कर्णावती । जहां से पूरे जामनगर को होती है पानी की सप्लाई वहां धीरे-धीरे एक बड़ी साजिश को अंजाम देने की तैयारी चल रही है. जामनगर को पीने का पानी देने वाला डैम रणजीत सागर के कुछ हिस्से पर अवैध रूप से एनाकोंडा साइज की मज़ार बनाकर कब्जा कर लिया गया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि स्थानीय प्रशासन भी इस मामले में मौन धारण कर तमाशा देख रहा है। इस पूरे खेल की शुरुआत लगभग चार से पांच साल पहले हुई थी जो कि अब धीरे धीरे बढ़ता ही जा रहा है। अगर समय रहते प्रशासन नहीं चेता तो भविष्य में इसका खामियाजा जामनगर को भुगतना पड़ सकता है।
क्या है पूरा मामला..?
जामनगर का रणजीत सागर डैम जो पूरे जामनगर के लिए पीने के पानी का मुख्य स्रोत है, इस पर मज़ार के ज़रिए कब्जा करने की साजिश के तहत डैम के किनारे से करीब की जमीन पर 31 फुट लंबी तीन मज़ार बना दी गयी और इस मज़ार पर शेड भी बना दिया गया। लैंड ग्रेबिंग के इस मामले के संदर्भ में स्थानीय स्तर पर सामाजिक कार्यकर्ता युवराज सोलंकी ने स्थानीय प्रशासन को कई बार ज्ञापन दिया जिसको शायद प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया। आखिरकार अवैध तरीके से मजार का स्ट्रक्चर तैयार हो गया। जिस पर कुछ समय बाद टिन शैड भी लगा दिया गया।
युवराज सोलंकी ने पाञ्चजन्य से बात करते हुए कहा कि, जलाशय पर किसी भी प्रकार का निजी निर्माण करना गैरकानूनी होने के बावजूद यह स्ट्रक्चर बनाया गया और स्थानीय प्रशासन ने इसे नजर अंदाज भी किया। युवराज का दावा है कि इस मज़ार पर लोग आते है और इत्र आदि चीजे चढ़ाते है, जिसकी वजह से पीने का पानी प्रदूषित हो रहा है।
युवराज सोलंकी ने आगे बताया कि डैम के आस-पास के 7 या 8 गांवों में मुस्लिम आबादी नहीं है. यहां सभी गांव हिन्दू बाहुल्य है. ऐसे में एक गाड़ी से कुछ बाहर से लोगों का डैम के आस-पास आना जाना लगा रहता था. लगभग 3 से 4 साल के अंदर अचानक से ये मजारें दिखाई देने लगीं। जिनका विकास भी बड़ी तेजी के साथ हुआ है।
युवराज सोलंकी ने बताया कि अभी भी कुछ लोग आते हैं और इन मजारों पर अगरबत्ती, हरी चादर, और ढेर सारा इत्र चढ़कर इत्र की खाली शीशी वहीँ छोड़कर चले जाते हैं। वहीं जब डैम में पानी होता है तब मजार छह फुट तक पानी में डूबी रहती है। इसके साथ ही मजार पर चढ़ाया गया इत्र और उसके केमिकल का प्रकोप मछली सहित अन्य जलीय जीवों में देखने को मिलता है. जिससे उनकी मृत्यु भी हो जाती है. वहीं जीव जंतुओं कि मौत से जल भी दूषित होता है. जो जामनगर वासियों के लिए कभी भी घटक सिद्ध हो सकता है.
बता दें कि सरकारी जमीन पर जब अवैध तरीके से इन मजारों का निर्माण कार्य शुरू किए जाने का कार्य प्रारंभ हुआ तो उस समय युवराज सोलंकी ने स्थानीय स्तर पर कलेक्टर को अर्जी दी थी। जिसके बाद जिलाधिकारी कि तरफ से सर्कल ऑफिसर ने उस जगह का दौरा कर अवैध निजी निर्माण के लिए एक शिकायत दर्ज कर ली, जिसे बाद में न तो रोका गया और अब ना ही तोड़ा जा रहा है। 2022 से अब तक जामनगर में तीन कलेक्टर बदल चुके है लेकिन अभी तक इस अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की गई।
वहीं इन मजारों के निर्माण से कई सवाल उत्पन्न होते हैं जिनमे सरकारी नियमानुसार तलाब, नदी, नल- नाले, डेम, केनल इत्यादि जगहों पर किसी भी तरह का निर्माण वर्जित तथा ग़ैर क़ानूनी है। तो यह अवैध मजारें यहां कैसे बन गई..? जब यहां दूर-दूर तक एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता तो फिर इस स्थान पर ही मज़ार क्यों बनाई गई..? जैसे सवाल प्रमुख है।
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