देश का उत्पादन जनता द्वारा बढ़ाओ तो उसे रोजगार मिलेगा और देश को लाभ मिलेगा, ऐसा काल सुसंगत मार्गदर्शन एवं उपदेश मिलता था। व्यक्तिगत आचरण या राष्ट्र के विषय में उनकी बातें हम सब के लिए मार्गदर्शक हैं।
गत 25 फरवरी को नागपुर (महाराष्ट्र) में ब्रह्मलीन जैनाचार्य विद्यासागर जी महाराज की स्मृति में गुरु विनयांजलि कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें जैन मुनियों के साथ ही आम लोगों ने भी ब्रह्मलीन विद्यासागर जी को श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि विद्यासागर जी हम सबके मार्गदर्शक तो थे ही, साथ ही वह राष्ट्र की बड़ी पूंजी थे।
वे तर्कसंगत बात रखते थे, उसके पीछे भी उनका एक सहज आत्मीयता का भाव होता था। उनके पास आधा घंटा भी बैठते थे तो अगले वर्ष भर मन स्थिर रहता था। अपने देश को ‘भारत कहो, इंडिया मत कहो’, यह उनका सदैव आग्रह होता था।
देश का उत्पादन जनता द्वारा बढ़ाओ तो उसे रोजगार मिलेगा और देश को लाभ मिलेगा, ऐसा काल सुसंगत मार्गदर्शन एवं उपदेश मिलता था। व्यक्तिगत आचरण या राष्ट्र के विषय में उनकी बातें हम सब के लिए मार्गदर्शक हैं।
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