उत्तराखंड ब्यूरो / देहरादून । हिमालय शिवालिक में बेशक चौड़े चौड़े यात्रा मार्ग बन गए है लेकिन इनके द्वार अभी भी संकरे है जहां यात्रा सीजन शुरू होने से पहले ही जाम की स्थिति देखी जा रही है। ऋषिकेश, हल्द्वानी, रामनगर ,कोटद्वार में वाहनों की लंबी कतारें, पिछले वर्षो की तरह इस बार भी लगी हुई है।
चारधाम ,ऑल वेदर रोड से यात्रा सुगम तो हुई है लेकिन इस यात्रा की शुरुआत बेहद कष्ट दायक है। सबसे ज्यादा तीर्थ यात्री वाहनों को ऋषिकेश से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। नेपाली फार्म से लेकर मुनि की रेती को पार करने के लिए घंटो लंबे जाम में फंसना तीर्थ यात्री ,पर्यटक वाहनों के लिए रोज की बात हो गई है।श्यामपुर रेलवे फाटक पर सबसे लंबा जाम लगता है। यहां मार्ग चौड़ीकरण और रेलवे डबल फाटक का काम कछुए की चाल जैसा हो गया है। यहां फ्लाई ओवर, बाई पास की मांग सालो से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सालो से अटकी हुई है, जब कभी काम शुरू भी होता है दो दिन बाद अटक जाता है।
कुमाऊं में हल्द्वानी से मानस खंड की तीर्थ यात्रा और पर्यटन स्थलों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। हल्द्वानी के मार्ग संकरे है, उसी तरह रानीबाग तिराहा, भीमताल,भवाली मार्ग भी सिंगल है जहां दो बड़ी लारियां एक साथ नहीं निकल पाती। कॉर्बेट जाने वाले पर्यटक भी काशीपुर में जाम में फंसते है, यहां बन रहे रेलवे ब्रिज के काम सालो बीत जाने के बाद भी अधूरे पड़े है। कुमायूं गढ़वाल आने वाले पर्यटकों के लिए मुश्किलें आसान नहीं हो रही है।
जानकारी के मुताबिक ज्यादातर प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के द्वारा कराए जा रहे है जिनपर राज्य सरकार का बस नही चल रहा है। राज्य सरकार के प्रोजेक्ट्स पर स्थानीय राजनीति हावी हो जाती है जिसकी वजह से रोड चौड़ीकरण के काम अधर में लटक रहे है, हल्द्वानी भीमताल भवाली में कुछ ऐसी ही दिक्कतें पेश आ रही है।
चार धाम, मानस खंड में तीर्थ यात्रियों की बढ़ती संख्या को लेकर अभी से खुशियां तो व्यक्त की जा रही है लेकिन ये यात्रा सुगम कैसे होगी? इस पर चर्चा कहीं नहीं हो रही है। पिछले सप्ताहांत में जिस तरह से रोड जाम हुई उसे देख कर चिंता ये भी सताने लगी है कि अभी जब चार धाम यात्रा शुरू होगी तब क्या हालात होंगे।
बीते दिन लच्छी वाला टोल बैरियर में भी सर्वर सुस्त होने से लंबा जाम लग गया। उत्तराखंड सरकार को यात्रा सीजन की तैयारियो को गंभीरता से लेना होगा अन्यथा पर्यटक यहां से बुरा अनुभव लेकर जाएंगे और फिर इसे पर्यटन प्रभावित होगा।
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