बौराए पिनराई, चकराई माकपा
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

बौराए पिनराई, चकराई माकपा

राज्यपाल डॉ. आरिफ मोहम्मद खान से तनातनी के बाद केरल सरकार ने राष्ट्रपति के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। इसमें उसने राज्यपाल को भी प्रतिवादी बनाया है। याचिका में पिनराई सरकार ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति ने राज्य के कई विधेयकों को रोक रखा है

by टी. सतीशन
Apr 3, 2024, 02:11 pm IST
in विश्लेषण, केरल
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

केरल की मार्क्सवादी सरकार का दुराग्रह चरम पर पहुंच गया है। माकपा के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार पहले ही राज्यपाल डॉ. आरिफ मोहम्मद खान से सीधे-सीधे टकराव पर उतरी हुई थी। फिर वह उनके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में गई और अब उसने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। केरल की पिनराई विजयन सरकार ने 23 मार्च को राष्ट्रपति के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। इसमें उसने आरोप लगाया है कि राज्यपाल डॉ. आरिफ मोहम्मद खान द्वारा प्रस्तावित कई विधेयकों को राष्ट्रपति ने रोक रखा है। साथ ही, राज्यपाल पर भी आरोप लगाया है कि उन्होंने ‘वर्षों’ तक इन विधेयकों को रोके रखा। राज्य सरकार का तर्क है कि इन विधेयकों को समयबद्ध मंजूरी मिलनी चाहिए। उसका आरोप है कि राज्यपाल विधानसभा के कानून बनाने के अधिकार में बाधा डाल रहे हैं। इस याचिका में राज्यपाल भी प्रतिवादी हैं।

इससे पहले, केरल सरकार ने यह कहते हुए राज्यपाल के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था कि वह राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को रोक रहे हैं। इसके बाद राज्यपाल ने 7 विधेयक राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजे थे। इनमें से पांच विधेयक विश्वविद्यालय कानून संशोधन से संबंधित थे, जिनका उद्देश्य राज्यपाल से राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति की शक्ति छीनना है। इनमें से एक विधेयक एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय से संबंधित है। इससे पहले सितंबर 2023 में पारित केरल भूमि आवंटन (संशोधन) विधेयक को लेकर तो राज्य सरकार का राज्यपाल के साथ टकराव चरम पर पहुंच गया था।

जब राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया तो माकपा और पिनराई सरकार गुस्से से आगबबूला हो गई थी। माकपा के गुंडों ने राज्यपाल पर हमला भी किया था। इसी तरह, केरल सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (संशोधन) विधेयक पर भी राज्यपाल को आपत्ति है। उनका कहना है कि यह लोकतंत्र की भावना और सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है। राज्यपाल का तर्क है कि जो लोग डेयरी किसानों के प्रतिनिधि नहीं हैं, विधेयक के जरिए उन्हें अधिकार देकर हेर-फेर किया जा सकता है। केरल लोकायुक्त संशोधन विधेयक पर उन्होंने यह कहते हुए हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था कि यह लोकायुक्त को नख-दंत विहीन एक निरर्थक निकाय बना देगा। हालांकि राष्ट्रपति ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी, लेकिन चार विधेयकों को अस्वीकार कर दिया था। राष्ट्रपति के पास अब दो ही विधेयक लंबित हैं। राष्ट्रपति ने जिन चार विधेयकों को मंजूरी नहीं दी, वे हैं-

  •  केरल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन नंबर-2) विधेयक-2022 : इसका उद्देश्य राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाना है।
  •  विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक-2021 : इसका उद्देश्य राज्यपाल को बाहर रखना और सरकार को अपीलीय न्यायाधिकरण नियुक्त करने का अधिकार देना है।
  •  विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक-2022 : यह कुलपति के चयन के लिए खोज समिति के विस्तार से संबंधित है।
  •  मिल्मा यानी केरल सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (संशोधन) विधेयक-2022 : इसका उद्देश्य नामित सदस्यों के माध्यम से केरल सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ पर ‘कब्जा’ करना है।
  • कानूनी विशेषज्ञ राष्ट्रपति के खिलाफ केरल सरकार के अदालत जाने के कदम का समर्थन नहीं कर रहे हैं। इस संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता, कानूनी सलाहकार और राजनीतिक टिप्पणीकार के. रामकुमार ने कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 361 राष्ट्रपति, राज्यपालों और राजप्रमुखों को संरक्षण प्रदान करता है। इसमें प्रावधान है कि –
  •  राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल या राजप्रमुख अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग व प्रदर्शन या उन शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन में उनके द्वारा किए गए या किए जाने वाले किसी भी कार्य के लिए के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे।
  •  अनुच्छेद 61 के अनुसार, किसी शिकायत की जांच के लिए संसद के किसी सदन द्वारा नियुक्त या नामित कोई भी न्यायालय, न्यायाधिकरण या संस्था राष्ट्रपति के आचरण को जांच के दायरे में ला सकती है।
  •  राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल या राजप्रमुख के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में कोई भी आपराधिक कार्यवाही शुरू या जारी नहीं रखी जा सकती है।
  •  राष्ट्रपति या राज्यपाल या राजप्रमुख के लिए कोई भी अदालत गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं कर सकती है।
  •  राष्ट्रपति या राज्यपाल के खिलाफ उनकी व्यक्ति क्षमता में किए गए कार्यों पर दीवानी कार्यवाही केवल 2 महीने की पूर्व सूचना के बाद ही की जा सकती है।

राज्य के जाने-माने अधिवक्ता और राजनीतिक टिप्पणीकार जयशंकर का भी यही कहना है कि इन सबके बावजूद यदि राज्य सरकार देश के राष्ट्रपति के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में गई है तो उसका मामला टिक नहीं पाएगा। शायद इसीलिए राज्य सरकार ने प्रतिवादी के रूप में (राष्ट्रपति के) सचिव का नाम रखा है। राज्य सरकार केवल उन लोगों के लिए क्षमादान के मामलों में कुछ राहत की उम्मीद कर सकती है, जो मृत्यु दंड के अदालती फैसले का सामना कर रहे हैं।

जयशंकर ने क्षमादान और दया याचिका पर निर्णय लेने में 11 वर्ष की देरी का हवाला देते हुए राजीव गांधी के हत्यारों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उदाहरण दिया, जिसमें तीनों हत्यारे संथन, मुरुगन और पेरारिवलम फांसी से बच गए थे। हालांकि इस मामले में सर्वोच्च नयायालय ने केंद्र के उस तर्क को को खारिज किया था कि उसकी दया याचिका पर निर्णय लेने कोई अनुचित देरी नहीं हुई थी। साथ ही, यह भी कहा था कि राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत छूट प्राप्त है। उन्होंने केरल सरकार के मामले में बेहतर यही होगा कि हम इंतजार करें और देखें।

उधर, अतिंगल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने मीडिया से कहा कि राष्ट्रपति के खिलाफ केरल सरकार का सर्वोच्च न्यायालय जाने का फैसला चौंकाने वाला है। आज तक किसी सरकार या पार्टी ने ऐसा नहीं किया। यह इस तथ्य को रेखांकित करता है कि माकपा राष्ट्रपति विरोधी है। वह महिला विरोधी होने के साथ-साथ वनवासी समुदाय की भी विरोधी है। राष्ट्रपति का अपमान करने की माकपा की कोशिश हास्यास्पद है।

सच तो यह है कि एलडीएफ सरकार वनवासियों के धन का दुरुपयोग करती है। यहां तक कि उन्हें छात्रवृत्ति भी नहीं देती है। लेकिन कांग्रेस का रुख माकपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ एलडीएफ के जैसा ही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और एर्नाकुलम जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद शियास का कहना है कि यदि विधेयक पारित होते हैं, तो राज्यपाल से यह उम्मीद की जाती है कि वे इनका समर्थन करें। इसी तरह, यदि ऐसे विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजे जाते हैं, तो उन्हें रोका नहीं जाना चाहिए।

बहरहाल, राज्य में अधिकांश लोगों को लगता है कि राज्य सरकार व्यर्थ ही राज्यपाल और राष्ट्रपति से टकराव मोल ले रही है। इससे उसे कुछ हासिल नहीं होगा। बेवजह के कानूनी पचड़ों में पैसा, समय और शक्ति लगाने के बजाय राज्य सरकार कुछ सकारात्मक काम करे। राज्य में कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। सरकारी कर्मचारियों की पेंशन और बुजुर्गों को कल्याण पेंशन देने में भी सरकार आनाकानी कर रही है। पुलिसकर्मियों को आवश्यक वाहन और ईंधन बिल आदि का भुगतान करने के लिए भी पैसे नहीं मिलते हैं। यह स्थिति ठीक नहीं है।

Topics: वामपंथी पार्टीपाञ्चजन्य विशेषएलडीएफएर्नाकुलम जिला कांग्रेस कमेटीकेरल सरकारविधानसभा के कानूनमार्क्सवादी सरकारकानून संशोधनSenior Congress LeadersErnakulam District Congress Committeeसर्वोच्च न्यायालयLeft Democratic FrontSupreme CourtAssembly LawsPresident Draupadi MurmuLaw Amendmentsराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मूकेरल लोकायुक्त संशोधन विधेयककांग्रेस के वरिष्ठ नेता
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Donald Trump

ब्राजील पर ट्रंप का 50% टैरिफ का एक्शन: क्या है बोल्सोनारो मामला?

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस: छात्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण का ध्येय यात्री अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

India democracy dtrong Pew research

राहुल, खरगे जैसे तमाम नेताओं को जवाब है ये ‘प्‍यू’ का शोध, भारत में मजबूत है “लोकतंत्र”

कृषि कार्य में ड्रोन का इस्तेमाल करता एक किसान

समर्थ किसान, सशक्त देश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

Donald Trump

ब्राजील पर ट्रंप का 50% टैरिफ का एक्शन: क्या है बोल्सोनारो मामला?

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies