भारत सरकार ने देश में सिटिजनशिप अमेंडमेंड एक्ट (CAA) कानून को लागू कर दिया है। लेकिन,वामपंथी और कथित सेक्युलरों का झुंड इस कानून को रोकने में लगा है। वामपंथियों और मुस्लिम संगठनों की 2019 और हाल ही में अधिसूचित सीएए कानून-2024 के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि अदालत 19 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) और हाल ही में अधिसूचित नागरिकता (संशोधन) नियम 2024 पर रोक लगाने की मांग करने वाली सभी 190 याचिकाओं पर अंतरिम आवेदन (आईए) के साथ सुनवाई करेगी।
चीफ जस्टिस ने कहा, “हम इस पर मंगलवार को सुनवाई करेंगे। 190 से अधिक मामले हैं। उन सभी की सुनवाई की जाएगी। हम पूरा बैच लगाएंगे।” इन याचिकाओं में मुस्लिमों को भी नागरिकता देने वाला अस्थायी प्रावधान शामिल करने की मांग भी की गई है।
बता दें कि इस मामले में 2019 में ही इंडियन मुस्लिम लीग ने सबसे पहला केस फाइल किया था, जिसके बाद एक के बाद एक कई याचिकाएं सीएए के विरोध में दायर की गई। हाल ही में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) ने भी एक याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से इस कानून को रोकने की मांग की थी। खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट में CAA के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के वकील कांग्रेसी कपिल सिब्बल हैं।
CAA के प्रावधान
गौरतलब है कि भारत सरकार ने साल 2019 में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 2014 से पहले भारत आए शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने को लेकर इस कानून को बनाया था। इसके तहत इन देशों से आने वाले सिख, ईसाई, पारसी, जैन और हिन्दुओं को भारत की नागरिकता दी जानी है। हालांकि, वामपंथी और मुस्लिम इसे पक्षपात बता रहे हैं।
कांग्रेस समेत सीएए विरोधी याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को लागू करने की टाइमिंग पर भी सवाल खड़ा किया है। इनका आरोप है कि सरकार जानबूझकर इसे लोकसभा चुनाव से पहले लागू कर रही है।
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