुनाव प्रचार चलाए हुए है। आज ओवल आफिस को फासीवादियों ने घेरा हुआ है। डेमोक्रेटिक पार्टी आज कट्टरपंथी होती दिख रही है। इस पर कट्टर वामपंथी तत्व हावी हैं।
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